इटली के सेब से महकेंगे सिरमौर के बागान

By: Jul 24th, 2019 12:05 am

नाहन—जिला सिरमौर इटनी के सेब से महकेगा। इसके लिए जिला बागबानी विभाग के माध्यम से किसानों ने इटली का सेब जिला की जलवायु में उत्पादित करने के लिए तैयारी कर ली है, जबकि अभी तक 12776 पौधे जिला के 240 किसानों को वितरित कर दिए गए हैं। इटली का यह सेब प्रजाति से मात्र तीन वर्ष में ही सेब उत्पादन देना आरंभ कर देगा। वहीं इसकी सरवाइल रेट भी उचित है। हिमाचल बागबानी विकास प्रोजेक्ट के तहत जिला सिरमौर मंे 1.48 लाख सेब के पौधों को उद्यान विभाग सिरमौर ने इटली से आयात किया है, जिन्हें विभाग ने बागथन नर्सरी में ट्रीटमेंट कर किसानों को वितरित कर दिया है। उद्यान विभाग सिरमौर के उपनिदेशक डा. राजेंद्र भारद्वाज एवं विषयवाद विशेषज्ञ सतीश शर्मा ने बताया कि बागबानी विकास प्रोजेक्ट के तहत इटली से आयातित सेबों की विभिन्न किस्मों को जिला सिरमौर में 41 कलस्टर किसान समूह बनाकर लगभग 240 किसानों को 12,776 विदेशी सेब के पौधे वितरित कर दिए गए हैं। वहीं तीन मॉडल कलस्टर समूहों को भी बनाया गया है। इस दौरान जिला के शिलाई, पांवटा साहिब के बोलधार, राजगढ़, संगड़ाह और पच्छाद क्षेत्र में किसान इटली के सेब को आगामी समय में उत्पादित कर पाएंगे। उद्यान विभाग के अनुसार इटली के सेब के पौधों के 35 बूटों के रूट स्टॉक भी तैयार किए जा रहे हैं, जिससे सेब की सफलता के बाद इन पौधों से ही आगे पौधों को तैयार कर फसल ली जा सके। इटली के सेब में जिला सिरमौर में सैकलेट स्पर, स्कारलेट स्पर, बकआईगाला, चिलन स्पर, सुपरचीफ, गालासिंका इत्यादि वैरायटी तैयार होगी। उद्यान विभाग के उपनिदेशक डा. राजेंद्र भारद्वाज ने बताया कि यह जिला सिरमौर के साथ कुदरत की नायाब बात है कि यहां हिमाचल प्रदेश में पाई जाने वाली सभी जलवायु का मिश्रण है। जिला सिरमौर की भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार यहां पर तीन जोन की जलवायु विद्यमान है, जिसमें प्रदेश की जलवायु के अनुसार उत्पादित होने वाली सभी फसलें उत्पादित की जा सकती हैं। उन्होंने बताया कि सिरमौर में कम ऊंचाई वाले क्षेत्र जो कि 365 से 914 मीटर ऊंचाई के हैं, वहीं अधिकतम ऊंचाई 1524 से 2742 मीटर तक की जलवायु पाई जाती है। लिहाजा यहां गुठलीदार फलों से लेकर सेब, बादाम, अखरोट जैसी फसलें उगाई जा सकती हैं। इसी कड़ी में जिला सिरमौर में सेब की फसल उगाने का भी सफल प्रयोग हो चुका है। वहीं अब इटली का सेब जो कि मात्र तीन वर्ष की आयु में ही उत्पादन देने लगेगा को उत्पादित करने के लिए पौधों का वितरण कर दिया गया है।


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