ईसीएचएस लाभ देने को निजी अस्पतालों की न
प्रबंधन के आग्रह पर भी रिस्पांस जीरो, टेस्ट को रैफर किए जा रहे पूर्व फौजी
हमीरपुर –देश की सेवा में आधी जिंदगी व्यतीत कर चुके पूर्व सैनिकों को प्राइवेट अस्पताल ईसीएचएस का लाभ नहीं देना चाहते। आग्रह के बावजूद निजी अस्पतालों ने ईसीएचएस की इंपेनलमेंट लेने से इनकार कर दिया है। पूर्व सैनिकों की सेहत के लिए चिंतित ईसीएचएस कई बार निजी अस्पतालों से इंपेनलमेंट लेने का आग्रह कर चुका है। बावजूद इसके प्राइवेट हास्पिटल इंपेनलमेंट लेने के लिए आगे नहीं आ रहे। आखिर क्यों निजी अस्पताल ईसीएचएस के पैनल में शामिल नहीं होना चाहते। शामिल न होने का कारण ईसीएचएस प्रबंधन की समझ से परे हो गया है। अल्ट्रासाउंड सहित अन्य सुविधाओं के लिए आज भी ईसीएचएस होल्डर्ज को प्रदेश के बाहर पॉलीक्लीनिकों में जाना पड़ रहा है। प्रदेश के पॉलीक्लीनिकों में अल्ट्रासाउंड की सुविधा न मिलने के कारण मरीजों को रैफर किया जाता है। अगर निजी अस्पताल ईसीएचएस के पैनल में शामिल हो जाएं, तो ईसीएचएस होल्डर्ज को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। इसे लेकर प्रबंधन कई बार प्रयास कर चुका है। हर बार प्रयास धरे के धरे रह जाते हैं। नतीजतन आज भी गंभीर बीमारी में टेस्ट करवाने के लिए पूर्व सैनिकों को पॉलीक्लीनिकों से बड़े स्तर के पॉलीक्लीनिकों को रैफर किया जाता है। ईसीएचएस की स्टीक गाइडलाइन ने निजी अस्पतालों के हाथ खड़े करवा दिए हैं। ईसीएचएस के मापदंडों पर निजी अस्पताल खरा नहीं उतर पा रहे। शायद यही कारण है कि ईसीएचएस का लाभ देने के लिए प्राइवेट अस्पताल हामी नहीं भर रहे। ईसीएचएस की गाइडलाइन में साफ किया गया है कि जो भी निजी अस्पताल पैनल में शामिल होना चाहता है, उसके पास ऑन रोल स्थायी स्पेशलिस्ट डाक्टर होने चाहिएं। साथ ही अस्पताल कम से कम 30 बिस्तरों का होना चाहिए।
चाहे प्रभावशाली क्यों न हों, कसेगा शिकंजा
उद्योग मंत्री ने कहा कि इस प्रकार की अवैध गतिविधियों में संलिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी, चाहे वे कितने भी प्रभावशाली क्यों न हों। उन्होंने इन मामलों की रोकथाम के लिए सभी संबंधित विभागों को आपसी तालमेल और सहयोग से कार्य करने पर बल देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में किसी भी व्यक्ति को बख्शा न जाए।
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