कांट्रैक्ट में लाए जाएं पीसमील कर्मी

By: Jul 22nd, 2019 12:05 am

शिमला —हिमाचल परिवहन तकनीकी कर्मचारी संगठन ने पीस मील कर्मचारियों को एक मुश्त अनुबंध में लाने की मांग उठाई है। राज्य सरकार व निगम प्रबंधन द्वारा तकनीकी कर्मचारियोंं की मागों को नजरअंदाज करने पर संगठन ने 19 जुलाई से संघर्ष शुरू कर दिया है। कर्मचारी संगठन ने निर्णय लिया है कि कर्मशाला स्टाफ की समस्याओं की लंबे समय से अनदेखी करने के विरोध में पूरे प्रदेश में एक सप्ताह तक काले बिल्ले लगाकर हर डिपो में गेट मीटिंग कर रोष जताया जाएगा और 25 जुलाई को आंदोलन की रणनीति बनाएंगे। इस दौरान तकनीकी कर्मचारियों की विभिन्न समस्याओं को सरकार व प्रदेश की जनता तक पहुंचाया जाएगा और इनके शीघ्र समाधान के लिए निगम प्रबंधन को मजबूर किया जाएगा। संगठन के प्रधान टेकचंद ठाकुर ने कहा कि निगम की कर्मशालाओं की मुख्य समस्या तकनीकी कर्मचारियों की कमी है, जिस ओर न तो निगम प्रबंधन और न ही प्रदेश सरकार ध्यान दे रही है। कर्मशालाओं का कार्यभार पूरी तरह से पीस मील कर्मचारियों पर आ गया है क्योंकि नियमित कर्मचारी अब गिनती के ही बचे हैं। मगर इन पीसमील कर्मचारियों बारे निगम प्रबंधन अब तक कोई ठोस नीति नहीं बना पाया है। इस अनिश्चितता की स्थिति में बसों की मरम्मत का कार्य प्रभावित हो रहा है। तकनीकी कर्मचारियों के वर्तमान भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में संशोधन लंबे समय से प्रतीक्षित है लेकिन 5 वर्षों में कोई निर्णय नहीं हो रहा है।

कर्मचारियों पर अतिरिक्त कार्य बोझ

संगठन का आरोप है कि 1996 में जहां निगम में केवल 1700 बसों का बेड़ा था, तब तकनीकी स्टाफ की संख्या 2200 थी। आज यह बढ़कर 3100 के पार हो चुकी है जब तकनीकी कर्मियों की संख्या 1200 रह गई है। बेड़े में वृद्धि के साथ स्टाफ की संख्या में भी वृद्धि होनी चाहिए थी।  

विधानसभा का होगा घेराव

संगठन ने निर्णय लिया है कि यदि समय रहते इन मांगों का कोई उचित समाधान नहीं किया गया तो संगठन आंदोलन के अगले चरण में निगम मुख्यालय तथा विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करेगा।

तकनीकी कर्मचारियों की मांगों के प्रति उदासीन

सगंठन का आरोेप है कि निगम प्रबंधन तकनीकी कर्मचारियों की उक्त समस्याओं बारे लंबे समय से उदासीन हंै, जिस कारण आज तकनीकी कर्मचारी शोषण का शिकार हो रहे हैं। निगम में कर्मशाला कर्मचारियों की समस्याओं के तुरंत समाधान की आवश्यकता है अन्यथा बढ़ रहे बस हादसों के लिए कर्मशालाओं की अनदेखी भी जिम्मेदार हो सकती है।

मजिस्ट्रेट जांच करवाई जाए

महासचिव पूर्ण चंद शर्मा ने कहा कि जिस तरह दुर्घटनाओं के कारणों की जांच मजिस्ट्रेट से करवाई जाती है उसी तरह जनहित में यह भी जांच करवाई जाए कि जनता को परिवहन सुविधा प्रदान करने वाले परिवहन निगम की कर्मशालाओं में गाडि़यों की सुचारू व समयबद्ध मरम्मत के लिए निश्चित स्टाफ उपलब्ध है या नहीं। कर्मशालाओं में काम करने के लिए कार्य दशाओं की स्थिति है, टूल व मशीनरी गाडि़यों के आधुनिक मॉडल के अनुसार उपलब्ध है या नहीं।


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