कारोबारियों की मनमानी से निपटने को एकजुट हुए किसान

By: Jul 10th, 2019 12:05 am

भुंतर—जिला कुल्लू की सबसे बड़ी भुंतर मंडी में कारोबारियों की मनमानी और मार्केट समिति की लापरवाही के कारण लुट रहे किसानों ने आखिर अब एकजुट होने का फैसला लिया है। भुंतर मंडी में साल भर में उत्पाद लाने वाले किसानों और बागबानों ने अपना एक संगठन बनाने का फैसला लिया है। लिहाजा, किसानों के साथ मनमानी करने वाले कारोबारियों और उत्पादकों के मसलों पर आंखें मूंदने वाली एपीएमसी पर लगाम लगाने की पूरी तैयारी हो गई है।  जानकारी के अनुसार भुंतर सब्जीमंडी विकास संगठन के नाम से एक यूनियन बनाने की पहल कुछ किसानों-बागबानों ने आरंभ कर दी है और अपना कुनबा बढ़ाने के लिए सदस्यता अभियान और पंजीकरण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। बता दें कि भुंतर सब्जीमंडी प्रदेश की सबसे बड़ी सब्जी मंडियों में से एक है, जिसके साथ कुल्लू व मंडी जिला के करीब दस हजार से अधिक किसान-बागबान जुड़े हैं। सब्जी मंडी में किसानों-बागबानों की उत्पादों की बिक्री से संबंधित कई समस्याएं समय-समय पर उभर कर आती हैं। इन समस्याओं के कारण किसान को आर्थिक नुकसान होने के साथ मनोवैज्ञानिक तौर पर भी दबाव झेलना पड़ता है। किसानों-बागबानों की समस्याओं के समाधान के लिए जिला भर में अन्य संगठन भी है, लेकिन रोजमर्रा की जमीनी समस्याओं का हल करने में कोई भी संगठन बेहतर दबाव सरकार व मार्केट कमेटी पर नहीं बना पा रहा है। इसके चलते अब यह नया संगठन अस्तित्व में आने को तैयार है। हाल ही में व्यापारियों द्वारा अवैध तरीके से रेट काटने का मामला फिर से उछला है और इसने अब किसानों को एकजुट होने का मौका दिया है। बताया जा रहा है ओपन बोली नियमों की अवहेलना, यातायात, जगह की कमी जैसी कई समस्याओं सहित अन्य मसलों पर यह संगठन कार्य करेगा साथ ही किसानों-बागबानों को जागरूक करने का जिम्मा भी उठाएगा। संगठन से जुड़कर पहल को अंजाम देने में लगते उत्पादकों योगेंद्र सिंह, बेली राम नेगी, यशपाल, नेत्रप्रकाश, राजेश वजीर, हरीकृष्ण ठाकुर, श्याम ठाकुर, जीत राम, दिग्विजय जंबाल, कर्म चंद, लीला मणी, श्याम सुंदर, देवेंद्र कुमार, रेखा लोती, केहर सिंह नेगी, देव पाल जंबाल आदि के अनुसार व्यापारी और आढ़तियों के साथ एपीएमसी भी पिछले कुछ सालों से किसानों के मसलों पर सुनने को तैयार नहीं है और लंबे अरसे से इस प्रकार के यूनियन की दरकार थी। बताया जा रहा है कि जिला की कुछ सामाजिक संस्थाएं और संगठन इस यूनियन को तकनीकी मदद प्रदान करेगी। बहरहाल, किसानों की एकजुटता के बाद अब कारोबारियों के लिए उत्पादकों के साथ मनमानी के दिन लदने वाले हैं।


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