किसानों के पीछे 200 किस्म के कीड़े

By: Jul 14th, 2019 12:05 am

हिमाचल में धान की 80 फीसदी खेती पानी पर निर्भर रहती हैं। करीब 6 माह तक हिमाचली किसान पानी या फिर कीचड़ सने खेतों में काम करता है। …लेकिन यह पहाड़ी प्रदेश के किसानों का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि बरसात के दिनों में काम के दौरान हिमाचल सरकार ने आज तक उन्हें कोई सेफ्टी नहीं दी। प्रदेश के 10 लाख किसान इन दिनों कीचड़ सने खेतों में जान की परवाह किए धान और मक्की उगा रहे हैं। किसी को सांप काट रहा है, तो कहीं रंगड़। इसी तरह चींटियां, स्नेल समेत करीब 200 तरह के जानलेवा कीड़े किसानों को काट रहे हैं। हालत इतनी खराब है कि किसानों को एंटी एर्ल्जिक तक नहीं मिलते। यही नहीं, सांप या रंगड़ों के काटने बाद उन्हें पीएचसी और सीएचसी में दवा तक नहीं मिल पाती। यह ऐसा सवाल है जिसका शायद कृषि मंत्री के पास भी जवाब नहीं है। सवाल यह भी है कि जिस प्रदेश की 62 फीसदी आबादी को खेतों से रोजगार मिलता हो, उसकी सुरक्षा के लिए सरकार के पास कोई इंतजाम नहीं हैं।

खतरनाक स्प्रे और किसान

हिमाचल में अब खेती का ट्रैंड बदल गया है। पहले किसान खेतों से हर तरह की घास हाथ से निकालते थे, लेकिन अब हल चलाने से पहले स्पे्र की जाती है। उसके बाद खेत तैयार करने और पनीरी लगाने के उपरांत भी घास को जड़ से मिटाने के लिए खतरनाक रसायनों को छिड़काव होता है। हैरानी की बात है कि प्रदेश में विभाग और सरकार ने यह आज तक नहीं बताया कि आखिर स्पे्रे का तरीका क्या है।

सांप करते हैं 4000 शिकार

हिमाचल में बरसात के दौरान करीब 4 हजार लोगों को सांप डसते हैं। सबसे ज्यादा प्रकोप मैदानी इलाकों में रहता है। शिकार होने वाले लोगों में किसानों का आंकड़ा ज्यादा रहता है। कई लोग तो अस्पताल भी नहीं पहुंच पाते। हैरानी की बात है कि इस दौरान करीब 400 लोगों की जान चली जाती है। पर प्रदेश सरकार की हालत इस समस्या से निपटने में भी बहुत खराब है।

अपनी माटी के प्रयास

अपनी माटी टीम ने अपने सामाजिक दायित्व को बखूवी निभाते हुए किसानों की खातिर आईजीएमसी का दौरा किया। वहां हमने विशेषज्ञ डा. भाटिया से बात की। उन्होंने माना कि बरसात में 200 तरह के कीट-पतंगे किसानों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके लिए एंटी एर्ल्जिक की व्यवस्था होनी चाहिए। इसी तरह एंटी स्नेक वेनम की भी व्यवस्था पीएचसी स्तर पर होनी चाहिए। वहीं, गलब्ज आदि भी किसानों को मिलने चाहिएं।

-दीपिका शर्मा , शिमला

हिमाचल में रोड़ साइड बिजनेस से अच्छे दिन

सेब सीजन से न केवल बागबानों की उम्मीदें बंधी होती है, बल्कि सैकड़ों ऐसे परिवार हैं, जिनका निवाला सेब की फसल पर निर्भर है। बागीचे में मनुअल कार्य के अलावा खाद कंपनियां, खाद विक्रेता, कृषि बागबानी संबंधी उपकरण विक्रेता, मजदूर वर्ग, ऑटोमोबाइल कंपनियां, बॉक्स निर्माता कंपनियां, स्टेपल रोड निर्माता कंपनियों के अतिरिक्त ऐसे कई कार्य है, जो सीधे तौर पर सेब की फसल से जुड़ी हुई है। यहां, आज हम बात कर रहे हैं रोड साइड बिजनेस की। धीरे-धीरे रोड साइड बिजनेस का प्रचलन काफी बढ़ गया है।  सेब मंडी सोलन व नेशनल हाइवे के किनारे रेहड़ी लगाने वालों से बातचीत की और उनसे जानने की कोशिश की कि उनकी सेब सीजन से क्या उम्मीद है।  यहां रोड साइड बिजनेस के लिए केवल सोलन ही नहीं बल्कि पंजाब से भी लोग आए हैं। इसमें न केवल खाने-पीने की वस्तुएं उपलब्ध है बल्कि गाडि़यों के स्पेयर पार्ट्स, टायर पंक्चर और गाडिय़ों की साज सजावट के सारे सामान उपलब्ध है।दिव्य हिमाचल वेब टीवी ने जब इनसे बात की तो इनमें से दो ऐसी महिलाएं भी है जो अपने परिवार से अलग रहकर अपना व बच्चों का पालन पोषण कर रही हैं। इन महिलाओं की भी सारी उम्मीदें सेब सीजन पर टिकी हुई है। इनमें से एक महिला तो बीते दो वर्ष से रेहड़ी लगा रही है, जबकि एक ने इस बारी शुरू किया है। आढ़तियों का भी कहना है कि वह इन लोगों को काफी स्पोर्ट करते हैं। इनका कहना है कि मंडी में किसान-बागवानों का आना जाना लगा रहता है। उनके लिए मौके पर चाय-पानी की सुविधा आसानी से उपलब्ध हो जाती है। इससे उनकी समस्या का भी हल निकल जाता है और दूसरी ओर रोड साइड बिजनेस वालों का भी काम चल पड़ता है।

 सुरेंद्र ममटा, सोलन

हिमाचल में शीघ्र ही लहलहाएगा सफेद चंदन

हिमाचल में शीघ्र ही सफेद चंदन लहलहाएगा। इंडियन वुड साइंस बंगलूर से लाए गए स्पेशल बीज से वन विभाग को शानदार रिजल्ट मिला है। महकमे की देहरा स्थित नर्सरी में सफेद चंदन के 20 हजार पौघे तैयार हैं, जो शीघ्र डिमांड पर प्रदेश के किसानों को बांटे जाएंगा। एक बूटा 30 रुपए में दिया जाएगा। चंदन का एक पौधा 5 साल के बाद इनकम देना शुरू कर देता है। मौजूदा दौर में चंदन के मार्केट में दाम 7000 रुपए किलो हैं। यह किस्म एक बार लग जाए, तो लैंटाना घास की तरह फैलती है ।यह पांबटा साहिब , नाहन सोलन के अलावा पालमपुर, धर्मशाला नूरपुर हमीरपुर और ऊना में अच्छा रिजल्ट दे सकती है। हमने डीएफओ राज कुमार डोगरा से बात की।

अनिल डोगरा, देहरा गोपीपुर

एशियन पीयर की जुलासा जलोटका नाम की नाशपाती तैयार

कोटखाई तहसील के बखोल गांव के संजीव चौहान वैसे तो अपने बागीचे में तरह-तरह के प्रयोग रहते हैं, लेकिन इस बार संजीव  ने एशियन पीयर की जुलासा जलोटका नाम की नाशपाती तैयार की है, जिसे उन्होंने 14 जून को मार्केट में भेज भी दिया है। वैसे  नाशपाती की विभिन्न वैरायटी जुलाई और अगस्त महीने में तैयार होती है, लेकिन संजीव चौहान द्वारा तैयार की गई इस नाशपाती की नई किस्म की हर और चर्चा हो रही है और जून महीने में मार्केट में पहुंच चुकी इस नाशपाती के दाम भी बढि़या मिले हैं। संजीव ने बताया कि बागीचे में इस नाशपाती के छह बक्से की पैदावार दर्ज की गई है। अर्ली वैरायटी की नाशपाती एशियन पियर की जुलासा जलोटका किस्म के उत्पादन में अब तक चीन की बादशाहत थी, लेकिन अब हिमाचल ने भी एशियन पियर बाजार में आ चुकी है। कोटखाई तहसील के बखोल गांव में संजीव चौहान के बागीचे में इस नाशपाती के छह बक्से की पैदावार दर्ज की गई है। हिमाचल में तो ये पहला सफल उत्पादन है ही, राष्ट्रीय स्तर पर भी अर्ली वैरायटी की ये किस्म देखने में नहीं आई है। इस तरह एशियन पियर की मार्केट में ये एक बड़ी सफलता है।

रोहित सेम्टा, ठियोग

फिर शुरू होगी बंदरों की नसबंदी

राजधानी शिमला में बंदरों की नसबंदी फिर से शुरू होगी। हालांकि नसबंदी की प्रक्रिया वर्ष 2006 से शुरू हुई थी, बावजूद इसके बंदरों की संख्या में कमी नहीं आई। इसे देखते हुए वन विभाग की वाइल्ड लाइफ विंग से इस साल भी नसबंदी का काम शुरू करने का निर्णय लिया है। पूरे प्रदेश में इस साल 20 हजार बदंरों की नसबंदी करने का लक्ष्य रखा है। जिसमें से शिमला शहर में कम से कम पांच हजार बंदरों की नसबंदी होनी है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक पिछले साल शिमला में 1365 बंदरों की नसबंदी हुई। इसके साथ-साथ नगर निगम के दायरे में बंदरों को मारने की अनुमति भी दी गई थी, लेकिन एक भी बंदर मारा नहीं गया। अब तो बंदरों को मारने की अवधि भी समाप्त हो चुकी है। इसे देखते हुए वाइल्ड लाइफ विंग ने पूरे प्रदेश सहित शिमला में बंदरों की नसबंदी करने का निर्णय लिया है। शिमला की सीमा शोघी से लेकर जाखू तक बंदरों का इतना आतंक हो चुका है कि यहां आने वाले सैलानियों को भय के साये में घूमना पड़ता है। उल्लेखनीय है कि यूपी और राजस्थान की वाइल्ड लाइफ टीम यह पता करने शिमला आई थी कि हिमाचल के बंदरों से कैसे निजात मिल सकती है। प्रदेश वाइल्ड लाइफ विंग ने अब मॉड्रन तरीके से बंदरों से निपटने का तरीका भी अपना, लेकिन निजात नहीं मिल पाई। इसके लिए पिछले साल यूपी और राजस्थान से दो टीमें यहां पहुंच कर सर्वे भी करके चली गई। प्राप्त जानकारी के मुताबिक 2015 में हुई गणना के मुताबिक प्रदेश में दो लाख सात हजार बंदर हैं। जिसमें से एक लाख 70 हजार बंदरों की नसबंदी हो चुकी है। बताया गया कि पिछले साल 20 हजार बंदरों की नसबंदी हुई। इस बार भी वन विभाग ने 20 हजार बंदरों की नसबंदी का टारगेट फिक्स किया है। वर्ष 2016 में नगर निगम शिमला के दायरे में खुंखार बंदरों को मारने की अनुमति केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने दी थी। यहां तक कि दो बार एक्सटेंशन भी मिली थी। बावजूद इसके एक भी बंदर नहीं मारा गया।

वरिष्ठ संवाददाता-शिमला

शिमला में बंदरों की नसबंदी प्रक्रिया जारी रहेगी, पिछले साल शिमला में 1365 बंदरों की नसबंदी की गई, इस साल के लिए भी विभाग ने पूरे प्रदेश में 20 हजार बंदरों की नसबंदी के लिए टारगेट फिक्स कर दिए हैं -अजय कुमार, पीसीसीएफ

मंकी वॉचर भी नहीं मार पाए बंदर

वन विभाग ने राजधानी शिमला में लोगों को बंदरों के आतंक से निजात दिलाने के लिए नौ मंकी वॉचर्स तैनात किए थे। हैरानी इस बात की है कि इन मंकी वॉचर्स ने एक भी बंदर नहीं मारा। लोगों की सुरक्षा के लिए ही नौ मंकी वॉचर्स को ईको बटालियन कुफरी से शिमला में तैनाती दे दी गई। वाइल्ड लाइफ विंग हैड क्वाटर से प्राप्त जानकारी के मुताबिक अभी तक एक भी बंदर मारने की रिपोर्ट नहीं है।

 गर्म इलाकों के सेब के बूटे भी तैयार

अगर आप सेब उगाना चाहते हैं और आपका इलाका गर्म है,तो फिक्र न करें। दिव्य हिमाचल वेब टीवी आपको ऐसी जगह से रू- ब- रू करवा रहा है,जहां गर्म इलाकों के लिए सेब के बूटे तैयार होते हैं। यानी जो लो चिलिंग  एरिया हैं, वहां के लिए स्पेशल पौध्े। तो आइए चलते हैं कांगड़ा जिला के तहत गोपालपुर  पंचायत । यहां  नेवा प्लांटेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पिछले  आठ साल से सेब के साथ  ब्लैक वेरी, स्ट्राबेरी, नाशपाती, आड़ू , प्लम , अमरुद,  नींबू के पौधे तैयार कर रही है।  नेवा में सेब के पनीरी दो माह तक टिश्यू कल्चर से तैयार होती है।  उस के बाद पनीरी को खुले में रोपित करके किसानों को दे दिया जाता है। हमने कंपनी के मैनेजर बिहार लाल से बात की। उन्होंने बताया कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश आदि से बागबाना यहां पौधे लेने के लिए आते हैं। दिनों दिन बागबानों का भरोसा बढ़ रहा है।

कुलदीप सोनी, नगरी

गुठलीदार फलों को तोड़ लें

आने वाले पांच दिनों के मौसम का पूर्वानुमान अगले पांच दिनों में मौसम परिवर्तनशील व हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। दिन व रात के तापमान में कोई खास परिवर्तन न होने की संभावना है। हवा दक्षिण-पूर्वी  दिशा से 6 से 7 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चलने तथा औसतन सापेक्षित आर्द्रता 51- 94 प्रतिशत तक रहने की संभावना है।

बागबानी संबंधित कार्यः

मल्च को वर्षा आरंभ होने से पहले तौलियों से हटाएं। गुठलीदार फलों की देरी से पकने वाली किस्मों का तुड़ान समाप्त करें। पेड़ों के तौलियों से पानी का उचित निकास करें। खरपतवार नियंत्रण हेतु निराई-गुड़ाई व खरपतवारनाशक दवाइयों का छिड़काव करें ताकि पौधों की बढ़ोतरी में बाधा न आए। किवी फल में अनचाही लंबी बढ़ने वाली टहनियों की पिंचिंग करें जिससे अवांछित बढ़ोतरी को रोका जा सके।                          मोहिनी सूद, नौणी

कुल्लू वैली सभा का बड़ा कदम

जिला कुल्लू के किसानों-बागबानों को खाद व दवाइयां उपलब्ध करवाने वाली दि कुल्लू वैली रीजनल को-आपरेटिव, मार्केटिंग व कंज्यूमर सोसायटी भुंतर अपने उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं प्रदान करेगी। सोसायटी ने भुंतर में अपना एक और कांप्लैक्स बनाने का फैसला लिया है। इसकी अध्यक्षता सोसायटी के प्रधान सेना पाल शर्मा ने की। बैठक में साल भर की गतिविधियों की समीक्षा की गई तो आय-व्यय का लेखा-जोखा भी रखा गया। उक्त कार्यक्रम में भुट्टिको के चेयरमैन सत्यप्रकाश ठाकुर सहित सोसायटी के सभी नुमाइंदे और सदस्य भी उपस्थित रहे। बैठक के दौरान आने वाले साल में करीब 1.5 करोड़ की लागत से एक और कांप्लेक्स बनाने का निर्णय लिया गया। इससे सोसायटी की आय बढ़ेगी तो साथ सदस्यों व उपभोक्ताओं को ज्यादा सुविधाएं मिलेंगी। इस बैठक में उपाध्यक्ष रोहित ठाकुर, निदेशक लाला राम वर्मा, डिंपल जंबाल, झाबे राम ठाकुर, देवी दयाल ठाकुर, शेर सिंह राणा, मंथरू राम, महाप्रबंधक रोहित शर्मा सहित 38 सदस्यों ने हिस्सा लिया। प्रधान सेनापाल शर्मा ने कहा कि इससे पहले सोसायटी ने भुंतर में एक कांप्लेक्स का निर्माण कार्य पिछले साल आरंभ किया था, जो अब बनकर तैयार हो गया है।  प्रधान ने कहा कि उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं प्रदान की जाएंगी। भुट्टिको के चेयरमैन सत्य प्रकाश ठाकुर ने भी इस मौके पर विचार रखे और बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए सोसायटी के प्रयासों को सराहा।

                                                     स्टाफ रिपोर्टर, भुंतर

माटी के लाल

उम्र 67 साल, बागीचा 13 कनाल में

एमपी वशिष्ठ  70181 91090

67 साल की उम्र में अकसर लोग सिर्फ आराम फरमाते हैं, लेकिन कुछ हस्तियां ऐसी भी हैं,जो हर पल समाज के लिए नई मिसाल कायम करने में डटी रहती हैं। कुछ ऐसी ही शख्सियत हैं एमपी वशिष्ठ। वशिष्ठ हिमाचल वन सेवा से रिटायर्ड हैं। उन्होंने एक या दो बूटे नहीं, बल्कि राख पंचायत में पूरे 13 कनाल में सेब का बागीचा तैयार कर दिया है। जिसमें 350 बूटे लहलहा रहे हैं। सरकारी क्षेत्र में सेवा के दौरान कभी अपना फलों का बागीचा लगाने का सपना देखने वाले वरिष्ठ अधिकारी एमपी वशिष्ट ने प्रदेश सरकार की सहायता से विरान पड़े लगभग 13 कनाल भूमि पर सेब का बगीचा तैयार कर उदाहरण पेश कर दिया। धौलाधार पहाडि़यों के आंचल में पालमपुर उपमंडल की ग्राम पंचायत राख के गांव भौंट में अपने बेटे के साथ मिलकर जमीन खरीदी और कड़ी मेहनत और फल विशेषज्ञों की राय पर सुंदर फलों का बागीचा तैयार कर दिया। आज वशिष्ट के बागीचे में लगभग सभी पौधों पर सेब की फसल बाजार में आने को तैयार है।

जयदीप रिहान, पालमपुर

हरिमन ने उगाया बीपी कंट्रोल करने वाला फ्रूट

बिलासपुर जिला के नामी बागबान हरिमन अपने सेब की मिठास से दुनिया भर में नाम कमा चुके हैं। देश से लेकर विदेशों तक उनके सेब की चर्चा होती है। इस बार हरिमन शर्मा ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिससे हर कोई उनका कायल हो गया है। हरिमन ने अपने बागीचे में एवोकेडो नामक  पेड़ तैयार किया है। यह एक औषधीय फल है, जो दक्षिण अफ्रीका में तैयार होता है। चार साल की कड़ी मेहनत के बाद हरिमन पेड़ पर करीब डेढ़ सौ फल लगे हैं। इस फल की खूबी यह है कि इससे बीपी, कोलेस्ट्रोल और ब्लड शुगर आदि को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। हरिमन का सपना है कि पूरे में प्रदेश में इस गुठलीदार फल को उगाया जाए। आने वाले समय में वह इसके बूटे तैयार कर बागबानों को बांटेंगे।   -अश्विनी पंडित, बिलासपुर

किसान बागबानों  के सवाल

 1 बरसात के मौसम में कौन से फूल लगाएं ?

पवन, मंडी 

  1. बरसात के मौसम में कीड़े- मकौड़ों से बचने के लिए कौन सी दवाई की स्प्रे करें?

पूजा, ऊना

  1. इस मौसम में पशुओं को मच्छरों-मक्खियों से बचाने के लिए क्या करें ?

प्रवीन सरकाघाट

हमें भेजें फोटो-वीडियो

आप हमें व्हाट्सऐप पर खेती-बागबानी से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी भेज सकते हैं। किसान-बागबानों के अलावा अगर आप पावर टिल्लर-वीडर विक्रेता हैं या फिर बीज विक्रेता हैं,तो हमसे किसी भी तरह की समस्या शेयर कर सकते हैं।  आपके पास नर्सरी या बागीचा है, तो उससे जुड़ी हर सफलता या समस्या हमसे साझा करें। यही नहीं, कृषि विभाग और सरकार से किसी प्रश्ना का जवाब नहीं मिल रहा तो हमें नीचे दिए नंबरों पर मैसेज और फोन करके बताएं। आपकी हर बात को सरकार और लोगों तक पहुंचाया जाएगा। इससे सरकार को आपकी सफलताओं और समस्याओं को जानने का मौका मिलेगा।

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