चुनाव बहाल हुए तो सिर्फ विचारों की लड़ाई
शिमला—हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति का एसएसीए चुनाव पर दिया गया ब्यान छात्र नेताओं को खूब पसंद आया है। एचपीयू के छात्र नेता कहते हैं कि अगर एससीए चुनाव की बहाली हो जाती है, तो वह आपसी लड़ाई से परहेज करंेगे, वहीं कैंपस में शैक्षणिक माहौल बनाए रखेंगे। एबीवीपी व एसएफआई के छात्र नेताओं का कहना है कि विचारों की लड़ाई तो चलती रहेगी, लेकिन इससे कैंपस का माहौल खराब न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा। गौर हो कि कुलपति ने हाल ही में कहा था कि अगर छात्र नेता शांतिपूर्ण माहौल कैंपस में बनाते हैं, तो एससीए चुनाव की बहाली को लेकर वह खुद सरकार तक प्रोपोजल लेकर जाएंगे। कुलपति के इसी ब्यान को लेकर एचपीयू के छात्र संगठन में चुनाव बहाली को लेकर आस जगी है। हांलाकि छात्र नेताओं ने यह भी कहा है कि वह 15 जुलाई से छात्र संघ चुनाव की बहाली को लेकर आंदोलन शुरू कर देंगे। बता दें कि सक्रिय राजनीति की नर्सरी कही जाने वाली प्रदेश की छात्र राजनीति में छात्र संघ चुनाव न होने से 5 साल से खामोशी छाई हुई है। हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी समेत सूबे के 135 कॉलेजों मेें 2013 के बाद इस बार प्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव की आस बंध गई है। हर बार कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में चुनावों पर रोक लगाने के फैसले के बाद छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली की जिम्मेदारी इस बार एचपीयू प्रशासन पर आई है। प्रदेश की छात्र राजनीति में छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों के इस्तेमाल के प्रतीक छात्र संघ चुनावों पर हर बार कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में रोक लगी। 80 के दशक में कांग्रेस ने 1988 में छात्र संघ चुनाव प्रत्यक्ष नहीं होने दिए तो 1988 से 1989 के बीच छात्रों के बड़े आंदोलन से कांग्रेस को दबाव में आकर 1989 में प्रत्यक्ष चुनाव बहाल करने पड़े।
अगस्त तक चुनाव की अधिसूचना जरूरी
बता दें कि 15 जुलाई से प्रदेश विश्वविद्यालय सहित सभी कॉलेजों में कक्षाएं शुरू हो जाएंगी। ऐसे में चुनाव के लिए गठीत की गई लिग्दों कमेटी के अनुसार पद्रंह दिन के भीतर एससीए चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी करना जरूरी है।
कब रुके कब बहाल हुए
1988 में हुए अप्रत्यक्ष चुनाव 1989 में प्रत्यक्ष चुनाव
1995 में रोक लगी 2000 में चुनाव बहाल
2014 में रोक लगी अभी अप्रत्यक्ष चुनाव
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