जो दवाई डाक्टर लिख नहीं सकते, वह भी रखी दुकानों में

By: Jul 8th, 2019 12:02 am

आईजीएमसी में सिविल सप्लाई की दुकान में मिली दवाओं से खुलासा

शिमला  —जो दवा का कांबिनेशन नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल की एंटीबायोटिक पे्रस्क्राइबिंग के तहत नहीं आता है, आखिर उस दवा के कांबिनेशन को आईजीएमसी के सिविल सप्लाई की दुकान में क्यों रखा गया। जब अस्पताल से सिविल सप्लाई की दुकान से मिली महंगी दवा की खोज की गई, तो इसकी परतें खुलती चली गईं। इस दौरान एक और हैरान कर देने वाला सच सामने आया है। गौर हो कि कई नामी कंपनियों ने इस कांबिनेशन को ही बनाना बंद कर दिया है। अब जब प्रदेश के डाक्टर सॉल्ट नेम से ही दवा लिख रहे हैं तो ऐसे में अस्पताल के परिसर में ही स्थापित सिविल सप्लाई में पे्रस्क्राइब नहीं करने वाली दवा क्यों रखी जाती है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस दवा का कांबिनेशन मरीजों़ं के लिए दिक्कत कर सकता है, जिसमें मरीज़ के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो सकता है। सवाल यह भी है कि यदि सिविल सप्लाई में पे्रस्क्राइब नहीं करने वाली दवा को रखा गया है, तो क्या कुछ डाक्टर गाइडलाइन के खिलाफ यह दवा लिख रहे हैं। आईजीएमसी की सिविल सप्लाई में मरीजों को महंगी दवा देने के गोलमाल से संबंधित खबर ‘दिव्य हिमाचल’ में प्रकाशित होने के बाद सिविल सप्लाई ने बीते शनिवार को  अस्पताल में अपनी दवा दुकानों पर छापा मारा था। इस दौरान सभी दवा दुकानों के रिकार्ड को खंगाला गया। निगम के नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई की जाएगी। अब देखना ये है कि दवा की गुणवत्ता को लेकर सिविल सप्लाई भी क्या कदम उठाती है। गौर हो कि जब सिविल सप्लाई की दुकानें अस्पतालों में शुरू की गई तो उसका मकसद मरीज़ों को छूट के साथ दवाएं देने की शर्त तय की गई थी, लेकिन अब प्रदेश के  सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में इस शर्त का पालन होता नहीं दिख रहा है। ऐसे में यदि इस तरह के व्यापार में जनता का पैसा भी ज्यादा लग रहा है और गुणवत्ता का भी अता-पता नहीं है, तो ऐसे में मरीज़ की सेहत से खिलवाड़ के लिए कौन जिम्मेदार होगा।

आईजीएमसी प्रशासन भी जांच में जुटा

अस्पताल में कहीं पे्रस्क्राइब नहीं करने की दवा तो इस्तेमाल नहीं हो रहा, इस पर आईजीएमसी प्रशासन चैक रख रहा है। जो मामला अभी फिलहाल प्रकाश में आया है, उसमें एक निम्न तबके के मरीज़ को एंटीबायोटिक दवा लिखी गई थी। एमोक्सीक्लेव 625 एमजी के नाम से यह दवा लिखी गई, लेकिन मरीज़ को सिविल सप्लाई शॉप से ओगूक्लेव 625 एमजी थमा दी गई। इसकी कीमत दस गोलियों की 453 रुपए थी, जो छूट के बाद थी। चौंकाने वाली बात यह थी कि यदि इस ओगूक्लेव दवा में लेक्टोबैसिल्स भी डाला गया है तो भी उसकी क ीमत भी 453 रुपए नहीं हो सकती है। बाजा़र में एक लेक्टोबैसिल्स दवा की नामी कंपनी की एक गोली की कीमत मह़ज दस रुपए ही है, आईजीएमसी में इतनी महंगी दवा मरीजों को देना कई तरह के सवाल उठा रहा है।

 


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