देशी गाय को 150 ने किया आवेदन

By: Jul 12th, 2019 12:15 am

शिमला – प्राकृतिक खेती करने को क्रेज इस कद्र किसानों में आ गया है कि वे देशी नस्ल की गाय लेने के लिए गुजरात व राजस्थान रवाना हो गए है। जानकारी के अनुसार प्राकृतिक खेती से जुड़े किसानों को देशी गाय न होने की वजह से हो रहे नुकसान की भरपाई सरकार ने कर दी है। खास बात यह है कि  देशी गाय की खरीद के लिए विभाग द्वारा 50 प्रतिशत की सबसिडी फार्मर को बहुत भायी है। बताया जा रहा है कि देशी नस्ल की गाय खरीदने के लिए प्रदेश के 150 किसानों ने अप्लाई कर दिया है। वहीं कृषि विभाग ने इन किसानों को गाय लेने के 50 प्रतिशत तक की सबसिडी देना भी शुरू कर दिया है। बता दें कि कृषि विभाग उन्हीं किसानों के आवेदन को देशी गाय की खरीद के लिए मान्य कर रहे हैं, जो प्राकृतिक खेती के साथ जुड़ चुके हैं और एक साल से ज्यादा समय से इस खेती को अपना रहे हैं। हालांकि गाय की देशी ब्रीड के लिए किसानों को राजस्थान व गुजरात जाना पड़ रहा है, लेकिन कृषि विभाग व सरकार का दावा है कि इससे आने वाले समय में किसानों को दोगुना मुनाफा होगा। जानकारी के अनुसार 2669 फार्मर ऐसे हो गए हैं, जो इस खेती के साथ जुड़े तो हैं, वहीं एक साल से प्राकृतिक खेती में सफलता के कई आयाम भी छु चुके हैं। गौर हो कि प्राकृतिक खेती में जो बाधाएं आ रही थीं, वह देशी गाय की समस्या है। फामर्र के पास जीरों बजट खेती के लिए देशी नस्ल की गाय उपलब्ध नहीं थी, इस वजह से किसानों को गोबर व देशी गाय के मूत्र की कमी खलती थी। प्राकृतिक खेती के लिए पांच नस्ल की देशी गाय विभाग ने मान्य व लाभदायक बताई हैं। इसमें थारपारकर, साहिवाल, रेड सिंधी, गीर व पहाड़ी गाय शामिल है। गाय के गोबर को तो सोने की खान माना गया है, क्योंकि इसमें करोड़ों जीवाणुओं का वास होता है, जो भूमि की उर्वरा शक्ति को लगातार बनाए रखते हैं। प्राकृतिक खेती के विशेषज्ञ कहते हैं कि प्राकृतिक खेती रसायन मुक्त, कम लागत अधारित, भूमि की उर्वरा, शक्ति को बनाए रखती है। कई फार्मर ऐसे भी है, जिन्होंने गाय की नस्ल खरीद को लेकर विभाग में सबसिडी के लिए अप्लाई किया है, लेकिन बिना रजिस्ट्रेशन के अप्लाई करने वाले सैकड़ों किसानों के आवेदन विभाग रद्द कर रहा है।

रेड सिंधी, साहिवाल की बढ़ी डिमांड

प्राकृतिक खेती से जुड़े किसान रेड सिंधी व साहिवाल नस्ल की गाय ज्यादा लेना चाहते हैं। यही वजह है कि इन दोनों गउओं की डिमांड विभाग में ज्यादा बढ़ी है।


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