पहाड़ी और घाटी में कई ऐसे सामंत थे जो ठाकुर कहलाते थे

By: Jul 31st, 2019 12:02 am

पहाड़ी-पहाड़ी और घाटी-घाटी में कई सामंत थे जो ठाकुर कहलाते थे। इन ठाकुरों और सामंतों के न इतने बड़े साधन थे और न जनसंख्या, परंतु इनमें आपस में सदा लड़ाई-झगड़े होते रहते थे। इनके आपसी द्वेष से लाभ उठाकर मैदानों से भागकर आए राजपूत उद्यमियों ने इन्हें अपने अधीन कर लिया। यही बात कर्ण चंद के पुत्र अमर चंद और उनके वंशजों पर लागू होती है…

 गतांक से आगे …

जुब्बल रियासत :

अमर चंद :

इस समय जो सामग्री विभिन्न स्रोतों से प्राप्त है, उसमें जुब्बल के संस्थापक कर्ण चंद (लगभग 12वीं शताब्दी का आरिंभक काल)  के पश्चात अमर चंद का नाम आता है। यहां पर यह बात देखने योग्य है कि मैदानी भाग से आए नवागंतुक राजपूत लोगों ने पहले ही से बसे शत-प्रतिशत मूल निवासियों-खशों तथा शिल्पकारों को किस प्रकार अपने अधीन किया, पहाड़ी-पहाड़ी और घाटी-घाटी में कई सामंत थे जो ठाकुर कहलाते थे। इन ठाकुरों और सामंतों के न इतने बड़े साधन थे और न जनसंख्या, परंतु इनमें आपस में सदा लड़ाई-झगड़े होते रहते थे। इनके आपसी द्वेष से लाभ उठाकर मैदानों से भागकर आए राजपूत उद्यमियों ने इन्हें अपने अधीन कर लिया। यही बात कर्ण चंद के पुत्र अमर चंद और उनके वंशजों पर लागू होती है। अमर सिंह ने झांई नाम के एक उद्यमी व्यक्ति को अपना मंत्री बनाया। झांई ने अपने स्वामी के लिए पुंदर क्षेत्र के माटल गांव के मुखिया से बात की कि यदि वह पुंदर के लोगों को उसके ठाकुर बहगाणु के विरुद्ध भड़का दे और राणा अमर चंद की अधीनता स्वीकार कर ले तो उसे उस क्षेत्र का ‘महता’ (मुखिया) बना दिया जाएगा।  इसकी पुष्टि के लिए सभी को पुंदर के नाग देवता के मंदिर में राणा के पक्ष में शपथ लेनी होगी। यदि ठाकुर बहगाणु उन्हें किसी प्रकार से कष्ट पहुंचाएगा तो राणा अमर चंद उनकी सहायता करेगा और अपने कुछ व्यक्तियों को उनकी मदद के लिए ‘बमटा किला’ में रखेगा। पुंदर के लोगों ने ठाकुर बहगाणु की लूट मार से तंग आकर राणा अमर चंद का आधिपत्य स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही राणा ने कुछ समय के लिए बमटा किला में रहना आरंभ कर दिया। इसी प्रकार झांई मंत्री ने शाक परगना के लोगों को भी अपनी ओर करके अमर चंद के राज्य की सीमाएं बढ़ा लीं। अंबू चंद ने परगना चौपाल के गांव बोदना के चंदेल परिवार के एक मुखिया को अपने साथ मिलाकर उससे कहा कि यदि वह भी भांति परगना चांजू, बड़गांव और शंठा  के लोगों को उनके शरण नाम के ठाकुर के विरुद्ध करके इस क्षेत्र को जुब्बल में मिलाने में सहायता करेगा तो उसे भी मंत्री बना दिया जाएगा और उस क्षेत्र का प्रशासन उसके हाथ में दिया जाएगा। जब ठाकुर शरण का क्षेत्र जुब्बल ठकुराई में मिला लिया गया तो राणा अंबू चंदने चंदेल परिवार के एक व्यक्ति को भी अपना मंत्री बना लिया और उसी क्षेत्र का कार्यभार उसे सौंप दिया। बाद में इस मंत्री के वंराज ‘गदाहु’ कहलाए जाने लगे। 


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