पहाड़ों की रानी में फिर बंदरों का आतंक

By: Jul 23rd, 2019 12:05 am

शिमला—राजधानी शिमला में एक बार फिर से बंदरों का आतंक शुरू हो गया है। यहां हर तीसरे दिन किसी न किसी व्यक्ति को बंदर अपना शिकार बना रहे हैं, जिस कारण स्थानीय लोगों के साथ-साथ सैलानियों के लिए भी मुसीबत खड़ी हो चुकी है। हालांकि वन विभाग की वाइल्ड लाइफ विंग का दावा था कि शिमला में खूंखार बंदरों से निजात दिलाने के लिए मंकी वाचर तैनात कर दिए हैं, लेकिन बंदरों से निपटने में असफल रहे। प्राप्त जानकारी के मुताबिक शिमला में पिछले सप्ताह पांच लोगों को बंदरों द्वारा काटने के मामले प्रकाश में आए। हालांकि पिछले दो वर्षों तक नगर निगम शिमला के दायरे में खूंखार बंदरों को मारने की अनुमति मिली थी, लेकिन एक भी बंदर नहीं मारा गया। गौरतलब है कि शिमला में खूंखार बंदरों को मारने के लिए दो बार केंद्र सरकार से अनुमति भी मिल चुकी थी, लेकिन एक भी बंदर नहीं मारा गया। बताया जा रहा है कि बंदरों की संख्या कम होने की स्थिति में खूंखार लंगूरों का आतंक भी कम हो जाता है। वन विभाग की वाइल्ड लाइफ विंग से मिली जानकारी के मुताबिक बंदरों के साथ-साथ लंगूरों से निपटने के लिए नया तरीका अपनाया जाएगा। इसके लिए वन विभाग यूपी और राजस्थान से दो टीमें आमंत्रित करेगा, जो बंदरों एवं लंगूरों के ग्रुप और उनके रहने का प्रमुख अड्डा को खत्म करेगी। हालांकि पिछले दो सालों से नगर निगम शिमला सहित प्रदेश की 38 तहसीलों में बंदरों को मारने की अनुमति दी गई थी, लेकिन एक भी बंदर नहीं मारा गया। ऐसे में अब वन विभाग ने नया तरीका तलाश लिया है। यूपी और राजस्थान से आने वाली टीम शिमला सहित प्रदेश के अन्य शहरों में बंदर और लंगूरों के ग्रुप को खत्म कर उन्हें किसी दूसरे स्थान पर ले जाएगी। प्राप्त जानकारी के मुताबिक 2015 में हुई गणना के मुताबिक प्रदेश में दो लाख सात हजार बंदर हैं, जिसमें से एक लाख 70 हजार बंदरों की नसबंदी हो चुकी है।

बंदर मारने को केंद्र से मंजूरी का इंतजार

प्रदेश सरकार ने नगर निगम शिमला के दायरे में खूंखार बंदरांे को मारने के लिए केंद्र सरकार को फिर से प्रस्ताव भेजा है, लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से जल्द ही संकेत मिलने की संभावना है। वन विभाग ने राजधानी शिमला में लोगों को बंदरों के आतंक से निजात दिलाने के लिए नौ मंकी वॉचर्स तैनात किए हैं। हैरानी इस बात की है कि इन मंकी वॉचर्स ने एक भी बंदर नहीं मारा। लोगों की सुरक्षा के लिए ही नौ मंकी वॉचर्स को ईको बटालियन कुफरी से शिमला में तैनाती दे दी गई।


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