मरीज को 18 रुपए की गोली 26 में बेच रही सिविल सप्लाई
शिमला —आईजीएमसी की सिविल सप्लाई में मरीजा़ें को महंगी दवा देने के गोलमाल से संबंधित खबर ‘दिव्य हिमाचल’ में प्रकाशित होने के बाद सिविल सप्लाई ने शनिवार को अस्पताल में अपनी दवा दुकानों पर छापा मारा है। इसमें सभी दवा दुकानों की दवा के रिकार्ड को खंगाला गया है। निगम के मुताबिक अनियमितताओं पर कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान मौके पर मिले बिलों से चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इसमें मरीजों को डिस्काउंट के नाम पर गोलमाल सामने आया है। बिल के मुताबिक जब एक मरीज को ओगूक्लेव 625 एमजी दी गई, तो उसमें मरीज़ को दस फीसदी डिस्काउंट दिया गया, लेकिन इय दवा में प्रति गोली की कीमत डिस्काउंट के बाद भी 26 रुपए थी, जो काफी महंगी है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नंबर वन ब्रांड ग्लोक्सो की एक दवा की गोली की कीमत महज़ 18 रुपए है। गौर हो कि जब सिविल सप्लाई की दुकानें अस्पतालों में शुरू की गई थीं तो उनका मकसद मरीज़ों को छूट के साथ दवाएं देने की शर्त तय की गई थी, लेकिन अब प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में इस शर्त का पालन होता नहीं दिख रहा है। चिंता का विषय तो यह है कि चिकित्सकों को सॉल्ट नेम लिखने के लिए बाध्य किया जा रहा है, लेकिन इसका फायदा मुनाफाखोर उठा रहे हैं। ब्रांडेड दवाआें की बड़ी कंपनी अकसर अपनी दवाआें की गुणवत्ता को लेकर गंभीर होती है। गौर हो कि बिल में यह भी सामने आया है कि अन्य ब्रांडेड दवा में काफी छूट दी गई है।
डाक्टर कई बार वापस भेजते हैं दवा
आईजीएमसी में कई बार ये भी सामने आया है कि डाक्टर की लिखी दवाएं जब दुकानों से सही नहीं दी जातीं तो मरीज़ को दोबारा दवाएं लेने के लिए भेजा जाता है। जब प्रदेश सरकार ने चिकित्सकों क ा सॉल्ट नेम लिखने के लिए बाध्य किया गया है, तो उसमें दवा कीमत के साथ गुणवत्त्ता तय क्यों नहीं की गई है ? डाक्टर सॉल्ट नेम से दवा लिख रहे हैं और मरीज़ को अस्पताल परिसर में ही खुली सिविल सप्लाई की दवा दुकानों में महंगी दवाएं थमाई जा रही हैं।
आईजीएमसी प्रशासन से शिकायत
मामले की शिकायत आईजीएमसी प्रशासन को भी संबंधित डाक्टरों द्वारा की गई है। बताया जा रहा है कि आईजीएमसी में इलाज करवाने आए एक निम्न तबके के मरीज़ को एंटीबायोटिक दवा लिखी गई। एमोक्सीक्लेव 625 एमजी के नाम से य दवा लिखी गई, लेकिन मरीज़ को सिविल सप्लाई शॉप से ओगूक्लेव 625 एमजी थमा दी गई। इसकी कीमत दस गोलियों की 453 रुपए थी। जो छूट के बाद दी गई। चौंकाने वाली बात यह है कि यदि इस ओगूक्लेव दवा में लेक्टोबैसिल्स भी डाला गया है तो भी उसकी क ीमत भी 453 रुपए नहीं हो सकती है। बाजा़र में एक लेक्टोबैसिल्स दवा की नामी कंपनी की एक गोली की कीमत मह़ज दस रुपए ही है।
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