विजयी भव! यशस्वी भव!

By: Jul 24th, 2019 12:02 am

अशोक गौतम

साहित्यकार

अभी घर से सौ कदम पढ़ाने के भूले तरीकों को याद करता निकला ही था कि अचानक किसी की आवाज आई। पर पता ही न चला कि यह आवाज आगे से आ रही है या पीछे से, ऊपर से या नीचे से। असल में क्या है कि सच कहने वाली आवाजों का पता ही नहीं चलता कि वे कहां से आ रही होती हैं। यह कौन आवाज दे रहा है, होने वाले मास्टर को? मैंने धमकाते पूछा, तो पता चला कि वह आवाज नहीं, आकाशवाणी थी। मां सरस्वती आकाश से कह रही थीं ‘मैं सरस्वती! बधाई, मास्टर हो गए। पर बीस साल पहले का पढ़ा कुछ याद भी है कि नहीं? तो मैंने दुस्साहसी हो कहा- सब कामों में सबसे सरल काम पढ़ाना ही तो है। पढ़ाया तो पढ़ाया, नहीं तो न पढ़ाया। वैसे भी पढ़ाने वालों से अधिक चांदी तो न पढ़ाने वाले कूट रहे हैं मैया। तो जानते हो तुम क्या करने जा रहे हो पुत्र? बीस साल पहले पढ़ने के बाद आज बच्चों को पढ़ाने जा रहा हूं, मैंने कहा तो आकाश से ही मां सरस्वती ने पूछा- क्या बच्चों से न्याय कर पाओगे? मेरे साथ कौन सा न्याय हुआ जो… मुझे गुस्सा आ गया यार! अभी स्कूल के दरवाजे तक भी नहीं पहुंचा और जनता, शासन को तो छोड़ो, विद्या की देवी ने ही डराना शुरू कर दिया। जानते हो तुम कहां जा रहे हो? जानता हूं, कह मैंने जेब से चिट्ठी निकाली और आकाश से बातें कर रही मां सरस्वती की ओर हवा में लहराई, तो मां हंसी, किस पर हंसी वह ही जानें। मुझ पर या व्यवस्था पर। तुम नहीं जानते तुम कहां जा रहे हो? मतलब? मतलब तुम स्कूल में पढ़ाने नहीं, पढ़ाने के बहाने कार्रवाइयों की ओखली में सिर देने जा रहे हो। मतलब? तुम उस स्कूल के मास्टर होने जा रहे हो, जिस गिरते स्कूल को कान्वेंट की तरह बनाना है। ‘तो क्या! बना दूंगा। इतने बरसों में हमने हर एक का बनाया ही तो है, मैंने सगर्व कहा तो वे बोलीं- तुम उस स्कूल में जा रहे हो, जहां बच्चों के लिए गांववालों से बार-बार पिटने के बाद भी संपर्क न किया, तो कार्रवाई। बच्चों को समय पर मिड-डे मील न दिया, तो कार्रवाई बच्चों को फेल किया, तो कार्रवाई। बच्चों को नकल न करवाने पर बच्चों के अभिभावकों द्वारा कार्रवाई। बच्चों को नकल करवाई, तो उनके द्वारा कार्रवाई। राशन समय पर स्कूल न आया, तो कार्रवाई। हाउसहोल्ड सर्वे न हुआ, तो कार्रवाई। अपने को ढूंढना छोड़ बच्चों को नहीं ढूंढा, तो कार्रवाई। स्कूल में जून महीने में भी पौधे न लगवाए, तो कार्रवाई। बच्चों को भोजन बनाने के लिए प्रधान के बंदे का हाथ न बटाया, तो कार्रवाई। अपनी मरम्मत छोड़ स्कूल की मरम्मत न करवाई, तो कार्रवाई। अपने कमरे को भगवान भरोसे छोड़ स्कूल की चौकीदारी न की, तो कार्रवाई। स्कूल की जमीन को अतिक्रमण से न रोका, तो कार्रवाई। रोका तो कार्रवाई। स्कूल में बच्चों का नामांकन न बढ़ा, तो कार्रवाई। पर मां! देश की जनसंख्या तो अब रुक रही है। ऐसे में स्कूल में और बच्चे कहां से आएंगे? चुप! कोई सुन लेगा और बच्चों की यूनीफार्म, बैग, जूते, मौजे, स्वेटर का हिसाब अलग से और हां! जबरदस्ती बच्चों का नामांकन बढ़वाकर बच्चों की उपस्थिति पूरी नहीं की, तो… कार्रवाई। हे मां, मैं आखिर जा कहां रहा हूं? बेसिक स्कूल का मास्टर हो बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देने, विजयी भव! यशस्वी भव।


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