हमेशा याद रहेगा हंसता नूरानी चेहरा

By: Jul 21st, 2019 12:03 am

पंजाब में जन्मीं; दिल्ली से की पढ़ाई, ऐसा रहा यूपी की बहू का जीवन

दिल्ली में विकास को नया आयाम देने वाली पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। वह दिल्ली की सबसे लंबे तक मुख्यमंत्री रहीं। 15 साल के कार्यकाल में दिल्ली का कायाकल्प करने का श्रेय भी उन्हें दिया जाता है। अपने कुशल नेतृत्व और तजुर्बे से उन्होंने पार्टी को नए मुकाम तक पहुंचाया…

शीला दीक्षित

31 मार्च, 1938-20 जुलाई, 2019

जुझारू प्रकृति और मिलनसार व्यक्तित्व की धनी शीला दीक्षित पिछले दो दशक में दिल्ली कांग्रेस की पर्याय बन चुकी थी। कांग्रेस को राष्ट्रीय राजधानी में लगातार तीन बार सत्ता में लाने वाली श्रीमती दीक्षित सबसे लंबे समय तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। इस दौरान उन्होंने दिल्ली के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हुए उसकी कायापलट दी। मिलनसार तथा मृदुभाषी श्रीमती दीक्षित के सभी राजनीतिक दलों के साथ अच्छे संबंध थे और केंद्र में किसी भी दल की सरकार रही हो , मुख्यमंत्री रहते हुए उसके साथ उनका अच्छा तालमेल रहा। पंजाब के कपूरथला में 31 मार्च, 1938 को जन्मी श्रीमती दीक्षित ने नई दिल्ली के जीसस एंड मेरी स्कूल से स्कूली शिक्षा पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से इतिहास में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की। वह राजनीति के साथ-साथ समाज सेवा से भी जुड़ी रही। उनका विवाह 11 जुलाई, 1962 को विनोद कुमार दीक्षित से हुआ, जो भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। उनके ससुर दिवंगत उमा शंकर दीक्षित केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके थे। उन्हें ‘यूपी की बहू’ भी कहा जाता है। वर्ष 2013 में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के हाथों नई दिल्ली विधानसभा सीट पर चुनाव हारने के बाद कुछ समय के लिए वह सक्रिय राजनीति से बाहर रहीं, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने एक बार फिर उन पर भरोसा दिखाते हुए प्रदेश कांग्रेस की कमान उनके हाथ में सौंपी। उन्होंने सामने से नेतृत्व करते हुए खुद भी चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया, लेकिन कांग्रेस के हाथ सात में से एक भी लोकसभा सीट नहीं आई। 

1984 में कन्नौज से लड़ा था पहला चुनाव

शीला दीक्षित को कांग्रेस की भरोसमंद नेता माना जाता था। उन्होंने अपना पहला चुनाव 1984 में लड़ा था। जहां उन्होंने कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ा और संसद पहुंच गईर्ं। यहां उन्होंने सपा के छोटे सिंह यादव को हराया था, जिसके बाद उन्हें राजीव गांधी की कैबिनेट में संसदीय कार्य मंत्री के रूप में जगह मिली। वह 1986 से 1989 के बीच संसदीय कार्य राज्य मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री रहीं। 1998 में उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था। 1998 के लोकसभा चुनाव में शीला कांग्रेस के टिकट पर पूर्वी दिल्ली से चुनाव मैदान में उतरीं थीं, लेकिन वह हार गईं। बाद में दिल्ली में हुए चुनाव में उन्होंने न सिर्फ जीत दर्ज की, बल्कि मुख्यमंत्री भी बन गईं।

लगातार 15 साल तक संभाली दिल्ली की कमान

शीला दीक्षित लगातार 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं, जो कि एक रिकॉर्ड है। बता दें, वह 1998, 2003 और 2008 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को जीत दिलाने सफल रहीं और तीन दिसंबर, 1998 से चार दिसंबर, 2013 तक मुख्यमंत्री पद पर रहीं, जो एक रिकॉर्ड है।

ससुर से सीखी राजनीति की एबीसीडी 

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अब हमारे बीच में नहीं रहीं। 15 साल तक वह दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। दिल्ली के विकास में उनका अहम योगदान है, जो भुलाया नहीं जा सकता है। पढ़ाई के दौरान शीला युवावस्था से ही राजनीति में दिलचस्पी लेने लगी थीं। शीला दीक्षित की शादी उन्नाव के रहने वाले कांग्रेस नेता उमाशंकर दीक्षित के आईएएस बेटे विनोद दीक्षित से हुई थी। उनकी और विनोद की मुलाकात उस वक्त हुई थी, जब वह दिल्ली यूनिवर्सिटी से प्राचीन इतिहास की पढ़ाई कर रही थीं। बता दें उनके एक बेटा और बेटी हैं। बेटे का नाम संदीप दीक्षित जो सांसद रह चुके हैं। बेटी का नाम लतिका सैयद हैं। शीला दीक्षित ने राजनिति के गुर अपने ससुर उमाशंकर दीक्षित से सीखे थे, जो कानपुर कांग्रेस में सचिव थे। इंदिरा राज में उमाशंकर दीक्षित देश के गृहमंत्री थे। वहीं अपने ससुर के साथ शीला दीक्षित भी राजनीति में सक्रिय हो गईं। राजनीति की एबीसीडी उन्होंने कांग्रेस में लगातार मजबूत होते अपने ससुर से सीखी। एक रोज ट्रेन में सफर के दौरान उनके पति की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी।

यादों की विरासत

सियासी जगत में शोक

*  शीला दीक्षित के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ। उनका कार्यकाल राजधानी दिल्ली के लिए महत्त्वपूर्ण परिवर्तन का दौर था, जिसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।   

रामनाथ कोविंद, राष्ट्रपति

*  शीला दीक्षित शानदार व्यक्तित्व की धनी महिला थीं। उन्होंने दिल्ली के विकास में अहम योगदान दिया। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री 

*  शीला दीक्षित बड़ी कांग्रेसी नेता थीं, जो अपने स्वभाव के लिए जानी जाती थीं। पार्टी लाइन से ऊपर उठकर शीला जी का काफी सम्मान किया जाता था।राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री

*  शीला दीक्षित के निधन की खबर सुनकर बेहद दुखी हूं। वह कांग्रेस पार्टी की प्यारी बेटी थीं। अपने तीन कार्यकाल में उन्होंने काफी अच्छा काम किया। मैं निजी तौर पर उनके बेहद करीब था।

राहुल गांधी

*  शीला जी के निधन से गहरा दुख हुआ। उन्होंने मुझे प्यार किया, उन्होंने दिल्ली और देश के लिए जो कुछ भी किया, लोग उसे याद रखेंगे। वह पार्टी की एक बड़ी नेता थीं।       

प्रियंका गांधी वढेरा, कांग्रेस महासचिव 

*  शीला दीक्षित के अचानक गुजर जाने की बात सुनकर हैरान हूं। आज देश ने जनता के लिए समर्पित नेता को खो दिया।         

मनमोहन सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री

मैं हाल ही में शीला दीक्षित से मिला था, यह एक बड़ा झटका है। मुझे याद है कि कैसे उन्होंने एक मां की तरह मेरा स्वागत किया था। दिल्ली को उनकी याद आएगी।             मनोज तिवारी, अध्यक्ष (दिल्ली बीजेपी) 

*  शीला दीक्षित का निधन बहुत बड़ी क्षति है। उनका निधन देश और दिल्ली कांग्रेस के बहुत बड़ा नुकसान है।         

मंगतराम सिंघल, कांग्रेस नेता

*  शीला दीक्षित के निधन की खबर अत्यंत दुखद है। दिल्ली के मुख्यमत्री के तौर पर शीला दीक्षित ने शानदार काम किया। भागवान उनकी आत्म को शांति दे।उमर अब्दुल्ला, नेशनल कान्फें्रस के नेता

*  शीला दीक्षित जी के आकस्मिक निधन के बारे में जानकर दुख हुआ। हम राजनीति में विरोधी थे, लेकिन निजी जीवन में दोस्त थे। वह एक बेहतरीन इनसान थीं।सुषमा स्वराज, पूर्व विदेश मंत्री


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