हूम मेले में जली 70 फुट लंबी मशाल
कनौन में देवी भगवती के मंदिर में देव कारज देखने को उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
कुल्लू—सैंज घाटी की उपतहसील सैंज की ग्राम पंचायत कनौन में हूम मेले में देव परंपरा की अनूठी मिसाल देखने को मिली। देवता ब्रह्मा व देवी भगवती के हूम मेले में देव हारियानों द्वारा लगभग 70 फुट लंबी लकड़ी की जलती मशाल को कंधे पर उठाकर देव कार्यविधिनुसार गांव की परिक्रमा कर देव कारज को निभाया। इस देव कारज को देखने के लिए कनौन में देवी भगवती के मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं ने हाजिरी भरी। मान्यता है कि इस दिन देवी भगवती ज्वाला रूप धारण कर सभी की मनोकामना पूरी करती हैं। काबिले गौर है कि हर वर्ष आषाढ़ महीने में देवी भगवती लक्ष्मी व देवता ब्रह्मा अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए हूम, जगराते पर्व का आयोजन करते हैं। देवी के गूर झावे राम ने बताया कि क्षेत्र में घटने वाली प्राकृतिक आपदा व बुरी आत्माओं तथा भूत पिशाच की नजरों से बचने के लिए इस हूम पर्व का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस पर्व में मशाल जलाने का कारण यह है कि देवी भगवती इस मशाल में ज्वाला रूप धारण कर उक्त परिस्थितियों से निजात दिलाती हंै। सोमवार को कनौन गांव से देवी भगवती व ऋषि ब्रह्मा के रथ को पूरे लाव-लश्कर के साथ माता के मंदिर देहुरी गांव पहुंचाया। वहां देव पूजा-अर्चना कर रात्रि 12 बजे के करीब यह देव कार्य शुरू हुआ। मंदिर के पास देव हारियानों द्वारा बनाई गई लगभग 70 फु ट लंबी मशाल को देव आज्ञानुसार जलाया गया। इस जलती मशाल को देवता के कारिंदों ने कंधे पर उठा कर मंदिर के चारों ओर परिक्रमा कर लगभग एक किलोमीटर दूर कनौन गांव पहुंचाया, वहां गांव के बीच इस मशाल को खड़ा कर देव खेल निर्वाह हुआ और जलती मशाल के साथ देवी भगवती के गूर व उसके अंग संग चलने वाले शूरवीर देवता बंशीरा, खोडू, पंाचवीर तथा जहल देवता के गूरों ने देव नृत्य कर देव परंपरा को निभाया, उसके पश्चात देव हारियानों ने देव कारज संपन्न होने के पश्चात इस जलती मशाल को खड़ा कर पूरी रात कुल्लवी नाटी नाचकर श्रद्धालुओं का खूब मनोरंजन किया।
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