अगस्‍त क्रांति 9 अगस्‍त 1942

By: Aug 7th, 2019 12:19 am

भारत के इतिहास में 9 अगस्त के दिन को अगस्त क्रांति दिवस के रूप में जाना जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध में समर्थन लेने के बावजूद जब अंग्रेज भारत को स्वतंत्र करने को तैयार नहीं हुए तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के रूप में आजादी की अंतिम जंग का ऐलान कर दिया जिससे ब्रितानिया हुकूमत में दहशत फैल गई। 9 अगस्त, सन् 1942 ई. में इस आंदोलन की शुरुआत हुई थी, इसलिए 9 अगस्त के दिन को इतिहास में अगस्त क्रांति दिवस के रूप में जाना जाता है। यह आंदोलन मुंबई के जिस पार्क से शुरू हुआ उसे अब अगस्त क्रांति मैदान के नाम से जाना जाता है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए 4 जुलाई, सन् 1942 ई. को एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया कि यदि अंग्रेज भारत नहीं छोड़ते हैं, तो उनके खिलाफ व्यापक स्तर पर नागरिक अवज्ञा आंदोलन चलाया जाए।

समर्थन

पार्टी के भीतर इस प्रस्ताव को लेकर मतभेद पैदा हो गए और प्रसिद्ध कांग्रेसी नेता चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने पार्टी छोड़ दी। पंडित जवाहरलाल नेहरू और मौलाना अबुल कलाम आजाद प्रस्तावित आंदोलन को लेकर शुरुआत में संशय में थे, लेकिन उन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर अंत तक इसके समर्थन का फैसला किया। वरिष्ठ गांधीवादियों और समाजवादियों जैसे सरदार वल्लभभाई पटेल और डा. राजेंद्र प्रसाद यहां तक कि अशोक मेहता और जयप्रकाश नारायण ने इस तरह के किसी भी आंदोलन का खुलकर समर्थन किया।

प्रस्ताव

आंदोलन के लिए कांग्रेस को हालाकि सभी दलों को एक झंडे तले लाने में सफलता नहीं मिली। इस आह्वान का मुस्लिम लीग, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और हिंदू महासभा ने विरोध किया। 8 अगस्त सन् 1942 ई. को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुंबई सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया गया।

शंखनाद

भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित होने के बारे में ब्रितानिया हुकूमत पहले से ही सतर्क थी इसलिए गांधीजी को अगले ही दिन पुणे के आगा खान पैलेस में कैद कर दिया गया। अहमदनगर किले में कांग्रेस कार्यकारी समिति के सभी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर बंद कर दिया गया। लगभग सभी नेता गिरफ्तार कर लिए गए, लेकिन युवा नेत्री अरुणा आसफ अली गिरफ्तार नहीं की गई और मुंबई के गवालिया टैंक मैदान में उन्होंने सन् 1942 ई. को तिरंगा फहराकर गांधीजी के भारत छोड़ो आंदोलन का शंखनाद कर दिया।


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