एक हिंदुस्तान…एक संविधान…एक निशान…एक विधान

By: Aug 6th, 2019 12:05 am

जन्नत की नई सुबह

बदल गया जम्मू-कश्मीर

पहले

जम्मू-कश्मीर राज्य

अनुच्छेद 370 हटाया

अलग संविधान

विशेष राज्य का दर्जा

धारा 35-ए लागू

धारा 356 लागू नहीं होती

दोहरी नागरिकता

राज्य की एक विधानसभा

लद्दाख राज्य का हिस्सा

अलग ध्वज

पुलिस सीएम के पास

राज्य का राज्यपाल

राज्यपाल शासन का अधिकार

अल्पसंख्यकों को आरक्षण नहीं

विधानसभा की मियाद छह साल

बाहरी लोगों के जमीन लेने पर पाबंदी

अब

राज्य के दो हिस्से

सिर्फ अनुच्छेद 370 का खंड एक लागू

देश का एक संविधान होगा

केंद्र शासित प्रदेश

धारा 35-ए हटाई

धारा 356 लागू होगी

भारत के नागरिक

जे एंड के की विधानसभा लद्दाख की नही

जम्मू-कश्मीर, लद्दाख दोनों केंद्र शासित प्रदेश

तिरंगा होगा राष्ट्रध्वज

पुलिस राज्यपाल को करेगी रिपोर्ट

जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल लद्दाख का उपराज्यपाल

राष्ट्रपति शासन का अधिकार

अल्पसंख्यकों को आरक्षण

विधानसभा की मियाद पांच साल

बाहरी लोग खरीद सकेंगे जमीन

दो हिस्सों में बंटा जम्मू-कश्मीर

जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार का पंच

1 अनुच्छेद 370 हटेगा

2 धारा 35-ए हटाई

3 जम्मू-कश्मीर से लद्दाख अलग

4 जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश

5 लद्दाख भी केंद्र शासित प्रदेश

साथी

* एआईएडीएमके

* बीजू जनता दल

* शिवसेना

* बसपा

* वाईएसआर कांग्रेस

* आम आदमी पार्टी

* टीडीपी

* जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़

विरोधी

* कांग्रेस

* माकपा

* राजद

* एमडीएमके

* डीएमके

* तृणमूल कांग्रेस

* समाजवादी पार्टी

* जेडीयू

समर्थन में मिलाया हाथ

भारत माता की ताकत बढ़ी

बीजू जनता दल ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के संकल्प का स्वागत करते हुए सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर सही मायनों में आज भारत का अभिन्न अंग बना है। पार्टी सांसद प्रसन्न आचार्य ने कहा कि इस फैसले से भारत माता की ताकत बढ़ी है। उन्होंने कहा कि हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं, जब पाकिस्तान के अधीन वाले कश्मीर के हिस्से को भारत में मिलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम भले ही क्षेत्रीय दल हैं और क्षेत्रीय आकांक्षाएं रखते हैं, किंतु जब देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा की बात हो तो हम पूरे देश के साथ हैं। आचार्य ने कहा कि इस इस संकल्प का स्वागत करते हैं। जम्मू-कश्मीर सही मायनों में आज भारत का अभिन्न अंग बना है।

मुस्लिमों, दलितों, पिछड़ों को मिलेगा हक

बीएसपी सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि चूंकि अुच्छेद 370 खत्म होने से पूरे देश के मुस्लिमों को जम्मू-कश्मीर में बसने और वहां प्रॉपर्टी बनाने का अधिकार होगा, इसलिए पार्टी प्रमुख मायावती ने इसका समर्थन करने का फैसला किया। मिश्रा ने कहा कि हमने पहले भी कहा था कि हम इस बिल का समर्थन करते हैं। इसका कुछ कारण बताना चाहते हैं। सिर्फ जम्मू-कश्मीर में ही माइनॉरिटी कम्यूनिटी के लोग नहीं रहते हैं। मुस्लिम कम्यूनिटी जितनी जम्मू-कश्मीर में रहती है, उससे कहीं ज्यादा तादाद में पूरे देश में रहती है। लेकिन, जम्मू-कश्मीर में अपनी प्रॉपर्टी बनाएं, वहां के वाशिंदे बनें, उनका यह हक अभी तक छिना हुआ था, लेकिन, अब देशभर के मुस्लिमों, दलितों, पिछड़ों को यह हक मिल गया कि वे जम्मू-कश्मीर में बस पाएंगे और वहां अपनी प्रॉपर्टी बना पाएंगे।

कहा था हाथ जल जाएगा, जला कर देखें

शिवसेना ने सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि सही मायने में जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय आज ही हुआ। पार्टी सांसद संजय राउत ने कहा कि जो 70 साल से लटका पड़ा था, आज उस पर फैसला लेकर बहुत बड़ा निर्णय लिया गया। 1947 में नहीं, सही मायने में आज ही जम्मू-कश्मीर का विलय हुआ है। उन्होंने पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती की धमकियों का भी जिक्र किया और उन्हें चुनौती दी कि जो करना है, करके दिखाएं। उन्होंने कहा कि कहा गया अुच्छेद 370 को छूने वाले हाथ जल जाएंगे, जलाइए। आज से धमकी की भाषा खत्म होनी चाहिए। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी यहां क्यों बैठे हैं।

कश्मीर में खुशहाली आएगी

आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अुच्छेद 370 हटाने के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि हम जे एंड के पर सरकार के फैसले का समर्थन करते हैं। उम्मीद है कि इससे राज्य में शांति और खुशहाली आएगी। वहीं, राज्यसभा में पार्टी के सांसद सुशील कुमार गुप्ता ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाना देश हित में है। आम आदमी पार्टी देश में अलगाववाद का विरोध करती है, इसलिए हम सरकार के फैसले का समर्थन करते हैं। उन्होंने राज्यसभा में पीडीपी सांसद द्वारा संविधान की प्रति फाड़ने की कोशिश की भी निंदा की।

सरकार का फैसला पूर्णतः संवैधानिक

एआईएडीएमके सांसद ए नवनीतकृष्णन ने पार्टी का पक्ष रखते हुए कहा कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर को लेकर सरकार द्वारा सदन में पेश किए गए सारे विधेयकों का समर्थन कर रही है। उन्होंने संविधान की अुच्छेद 370 के खंड 2 और खंड 3 का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार का फैसला पूर्णतः संवैधानिक है।

विरोध में उठी आवाज

जम्मू-कश्मीर के टुकड़े करना ऐतिहासिक भूल, पछताओगे

पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने के सरकार के कदम को ऐतिहासिक भूल करार देते हुए कहा कि इसके गंभीर परिणाम होंगे और वह अपने इस निर्णय पर पछताएगी। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने से संबंधित सांविधिक संकल्प और राज्य को दो हिस्सों में बांटने वाले विधेयक पर सोमवार को राज्यसभा में एक साथ हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए चिदंबरम ने कहा कि जब राजा हरि सिंह के साथ समझौता हुआ था, तो यह पूरा राज्य भारत को मिला था। यह उस समझौते का उल्लंघन तो है ही इससे देश के अन्य राज्यों में भी गलत संदेश जाएगा। यह देश की स्वतंत्र, लोकतांत्रिक, उदारवादी और धर्मनिरपेक्ष छवि के विपरीत है। उन्होंने कहा कि सरकार को यह कदम उठाने से पहले वहां के लोगों तथा नेताओं को विश्वास में लेना चाहिए था।

केंद्रशासित प्रदेश बनाने की क्या जरूरत थी

समाजवादी पार्टी ने सरकार के फैसले का विरोध करते हुए पूछा कि आर्टिकल 370 हटाने के लिए राज्य को केंद्रशासित प्रदेश बनाने की क्या जरूरत थी? उन्होंने कहा कि मैं तो आर्टिकल 370 हटाने के पक्ष में भी नहीं हूं, लेकिन अगर आर्टिकल 370 हटना ही था तो हटा देते, लेकिन राज्य का दर्जा क्यों हटा दिया?

आरजेडी बोली, फिलिस्तीन बनेगा कश्मीर

आरजेडी ने संविधानी की अनुच्छेद 370 हटाए जाने का विरोध करते हुए कहा कि वह जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय का इतिहास जानते हैं। उन्होंने 1956 में पंडित जवाहरलाल नेहरू और फिर 1966 में इंदिरा गांधी को लिखी जयप्रकाश नारायण की चिट्ठियां पढ़ीं और कहा कि कश्मीर समस्या केंद्र सरकार की गलतियों की उपज है। उन्होंने कहा कि आज कश्मीर को फिलिस्तीन बनाने का फैसला हुआ।

बीजेपी ने संविधान के खिलाफ किया काम

सीपीआई(एम) ने सरकार के फैसले का विरोध करते हुए इसे गैर-संवैधानिक करार दिया। पार्टी सांसद टीके रंगराजन ने कहा कि हमारी पार्टी ने चुनाव से पहले ही कहा था कि बीजेपी-आरएसएस संविधान को खत्म कर देंगे। आज वही हुआ। उन्होंने कहा कि आपने जम्मू-कश्मीर की विधानसभा भंग कर दी, वहां राज्यपाल शासन लगा दिया, 35 हजार अर्द्धसैनिक बल भेज दिए, कल आप कुछ भी कर सकते हैं। आप किसी भी राज्य को टुकड़ों में बांट सकते हैं।

कश्मीरियत के साथ दृढ़ता के साथ खड़े

भोपाल। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने सोमवार को कहा कि हम जम्मू-कश्मीर के लोगों और कश्मीरियत के साथ उसी दृढ़ता से खड़े हैं, जितनी दृढ़ता से हम राष्ट्रीय एकता और लोकतंत्र के पक्ष में हैं। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री सिंह ने ट््वीट के जरिए कहा कि देश में तानाशाही की आहट है। खुद सरकार ने भ्रम और आशंका का माहौल बनाया है। केवल तीन लोग जानते हैं, क्या हो रहा है। इस बीच मध्यप्रदेश में भी सभी लोगों की निगाहें टीवी चैनल और समाचार माध्यमों पर टिकी हुई हैं। आम नागरिक भी कश्मीर मुद्दे को लेकर चल रही सरगर्मियों पर केंद्र के फैसले को लेकर उत्सुक दिखाई दे रहे हैं।

जिसे जारी करना था व्हिप, उसी ने ही छोड़ दी कांग्रेस

नई दिल्ली। राज्यसभा में कांग्रेस के व्हिप भुवनेश्वर कलिता ने सोमवार को अपना इस्तीफा दे दिया। भुवनेश्वर कलिता ने कहा कि आज कांग्रेस ने मुझे कश्मीर मुद्दे के बारे में व्हिप जारी करने को कहा, जबकि सच्चाई यह है कि देश का मिजाज पूरी तरह से बदल चुका है और ये व्हिप देश की जन भावना के खिलाफ है। भुवनेश्वर कलिता ने कहा कि पंडित नेहरू ने खुद अनुच्छेद 370 का विरोध किया था और कहा था कि एक दिन घिसते-घिसते यह खत्म हो जाएगा।

नहीं लागू होंगे शरीयत के कानून

अभी तक जम्मू-कश्मीर में महिलाएं सिर्फ शरीयत कानून के दायरे में आती थीं। शादी से लेकर तलाक तक सभी मामले भारतीय संविधान के जरिए सुलझने के बजाय शरीयत से सुलझाए जाते थे। 370 के हटने से उन्हें भी आम भारतीय महिलाओं की तरह ही कानूनी अधिकार मिलेंगे।

भारतीय से शादी करने से नागरिकता पर असर नहीं

जम्मू-कश्मीर की अगर कोई महिला कश्मीर के अलावा देश के किसी दूसरे राज्य में शादी करती है तो उसकी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता ही खत्म हो जाती थी, लेकिन अनुच्छेद 370 लागू होने पर ये नियम पूरी तरह हट जाएगा। महिलाएं न सिर्फ पुरुषों की बराबरी में कानूनों का लाभ उठा सकेंगी, बल्कि हमेशा राज्य की नागरिक भी बनी रहेंगी।

पाकिस्तानी को नहीं मिलेगी नागरिकता

अभी तक जम्मू-कश्मीर में एक नियम और रहा है। नियम के अनुसार अगर कश्मीरी लड़की किसी पाक नागरिक से शादी कर ले तो उक्त व्यक्ति को जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी। इस तरह पाक के लोगों के लिए कश्मीर का नागरिक होने का रास्ता खुला रहता था, लेकिन 370 लागू होने पर पाकिस्तानी को किसी भी हाल में भारत की नागरिकता नहीं मिल सकती।

अनुच्छेद 35-ए

* 35-ए को राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने 14 मई, 1954 को लागू किया।

* तत्कालीन सरकार ने धारा 370 की ताकत इस्तेमाल की थी।

* जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 35-ए, धारा 370 का हिस्सा है।

* राष्ट्रपति से पास होने के बाद संविधान में इसे जोड़ दिया गया।

* जम्मू-कश्मीर में बाहरी राज्यों के लोग संपत्ति नहीं खरीद सकते।

* 14 मई, 1954 को राज्य में रहने वाले लोग ही वहां के नागरिक माने गए। 1954 से दस साल पहले से रहने वाले लोगों को नागरिक माना गया।

* जे एंड के की लड़की के बाहरी से शादी करने पर राज्य की नागरिकता से जुड़े अधिकार खत्म हो जाते हैं। शादी करने पर लड़की के बच्चों के भी जम्मू-कश्मीर में अधिकार नहीं माने जाते।

इसलिए उठी 35-ए हटाने की मांग

* इस अनुच्छेद को संसद के जरिए लागू नहीं किया गया है।

* इस अनुच्छेद की वजह से शरणार्थी अधिकार से वंचित हैं।

* पाक के शरणार्थियों को जम्मू-कश्मीर की नागरिकता नहीं।

* इनमें 80 फीसदी लोग पिछड़े और दलित हिंदू समुदाय के हैं।

* जम्मू-कश्मीर में शादी करने वाली महिलाओं से भेदभाव जारी।

* भारतीय नागरिकों के साथ जम्मू-कश्मीर में भेदभाव होता है।

* जे एंड के में संविधान से मिले अधिकार खत्म हो जाते हैं।

* संविधान सभा से संसद की कार्यवाही तक बिल का जिक्र नहीं।

* अनुच्छेद 35-ए के लिए संविधान संशोधन लाने का भी जिक्र नहीं।

धारा 370 पर विवाद की वजह

* जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता, झंडा भी अलग।

* जे एंड के में राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है।

* सुप्रीम कोर्ट के सभी आदेश जे एंड के में मान्य नहीं होते हैं।

* संसद जम्मू-कश्मीर को लेकर सीमित क्षेत्र में ही कानून बना सकती है।

* रक्षा, विदेश, संचार छोड़कर केंद्र के कानून जे एंड के पर लागू नहीं होते।

* केंद्र का कानून लागू करने के लिए जे एंड के विधानसभा से सहमति जरूरी।

* वित्तीय आपातकाल के लिए संविधान की धारा 360 जे एंड के पर लागू नहीं।

* धारा 356 लागू नहीं, राष्ट्रपति राज्य का संविधान बर्खास्त नहीं कर सकते।

* कश्मीर में हिंदू-सिख अल्पसंख्यकों को 16 फीसदी आरक्षण नहीं मिलता।

* जे एंड के में 1976 का शहरी भूमि कानून लागू नहीं होता है।

* धारा 370 की वजह से कश्मीर में आरटीआई और आरटीई लागू नहीं होता।

* जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल पांच वर्ष नहीं, छह वर्ष होता है।

और हिंदुस्तान के नाम कर दिया कश्मीर

घाटी को पाकिस्तान और भारत से अलग देश बनाना चाहते थे मुस्लिम राज्य के हिंदू शासक हरि सिंह

कश्मीर, जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है और दो देशों के बीच झगड़े की वजह भी बनी हुई है। इतिहास के पन्नों पर कश्मीर की कहानी में कई मोड़ आए। कभी मुस्लिम बहुल इस राज्य में राजा हरि सिंह का सिक्का चलता था। वह इस राज्य को पाकिस्तान और भारत से अलग देश बनाना चाहते थे, लेकिन किस तरह हालातों ने करवट बदली और उन्होंने कश्मीर को भारत के नाम कर दिया। जम्मू और कश्मीर राज्य 86,024 वर्ग मील के कुल क्षेत्रफल में बसा है। यह सन् 1947 में विभाजन के बाद भी भारत और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी की वजह रहा है। आजादी से पहले यहां के शासक हिंदू महाराजा हरि सिंह थे। महाराजा हरि सिंह ने 15 अगस्त, 1947 से पहले स्टैंड स्टिल रहने की घोषणा की थी। इस घोषणा का अर्थ था कि वह भारत या पाकिस्तान किसी का भी हिस्सा नहीं बनेंगे। वह राज्य को एक स्वतंत्र देश घोषित करने की योजना बना रहे थे। उधर, पाकिस्तान कश्मीर पर दबाव बनाने लगा था। यहां कब्जे के लिए कबीलाइयों को आगे बढ़ने का आदेश दे दिया। पूरे कश्मीर में उत्पात मचाते हुए कबीलाइयों ने बिजली, सड़क और बुनियादी जरूरतों को नष्ट करके कश्मीर की शांति पूरी तरह भंग कर दी। आजादी के उसी साल में लॉर्ड माउंटबेटन कश्मीर गए थे. उन्होंने राजा हरि सिंह से कहा कि भारत-पाकिस्तान अब अलग हो चुके हैं। वे किसी एक देश को चुन लें। फिर भी हरि सिंह ने इस पर हामी नहीं भरी। कहा जाता है कि हरि सिंह के रवैये को माउंबेटन भी भांप गए थे और वापस आ गए थे। दूसरी तरफ भारत के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ने माउंटबेटन से यहां तक कहा कि अगर कश्मीर पाकिस्तान से मिलना चाहता है तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। फिर भी महाराजा हरि सिंह फैसला नहीं ले पा रहे थे, तनाव बढ़ता जा रहा था। पाकिस्तान का ये रवैया राजा हरि सिंह के लिए अकेले संभालना मुश्किल हो गया था। वह तत्काल पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से मिले। बातचीत करके उन्होंने विलय पत्र (जिसे इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन भी कहते हैं) पर हस्ताक्षर कर दिया। हरिसिंह ने भारत से मदद भी मांगी। इस तरह भारतीय सैनिक कश्मीर पहुंचे और यहां हो रहे कत्लेआम को रोकने में सफल हुए। उस दौरान सेना को एअरलिफ्ट करके कश्मीर में भेजा गया था। वहां के हालात पाकिस्तानी सैनिकों के पक्ष में ज्यादा थे, फिर भी भारतीय सैनिकों ने उन्हें लंबे प्रयास के बाद वहां से उखाड़ फेंका। तब तक कश्मीर के मुजफ्फराबाद को पाकिस्तान ने हथिया लिया, लेकिन यहां से दोनों राष्ट्रों के बीच दुश्मनी की दीवार और मजबूत हो गई। जवाहर लाल नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र में भी ये मुद्दा उठाया। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने जम्मू-कश्मीर को विवादित कहते हुए रिफरेंडम यानी जनमत संग्रह की बात कही। दोनों देशों से सेनाएं हटाने को भी कहा गया, लेकिन कोई भी पीछे नहीं हटा, लेकिन उस दौरान भारत की कश्मीर में स्थिति काफी मजबूत हो गई थी। स्थानीय नेता और लोग भी भारत के पक्ष में थे। शायद इसके पीछे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को भी वजह बता सकते हैं। राजा हरि सिंह के फैसले का सभी ने स्वागत किया था। अब कश्मीर का भारत के साथ विलय कर चुका था।

पाक ने लालच भी दिया

पाक ने महाराजा हरि सिंह को अपने में मिलाने के लिए कई प्रलोभन दिए। पाकिस्तान के अफसरों ने कश्मीर का दौरा किया और मंशा पूरी न होने पर नॉर्थ-वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस से पाकिस्तान ने 22 अक्तूबर, 1947 को विद्रोह शुरू कर दिया। सिर्फ पांच दिनों में पा सैनिक श्रीनगर के काफी पास आ गए। वे यहां से सिर्फ 25 मील ही दूर रह गए।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App