कुछ महत्त्वपूर्ण जानकारियां
भारत के राष्ट्रपति को महामहिम क्यों कहा जाता है?
यह सम्मान सूचक शब्द है। राष्ट्रपति, राज्यपालों, न्यायाधीशों तथा इसी प्रकार के दूसरे संवैधानिक पदों के साथ इसे लगाते हैं। अंग्रेजी में ऑनरेबल शब्द का इस्तेमाल इसके समानांतर होता है। अकसर दूसरे देशों के राजदूतों के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है।
रामैया वस्तावैया का क्या अर्थ है?
रामैया वस्तावैया का मतलब है राम या रामैया, क्या तुम आ रहे हो। तेलुगु के इन शब्दों का इस्तेमाल शैलेंद्र और शंकर-जयकिशन ने किया और श्री 420 के मार्फत एक यादगार गीत बना दिया। कहते हैं कि कभी शैलेंद्र ने अपनी हैदराबाद यात्रा के दौरान ये पंक्तियां सुनी थीं। उन्हें यह भा गईं और मौका लगने पर इन्हें इस गीत में पिरो दिया।
दुनिया में ठोस सोने की सबसे बड़ी चीज
मिस्र के किशोर फराओ बादशाह तूतनखामन का ताबूत ठोस सोने का बना है और इसका वजन है 1113 किलो। इस समय यही दुनियां में ठोस सोने से बनी सब से बड़ी वस्तु है। अन्य प्राचीन कलाकृतियां जो सोने की बनी थीं, वे गायब हो गई हैं। शायद उन्हें पिघला कर बेच दिया गया। एक सोने का लबादा था, जिसका वजन एक टन था। यह द एंथेंस के एक्रोपोलिस में एथेना की मूर्ति पर सजाया गया था।
वदेंमातरम का नारा किसने दिया था
वंदेमातरम एक नारा मात्र न होकर भारत का राष्ट्रगीत भी है। इस गीत के रचयिता आदरणीय बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय जी हैं। उनके द्वारा रचित उपन्यास ‘आनंद मठ’ से लिए गए इस गीत में मूल भाषा बांग्ला तथा संस्कृत का सामंजस्य है। वर्ष 1896 को कोलकाता कांग्रेस असेंबली में इस गीत को सर्वप्रथम रविंद्रनाथ टैगोर द्वारा गाया गया था। एक नारे के रूप में सामूहिक शब्द ‘वंदेमातरम्’ को अत्यधिक लोकप्रियता मिली तथा आवाम में आजादी के लिए जोश भर कर इस नारे ने भारत माता की आजादी में अहम भूमिका निभाई ।
किसने दियाः बंकिमचंद्र चटर्जी
कब दियाः 1882 रचना वर्ष
राष्ट्रगीत का दर्जा कब प्राप्त हुआः 1950
अर्थः ‘वंदेमातरम्’ दो शब्दों का सामंजस्य है। प्रथम शब्द है वंदे (वंदना करना) तथा मातरम् (माता) यहां माता से तात्पर्य (भारत माता) मातृभूमि से है। इस प्रकार इस नारे का सामूहिक अर्थ है ‘भारत माता की वंदना करता हूं’ इस अर्थ को समझते हुए ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह गीत मूल रूप से बांग्ला भाषा में लिखा गया है तथा बांग्ला भाषा ‘व’ अक्षर से रहित है इसी कारण इस गीत का मूल नाम या उचारण ‘बंदेमातरम्’ होता है परंतु संस्कृत भाषा में अर्थानुसार ‘वंदेमातरम्’ को उचित मानकर लिया गया है। पूरे देश के साथ-साथ बंगाल में चल रहे स्वाधीनता आंदोलन में यह नारा प्रयोग किया जाने लगा तथा धीरे-धीरे क्रांतिकारियों ने इसे दोहराना शुरू कर दिया।
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