जन्माष्टमी… नूरपुर में महामेला आज
बृज राज स्वामी मंदिर में प्रदेश संग बाहरी राज्यों के भक्तों का उमड़ता है श्रद्धा का सैलाब
नूरपुर – यूं तो पूरे प्रदेश के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है और इसलिए ही हिमाचल को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। पंजाब की सीमा के साथ पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय उच्च मार्ग के प्रवेश द्वार पर सटा नूरपुर शहर प्राचीन काल में धमड़ी नाम से जाना जाता था। बेगम नूरजहां के यहां आगमन के बाद इसका नाम नूरपुर पड़ा। यहां पर राजा जगत सिंह का किला विद्यमान है। इस किले के अंदर श्री बृज राज स्वामी तथा काली माता मंदिर है। नूरपुर का श्री बृज राज स्वामी मंदिर संसार में एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां कृष्ण व मीरा की मूर्तियां एक साथ विराजमान हैं। यह मंदिर अपने गौरवमयी इतिहास के चलते श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र है। विश्व के हजारों राधा-कृष्ण के मंदिरों में से यही एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान श्रीकृष्ण व मीरा की साक्षात मूर्तियां एक साथ स्थापित हैं। जन्माष्टमी के पावन अवसर पर इस ऐतिहासिक मंदिर में रौनक देखते ही बनती है। अब यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र बन चुका है। लोगों में इस मंदिर के प्रति अटूट आस्था को देखते हुए प्रदेश सरकार ने भी कृष्ण जन्माष्टमी पर आयोजित होने वाले महोत्सव को कुछ वर्ष पूर्व जिला स्तरीय मेले का दर्जा दे दिया था। इस वर्ष भी जिला स्तरीय जन्माष्टमी महोत्सव 23 अगस्त को बड़े हर्षोल्लास से आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर मेले के अलावा श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। राजस्थानी शैली की काले संगमरमर से बनी भगवान श्रीकृष्ण व अष्टधातु से बनी मीरा की मूर्ति आज भी नूरपुर के इस ऐतिहासिक श्री बृज राज स्वामी मंदिर में शोभायमान हैं। यहां पर प्रदेश के श्रद्धालुओं के अलावा सीमांत राज्य पंजाब, हरियाणा व जम्मू-कश्मीर तथा अन्य राज्यों से भी हजारों की संख्या में लोग आज भी मंदिर में शीश झुकाते हैं। प्रेम व आस्था के संगम के प्रतीक इस मंदिर का नूर जन्माष्टमी को छलक उठता है।
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