झांई की मृत्यु के बाद उसका पुत्र बना मंत्री

By: Aug 7th, 2019 12:19 am

झांई का पुत्र रत्न सिरमौर में  जाकर जुब्बल के राणा अम्बू चंद के विरूद्ध कई प्रकार की बातें कर  के राजा सिरमौर की सेवा में लग गया। अपनी सेवा से प्रसन्न कर के एक दिन उसने राजा से अनुरोध किया कि उसे  ‘परगना पियूंत्र का अधिकारी’ बना दिया जाए और वह वहां  के लोगों से राजस्व कर वसूल कर के सिरमौर भेज दिया करेगा…

गतांक से आगे …

अमर चंद :

इससे प्रोत्साहित होकर झांई और गदाऊ मंत्रियों ने जखोली परगना के ठाकुर दशाल को पराजित करके उसके क्षेत्र को भी जुब्बल में मिला लिया। इसके साथ-साथ ही उन दोनों ने सिरमौर के अधीनस्थ पुलबाहल के ठाकुर शराहन को जीत कर उसकी ठकुराई को अंबू चंद के राज्य में मिला दिया और उक्त ठाकुर को जीविका के लिए कुछ गांव दे दिए। इसी अवधि में झांई की मृत्यु हो गई और राणा ने उसके पुत्र को झांई के स्थान पर मंत्री बना दिया। राणा की इस कृपा से प्रसन्न होकर उसने भी अपने पिता झांई की तरह राणा की ठकुराई के विस्तार की येाजना बनाई।

अपनी योजना अनुसार झांई का पुत्र रत्न सिरमौर में  जाकर जुब्बल के राणा अम्बू चंद के विरूद्ध कई प्रकार की बातें कर  के राजा सिरमौर की सेवा में लग गया। अपनी सेवा से प्रसन्न कर के एक दिन उन ने राजा से अनुरोध किया कि उसे  ‘परगना पियूंत्र का अधिकारी’ बना दिया जाए और वह वहां  के लोगों से राजस्व कर वसूल कर के सिरमौर भेज दिया करेगा। उसने राजा सिरमौर से यह भी कहा कि उसे वहां जाने से यह लाभ होगा कि वह चोरी छिपे कभी -कभी अपने घर केदी भी जा सकेगा। रत्न बड़ा चतुर और समझदार व्यक्ति था। राजा सिरमौर ने भी उसे अपनी इच्छा अनुसार चार परगने- चेहता, चांदना, चंदलोग और पियूंत्र का कार्य भार सौंप दिया। रत्न ने जब इन चार परगनों में अपना प्रभुत्व पूरी तरह  से जमा लिया  और वहां के मुखिया  लोगों  को शपथ दिला कर साथ मिला लिया तब उसने उन लोगों से वचन लिया कि वे जुब्बल के साथ मिल जाएंगे। इसके साथ ही रत्न ने चारों परगनों  से वसूल किया हुआ राज- कर सिरमौर को भेजना  बंद कर दिया और  उस क्षेत्र को राणा अम्बू चंद के राज्य  जुब्बल में मिला लिया इस समाचार को पा कर राजा सिरमौर उस समय तो  कुछ न कर  सका परंतु लंबे समय बाद  उसने जुब्बल पर आक्रमण करने का प्रयास किया।

राणा किरती चंद :

राणा किरती चंद का समय शांति और समृद्धि का रहा। उसके राजकाल में कोई उल्लेखनीय घटना नहीं घटी।

राणा भाग चंद :

 राणा भाग चंद ने अड़ोस-पडोस के ठाकुरों को जीत कर अपना विस्तार किया। उन्होंने  भाग चंद के विरूद्ध गढ़वाल के राजा से सहायता मांगी। स्थित से लाभ उठाकर राजा गढ़वाल ने जुब्बल पर  आक्रमण किया। गढ़वाल के उस राजा का क्या नाम था जिस ने जुब्बल पर आक्रमण किया उसका कोई उल्लेख नहीं मिलता। इतना उल्लेख अवश्य मिलता है कि गढ़वाल के राजा  अजय पाल ने जुब्बल के साथ्ज्ञ लगते रार्वीगढ़ को जीत कर  उस से राज कर वसूल किया तथा नाम मात्र को स्वाधीनता भी दे दी थी। सम्भतः उसी ने आगे बढ़ कर जुब्बल पर  भी आक्रमण किया।  – क्रमशः


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