ट्यूब बंद होना बांझपन की वजह

By: Aug 11th, 2019 12:02 am

लुधियाना – शादी के बाद जोड़ों में बांझपन की समस्या बहुत अधिक पाई जा रही है। वैसे तो बांझपन के लिए कई फैक्टर्स जिम्मेदार हैं, लेकिन महिलाओं में ट्यूबें बंद होना बांझपन की एक बड़ी वजह है। महिलाएं अमूमन नलों में दर्द को गंभीरता से नहीं लेती हैं, जिससे ट्यूबें बंद हो जाती हैं और वह कंसीव नहीं कर पाती हैं। सोफ्त इंफर्टिलिटी एंड विमन केयर सेंटर की बांझपन विशेषज्ञ डा. सुमिता सोफ्त ने यह जानकारी दी। डा. सुमिता सोफ्त ने बताया कि बांझपन के 40 फीसदी केसों में सिर्फ  पुरुषों, 40 फीसदी में महिलाओं व दस फीसदी में दोनों में प्राब्लम पाई जाती है, जबकि 10 फीसदी केसों में बांझपन की कोई भी वजह सामने नहीं आती है। बांझपन की समस्या लेकर आने वाली महिला की सबसे पहले ट्यूबें, अंडेदानी व बच्चेदानी चैक की जाती है, लेकिन ज्यादातर बार ट्यूबें ही बंद पाई जाती हैं। हर महिला के शरीर में अंडेदानियों के पास दो ट्यूबें होती हैं। मासिक धर्म के 12वें से 14वें दिन में ट्यबें अंडें में से निकलती हैं। इस दौरान ट्यूब में ही अंडे व शुक्राणु का मिलन होता है और भ्रूण बनता है। 21वें  दिन भ्रूण बच्चेदानी में चला जाता है। 28वें दिन के बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट में रिपोर्ट पॉजीटिव आ जाती है। एक ट्यूब बंद हो और ट्यूबों में पानी या पस न भरी हो, उम्र कम हो या शादी को थोड़ा वक्त हुआ हो तो एक ट्यूब खुली होने पर भी महिला की प्रेग्नेंसी हो जाती है, पर जिनकी एक ट्यूब बंद होती है, उनके दूसरी ट्यूब भी बंद होने का खतरा ज्यादा होता है। इलाज के दौरान पहले तो ट्यूबों को खोलने का प्रयास किया जाता है। यह प्रक्रिया बेहद सामान्य है। इसमें पेट में कोई चीरा या टांका नहीं लगाया जाता है और महिला को एडमिट भी नहीं होना पड़ता है। ट्यूबें न खुलने पर टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक की मदद ली जाती है। इसमें महिला के इंजेक्शन लगाकर अंडे बनाए जाते हैं। फिर आधी बेहोशी में अल्ट्रासाउंड की मदद से अंडे निकाल लिए जाते हैं। उसके बाद जो काम ट्यूबों ने करना होता है, वह लैब में किया जाता है और भ्रूण को विकसित करके तीसरे से 5वें दिन बच्चेदानी में रख दिया जाता है।


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