नहीं किया था राजा गढ़वाल ने जुब्बल में आक्रमण

By: Aug 14th, 2019 12:06 am

जनश्रुति यह कहती है कि राजा गढ़वाल ने जुब्बल पर आक्रमण नहीं किया  बल्कि छल से भाग चंद को श्रीनगर (गढ़वाल) ले गया। गढ़वाल के राजा ने भाग चंद को पत्र लिखा कि वह  देवी के दर्शन के लिए हाटकोटी आ रहा है। इसलिए वह भी उसे मिलने के लिए हाटकोटी आ जाए…

गतांक से आगे …

अमर चंद :

राणा भाग चंद :

वह जुब्बल के राणा भाग चंद को बंदी बना कर गढ़वाल ले गया। जनश्रुति यह कहती है कि राजा गढ़वाल ने जुब्बल पर आक्रमण नहीं किया  बल्कि छल से भाग चंद को श्रीनगर (गढ़वाल) ले गया। गढ़वाल के राजा ने भाग चंद को पत्र लिखा कि वह  देवी के दर्शन के लिए हाटकोटी आ रहा है। इसलिए वह भी उसे मिलने के लिए हाटकोटी आ जाए। जब राजा हाटकोटी आया तो भाग चंद अपने छोटे-भाई जालप चंद के साथ गढ़वाल नरेश को मिलने के लिए हाटकोटी चला गया। कुछ दिन हाटकोटी में ठहर कर जब राजा गढ़वाल वापस लौटने लगा तो भाग चंद तथा उस के भाई को आधे रास्ते तक चलने के लिए अनुरोध किया। वे दोनों भी चले गए। आधे रास्ते पहुंचने पर जब वह वापस आने लगे तो राजा  गढ़वाल ने उन्हें गढ़वाल में होने वाले मेले को देखकर वापस आने को कहा। दोनों भाई राजा के इस अनुरोध को मान गए। लेकिन श्रीनगर पहुंच कर राजा गढ़वाल ने इन्हें बंदी बना लिया। राजा ने कहा कि यदि वह गढ़वाल का आधिपत्य स्वीकार कर ले और कर देना मान लें। उन्हें उसे छोड़ दिया जाएगा। परंतु भाग चंद ने इसे मानने से इनकार कर दिया। इस पर उन्होंने  जालप को तो छोड़ दिया, लेकिन भाग चंद को बंदी बना कर कारावास में बंद कर दिया। इसी अवधि में गढ़वाल के राजा  की पुत्री का प्रेम भागचंद से हो गया। जब इस बात का पता उसकी  मां रानी गढ़वाल की लगा तो उसने भाग चंद की इस शर्त पर मुक्त करने की बात की कि वह बाद में उसकी पुत्री से विवह कर ले। परंतु कुछ समय पश्चात भाग चंद वहां से भागने में सफल हो गया। बंदी गृह में रहने के कारण भाग चंद कुरूप बन गया था। कारागार में मिली यातनाओं के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिलती है।इस दिशा में वह भाग कर अपने राज्य  के झीना गांव में पहुंचा उस समय वहां पर विशु (वैशाखी) का मेला हो रहा था। उसके सभी दावं ठीक निशाने पर लग रहे थे। लोगों को उसकी इस कुशलता पर बड़ा आश्चर्य हुआ और वह उससे उसका पता पछूने लगे। बाद में कुछ लोगों ने उसे पहचान लिया। पता लगने पर वहां  के मुख्य व्यक्तियों ने उसे देवी के मंदिर में ले जाकर उसे वापस जुब्बल की राजधानी ले आए। रानी गढ़वाल को जब  यह पता लगा कि भाग चंद वापस जुब्बल पहुंच गया है तो उसने गुप्त रूप से कुछ आदमियों को भाग चंद के पास भेजा कि यदि वह उसकी पुत्री से विवाह कर ले तो उसे गढ़वाल का कुछ भाग दे दिया जाएगा। भाग चंद के इनकार करने पर उसने आत्महत्या कर ली। राजा गढ़वाल ने फिर से जुब्बल आक्रमण करने का प्रयास किया, परंतु जब तक भाग चंद जीवित रहा वह उसका कुछ न बिगाड़ सका। बल्कि वे भाग चंद के पुत्र नारायण चंद को भी न पकड़ सके।                                                                  – क्रमशः

 


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