पालकी में बिठाकर घर पहुंचाए जच्चा-बच्चा
बिझड़ी -उपमंडल बड़सर की धंगोटा पंचायत के खारल गांव के लोग आजादी के 71 वर्षों बाद भी सड़क सुविधा से वंचित हैं। हालात ये हैं कि मरीजों को तीन किलोमीटर तक पालकी में उठाकर ले जाने को गांव के लोग मजबूर हैं। बिडंवना यह है कि पिछले कई वर्षों से गांव तक सड़क निकालने की गुहार ग्रामीण राजनीतिज्ञों व प्रशासनिक अधिकारियों से लगा चुके हैं, लेकिन आश्वासनों के सिवाय कोई भी हल नहीं निकल सका है। आज 21वीं सदी में हालात ये हैं कि गांव के बीमार बुजुर्गों व गर्भवती महिलाओं को तीन किलोमीटर पालकी पर उठाकर गांव तक पहुंचाना पड़ रहा है। रविवार को गांव की महिला को सीजेरियन द्वारा अस्पताल में बेटी पैदा हुई, लेकिन परिजन उसे सात दिनों तक घर नहीं पहुंचा सके। सात दिनों बाद गांववासियों के सहयोग से पालकी द्वारा जच्चा व बच्चा को खारल गांव पहुंचाया जा सका है। गांववासियों ने प्रशासन से शीघ्र समस्या के समाधान की गुहार लगाते हुए कहा है कि मरीज को धंगोटा से खारल तक पहुंचाने के लिए तीन किलोमीटर पालकी पर लाना पड़ रहा है, जिसमें एक घंटे तक का टाइम बर्बाद हो जाता है। ऐसे में अगर किसी मरीज के साथ अनहोनी हो जाती है, तो जिम्मेदार कौन होगा? इस बारे एसडीएम बड़सर प्रदीप कुमार का कहना है कि गांववसियों की तरफ से कोई शिकायत पत्र नहीं मिला है, फिर भी मामले की छानबीन कर इसके समाधान का जल्दी प्रयास करूंगा। ग्राम पंचायत धंगोटा प्रधान रजनी बाला का कहना है कि खारल गांव के लिए कच्ची सड़क बरसात के दिनों में पूरी तरह तबाह हो जाती है, जिससे गांव का सड़क संपर्क टूट जाता है। समस्या के समाधान के लिए फंड का प्रावधान कर दिया गया है, लेकिन जहां से सड़क निकलनी है वहां फोरेस्ट लैंड के कारण काम नहीं हो सका है।
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