फल मंडियों में सेब धड़ाम, बागबान परेशान

By: Aug 10th, 2019 12:20 am

मार्केट में भारी गिरावट आने से 1400 रुपए तक पहुंचा पेटी का रेट, चार-पांच दिन से अचानक उतरा दाम

नौहराधार -पिछले तीन-चार दिनों से मंडी में अचानक सेब भाव में उतार आ गया है। एकाएक भारी गिरावट आने से बागबानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। अब तक के हिसाब से सेब 2200 से अधिक बिक रहा था, वहीं सेब अब गड़ के हिसाब से 1200 से 1400 रुपए पेटी बिक रही है। सेब भाव में आई यह गिरावट अब बागबानों के गले नहीं उतर रही है। ऐसे में दामों में गिरावट आने से बागबान निराश हैं। तीन हजार रुपए तक बिकने वाला सेब की कीमत शुक्रवार को सोलन, शिमला व सिरमौर की मुख्य फल मंडी सोलन में स्पर 1200 से 1500 रुपए, रॉयल 1200 से 1400 रुपए तथा अन्य 300 से 600 रुपए बिक रहा है। इस बार सेब पहली बार फल मंडियों में काफी कम सेब का आकार आ रहा है। आढ़तियों की मानें तो 100 पेटियों का एक लोट में एक मीडियम दो या तीन स्मोल और बहुत कम पेटी एक्स्ट्रा स्मोल पहुंच रही है। अन्य वर्षों की अपेक्षा सेब का यह आकार बहुत कम है। 100 की लोट में 10 से कम पेटियां ही मुश्किल से होती हैं, जबकि अन्य वर्षों की बात करें तो 100 की लोट में 50 से अधिक बड़ा सेब देखने को मिलता आया है। दर में छोटे और बड़े सेब को अलग कर भाव दिया जाता है, जबकि गड़ में छोटे और बड़े सेब का एक भाव मंडी में लगाया जाता है। इस सप्ताह सोलन फल मंडी में दस लाख से ज्यादा बॉक्स पहुंचे, वहीं बागबानों का कहना है कि सेब के भाव 19 से 20 का अंतर होना स्वाभिक है, मगर इतना नीचे भाव लाना उचित नहीं है। इसका बागबान कड़ा विरोध करते हैं। फल दर के हिसाब से बिक रहे सेब में आढ़तियों की ओर से 20 से 30 फीसदी की कटौती की जा रही थी। इसके बाद इसके विरोध में किसान सभा और बागबानों ने कड़ा विरोध किया। अभी जिला के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब मार्किट में उतरना बाकी है। वहीं दूसरी ओर नाशपाती के रिकार्ड उत्पादन ने इस बार बागबानों को कमाई कम और परेशानी ज्यादा दी है। मार्केट में खरीददारों व कीमतों को तरस रही नाशपती पानी के भाव बिकने को बेबस है। लिहाजा नाशपाती की बेहतर फसल के बाद जो बागबान अच्छे दामों के अरमान लिए खुश हो रहे थे, मगर कम भाव से किसान मायूस हो गए हैं। बागबानों की मानें तो पिछले कुछ सालों से फसल को तैयार करने का खर्च इतना ज्यादा हो गया है कि जो दाम उन्हें मिल रहे हैं उससे उस खर्च को ही निकालना मुश्किल हो गया है जो खर्च मेहनत करने पर लगा है।

जल्दबाजी पड़ रही है भारी

बागबानों में जल्दबाजी भारी पड़ रही है। आढ़तियों के मुताबिक मार्केट में पहुंचने वाला सेब कम साइज व कम कलर वाला है। ऐसे में बागबानों को उनकी फसल के ठीक दाम नहीं मिल पा रहे हैं। सेब के अराइवल में उछाल आया है। मार्केट में रोजाना काफी संख्या में सेब के बॉक्स पहुंच रहे हैं। सोलन मंडी में 50 हजार से अधिक बॉक्स पहुंच रहे हैं।


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