बीबीएमबी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार

By: Aug 31st, 2019 12:30 am

मुख्यमंत्री ने किया ऐलान, किसानों को मुआवजा दिलाने के लिए डीसी की अध्यक्षता में बनाई जाएगी कमेटी

शिमला – हिमाचल सरकार ब्यास सतलुज लिंक प्रोजेक्ट द्वारा उपजाऊ जमीन को पहुंच रहे नुकसान को लेकर बीबीएमबी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाएगी। सुप्रीम कोर्ट में सरकार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर इस मामले में लगी पाबंदी को हटाने का आग्रह करेगी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विधानसभा के सदन में यह ऐलान किया। उन्होंने कहा कि सालों से सुंदरनगर समेत उसके साथ लगते चार विधानसभा क्षेत्रों की सोना उगलने वाली जमीन बीबीएमबी के इस प्रोजेक्ट से निकलने वाली सिल्ट के कारण तबाह हो रही है। इस पर बीबीएमबी के अधिकारियों का रवैया भी सही नहीं है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बीबीएमबी की याचिका पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यहां कार्रवाई के लिए पाबंदी लगाई है, जिसकी वजह से आगे कोई कदम नहीं उठाया जा रहा। अब इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठाया जाएगा। सीएम ने कहा कि यह पहला ऐसा प्रोजेक्ट है, जिसमें ब्यास का पानी सतलुज  में डाला गया है। हालांकि अब ऐसा करने पर कानून बन गया है, परंतु यह सालों पुराना प्रोजेक्ट है जो कि 990 मैगावाट का है। उन्होंने कहा कि जिन किसानों की फसल सिल्ट के कारण बर्बाद हो रही है उन्हें इसका उचित मुआवजा दिलाने के लिए डीसी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया जाएगा। सरकार इसके सुचारू समाधान के लिए प्रयास करेगी। इससे पूर्व विधायक राकेश जम्वाल ने सदन में यह मामला उठाया। उन्होंने कहा कि बीबीएमबी के इस प्रोजेक्ट से सुकेती खड्ड में सिल्ट डाली जा रही है, जो कि लोगों के खेतों में पहुंच रही है। श्री जम्वाल ने कहा कि बीबीएमबी से हिमाचल को अब तक कुछ नहीं मिला है। जो उसका हक है, वह भी पूरा नहीं मिला। हजारों बीघा जमीन उसके पास  बेकार पड़ी है, जिसे सरकार को उससे वापस लेना चाहिए। उन्होंने सुकेती खड्ड का मंडी तक चैनेलाइजेशन करने की मांग भी सरकार से उठाई। उन्होंने कहा कि चार विधानसभा क्षेत्रों के घराट तक अब बंद हो चुके हैं। उन्होंने पानी में सिल्ट को मापने के लिए राज्य द्वारा संयंत्र स्थापित करने की मांग भी रखी। उन्होंने बताया कि बीएसएल प्रोजेक्ट में 6978 बीघा जमीन गई है वहीं 1761 परिवार प्रभावित हुए हैं।


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