मनरेगा के कड़े नियमों से विकास की रफ्तार धीमी

By: Aug 31st, 2019 12:12 am

बिलासपुर –विधानसभा के मानसून सत्र में नयनादेवी के विधायक रामलाल ठाकुर ग्रामीण एवं पंचायती राज विभाग की ओर से किए जा रहे विकासात्मक कार्यों के बारे में चर्चा की। इसमें पाया कि ग्रामीण विकास व पंचायती राज विभाग जिस धीमी गति से काम करवा रहा है, उससे साफ  जाहिर होता है कि प्रदेश की सरकार में भारी वित्तीय संकट चल रहा है या फिर ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग केंद्र की सरकार से नई योजनाएं व पैसा लाने में असफल हो रहा है, क्योंकि इस विभाग के पास जिस योजना के तहत ज्यादा पैसा लगाने का प्रावधान है, उस योजना का नाम मनरेगा है, तो मनरेगा योजना में नियम इतने कड़े कर दिए गए हैं कि इस योजना का पैसा ग्रामीण विकास में खर्च ही नहीं हो पा रहा है। इसके बारे में जब प्रश्न रखा और ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के मंत्री ने जवाब दिया तो उनके जवाब से प्रदेश की जनता को संतुष्टि प्राप्त नहीं हो सकती।  जानकारी के अनुसार ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने अप्रैल 2018 से 30 जुलाई 2019 तक बिलासपुर में केवल 96.92 किलोमीटर सड़कें ही रिपेयर की हंै। हैरत भरा है कि आज तक ग्रामीण विकास व पंचायती राज विभाग मनरेगा से केवल 15.44 लाख रुपए ही खर्च सका है, जबकि जिला बिलासपुर में 14वें वित्त आयोग का पैसा एक करोड़ 14 लाख इन सड़कों की मरम्मत पर खर्च हुआ है। दावे से कहा जा सकता है कि जिला बिलासपुर की जितनी भी ग्रामीण सड़कें पंचायतों के माध्यम से पक्की की जा रही हैं या उनकी रिपेयर की जा रही हैं तो उनके लिए सबसे कारगर योजना मनरेगा ही साबित होती है। रामलाल ठाकुर ने बताया कि एक अन्य प्रश्न पर भी चर्चा की, जिसके अनुसार प्रदेश में कितने वन विभाग के ईको टूरिज्म विश्राम गृह हैं जो ईको टूरिज्म सोसायटी द्वारा चलाए जा रहे हैं। यदि हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग विभागों के खाली पड़े हुए विश्राम गृहों को भी इको टूरिज्म पॉलिसी के अंतर्गत लाया जाए तो हिमाचल प्रदेश में पर्यटन की दृष्टि से काफी आमदनी भी बढ़ेगी और सरकार को काफी ज्यादा मुनाफा भी होगा। इस विषय पर सीएम को सोचना चाहिए।


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