यह डोर नहीं प्यार है भईया

By: Aug 14th, 2019 12:05 am

राखी का त्योहार नजदीक आ रहा था। मां हर बार मुझे फोन पर नैना को राखी बांधने की याद दिलाती रहती थी। साथ में उसकी मनपसंद चॉकलेट और खिलौना लेकर आने को भी कहती थीं। ध्रुव अभी छोटा था और मैं जॉब करती थी।  इस बार मां मुझे बोलना ही भूल गई, पर मुझे याद था कि राखी है और मुझे घर जाना है। मैंने मां को नहीं बताया कि मुझे पता है कि राखी है और मैं, मां और धु्रव को सरपराइज देना चाहती थी।  इस बार मैं बीना बताए घर जा रही थी राखी पर ।  मैं बहुत खुश और उत्साहित थी। हर बार मां मुझे बोलती थी कि यह लाना,  वे लाना। इस बार मैं अपनी मर्जी से अपने छोटे भाई को सब कुछ लेकर जा रही हूं। मन ही मन कई मंसूबे बनाती! राखी कहां से लेनी है !  किस तरह की लेनी है ! उस पर क्या लगा होना चाहिए ! यदि कुछ लिखा हो तो क्या लिखा होना चाहिए !  पर अभी तो वह छोटा है  उसको चॉकलेट वाली राखी या टॉफी वाली राखी लेकर जाती हूं। फिर चॉकलेट कौन-सी लेनी है और साथ में चिप्स भी ले लेती हूं। फिर उसको खिलौना कौन सा लूं, नहीं.. नहीं खिलौने तो उसके पास बहुत हैं इस बार धु्रव को साइकिल लेकर जाती हूं। अब वह बड़ा भी हो रहा है, खुश हो जाएगा। मैंने मां को बताए बिना ही धु्रव के लिए साइकिल खरीद ली कि आज तो  सरपराईज देना है। इतने मैं ही मां का फोन आ गया कि मैं तो भूल गई और आज रक्षा बंधन है। और तुझे खुद तो कुछ याद आता नहीं अब क्या करें। मैंने भी बोल दिया कि मां मैं नहीं आ सकती।  मैंने छुट्टी भी नहीं ली है। अभी तो लेट हो जाऊंगी और फोन काट दिया और पांच मिनट के अंदर घर की बेल बजा दी। मां देखकर हैरान और धु्रव तो साइकिल देख मुझसे पहले साइकिल से लिपटा। बोला दीदी मेरे लिए है। मैंने कहा हां हां पर पहले राखी बांध ले फिर तुझे दूंगी। मां ने धु्रव को बैठाया मैंने सिर ढककर चुपचाप उसको राखी बांधी। वह तो राखी को उसी समय खाने लग पड़ा क्योंकि उसमें चॉकलेट जो लगी थी। फिर कहता दीदी साथ में टॉफी वाली राखी भी लाती तो और मजा आ जाता। मैं और मम्मी हंसने लग पड़े।  बच्चे भी न। फिर मैंने उसको चॉकलेट खिलाई और चॉकलेट का डिब्बा मां के पास दे दिया। उसको गले लगा कर प्यार किया और भगवान से उसकी रक्षा की दुआ मांगी। फिर मां ने मुझे पैसे दिए कि अपने लिए कुछ ले लेना। अभी धु्रव छोटा है जब यह बड़ा हो जाएगा, तो तुझे खुद सब कुछ दे देगा। मैंने मां से कहा मेरा भाई खुश है न मुझे और कुछ नहीं चाहिए। भाई-बहन का रिश्ता अटूट है।  यह किसी उपहार का मोहताज नहीं। बस प्यार से सहजता है यह रिश्ता, इसलिए इस रिश्ते की कद्र करो और इसको ऐसे ही बना रहने दो। क्योंकि इस भाग दौड़ वाली जिंदगी में अब रिश्ते कहीं छूट रहे हैं, लेकिन हमें यह याद रखना है कि समय समय पर हमें इन्हें समय देना है। तभी रिश्ते बने रहेंगे।

– फीचर डेस्क


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