राजा सिरमौर ने छल से पकड़ा था राजा नारायण चंद को

By: Aug 21st, 2019 12:14 am

नारायण चंद राजा सिरमौर के साथ सिरमौर तक चला गया। वहां पर राजा सिरमौर ने पहले तो उस का बड़ा आदर सत्कार किया और कहा कि वहां पर मैदानी राजाओं के सम्मेलन करने में अभी बहुत समय है, इसलिए वह अपने साथ लाए कर्मचारियों को वापस भेज दे। अतः दूलू और आदू मंत्रियों के अतिरिक्त बाकी सब साथ आए लोग वापस लौट गए…

गतांक से आगे …

नारायण चंद:

अपनी बहन के अपमान का बदला लेने की भावना से सिरमौर के राजा ने नारायण चंद को पकड़ने के लिए कई बार प्रयास किया परंतु सफलता नहीं मिली। इस लिए उस ने नारायण चंद को छल से पकड़ने की योजना बनाई। इसके लिए उसने जुब्बल, दरकोटी और कोटखाई ठकुराईयों के मध्य ‘बखरोल’  नामक स्थान में एक सभा का आयोजन किया जिस में उसने और ठाकुर अपने-अपने घरों को जाने लगे। राजा सिरमौर ने जुब्बल के राणा नारायण चंद तथा कोटखाई के राणा को कहा कि वह  इस प्रकार की सभा सिरमौर में भी आयोजित करने में भी उसकी सहायता करें। जब वे लोग ‘बलग’ नाम के स्थान पर पहुंचे तो राणा कोटखाई को कुछ आभास हुआ कि इस में कोई धोखा है। इसलिए उसने सिरमौर के राजा से कहा कि  उसे किसी आवश्यक  कार्य के वापस जाना है और वह तो वहां से वापस आ गया परंतु नारायण चंद राजा सिरमौर के साथ सिरमौर तक चला गया। वहां पर राजा सिरमौर ने पहले तो उस का बड़ा आदर सत्कार किया और कहा कि वहां पर मैदानी राजाओं के सम्मेलन करने में अभी बहुत समय है इसलिए वह अपने साथ लाए कर्मचारियों को वापस भेज दे। अतः दूलू और आदू मंत्रियों के अतिरिक्त बाकी सब साथ आए लोग वापस लौट गए। थोड़े दिनों के पश्चात राणा तथा दो मंत्रियों पर पहरा  बैठा दिया और  उन्हें कहा कि  वे राजधानी से  बाहर न  जाएं। वे राजा सिरमौर के धोखे को समझ गए, मगर विवश थे। एक दिन जब सवेरे  के समय  राणा तथा दूलू और आदू सड़े पर जा रहे थे। तो  उन पर एक मस्त हाथी छोड़ दिया गया । जैसे ही हाथी दूसरी ओर मुड़ गया और नारायण चंद तथा उस के साथी मंत्री की जान बच गई। इसके पश्चात आदू तो वहां से भागकर वापस जुब्बल पहुंच गया। राजा सिरमौर ने नारायण चंद और  दूलू की पूर्ण रूप से बंदी बना लिया । राजा ने सिरमौरी सेना भेज कर जुब्बल पर अधिकार कर लिया परंतु बराह भड़ाल और पछगांव के परगने सिरमौर के आधिपत्य से बाहर रहे। इन पर नारायण चंद के पुत्र रूप चंद का अधिकार रहा। इसी अवधि में दूलू की सिरमौर में मुत्यु हो गई। और इस दुख और अपमान के कारण राजा नारायण चंद की भी सिरमौर में ही मृत्यु हो गई। यह घटना कब घटी और उस समय कौन सिरमौर का राजा था। जुब्बल का इतिहास इस बारे में मौन है। न ही इस घटना का उल्लेख सिरमौर के इतिहास पर एकमात्र लिखी पुस्तक में मिलता है। इतना अवश्य उल्लेख है कि सिरमौर के राजा सूरज प्रकाश ने जुब्बल, बलसन, कुम्हारसेन, घुंड, ठियोग, सारी और रावींगढ़ पर आक्रमण कर के इन्हें अपने अधीन किया। दूसरा उल्लेख राजा वीर प्रकार के समय का है। इसके अनुसार उक्त राजा ने हाटकोटी में दुर्गा मां का मंदिर बनाया और एक किला  हाटकोट है।                      – क्रमशः


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App