12 साल बाद स्कूल में खाने की जांच

By: Aug 23rd, 2019 12:40 am

शिमला  – हिमाचल के  सरकारी स्कूलों में अढ़ाई हजार छात्र मिड-डे मील का खाना तो खा रहे हैं, लेकिन इस खाने में कितना पोषण आहार छात्रों को मिल रहा है, इसकी कोई जांच व्यवस्था ही नहीं है। हैरत है कि 12 साल बाद एक जिले के सरकारी स्कूलों के खाने की क्वालिटी जांचने का नंबर आता है। वहीं उक्त जिले के सभी सरकारी स्कूलों को तब भी कवर नहीं  किया जाता है, केवल पांच स्कूलों के खाने की क्वालिटी जांच के सैंपल लिए जाते है और मोहाली में टेस्ट के लिए भेजे जाते हैं। ऐसे में सवाल यह है कि पांच स्कूलों के सैंपल से बाकी स्कूलों में खाना कैसा सही है, इसे विभाग कैसे पुख्ता कहते हैं। शिक्षा विभाग के ही पुख्ता सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील के तहत कई बार पौष्टिक खाने को लेकर भारत सरकार भी जांच के आदेश हिमाचल को दे चुकी है। बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग के पास फूड टेस्टिंग मशीन की कोई सुविधाएं नहीं हैं। वहीं विभाग ने सरकार को टेस्टिंग मशीन के लिए कई बार प्रोपोजल भी भेजा, लेकिन बजट की कमी की वजह से अभी तक फूड टेस्ंिटग मशीन का प्रोपोजल अधर में ही लटका हुआ है। राज्य में रोजाना अढ़ाई लाख छात्र मिड-डे मील के तहत खाना खाते हैं। कई बार मिड-डे मील के खाने को लेकर सवाल भी उठ चुके हैं। ऐसे में फूड टेस्टिंग मशीन विभाग ने खाने की क्वालिटी जांच करने के लिए महत्त्वपूर्ण बताई थी। बता दें कि  मिड-डे मील के तहत छात्रों को दोपहर को परोसे जाने वाले खाने में पौष्टिक आहार की मात्रा कितनी पाई जाती है, वहीं स्कूलोें में खाना बनाते समय स्वच्छता का कितना ध्यान रखा जाता है, यह सब जांच के बाद ही खुलासे होते हैं। फिलहाल यह बड़ी हैरानी है कि 12 साल जिले के पांच स्कूलों का चयन कर ही स्कूलों से खाने के सैंपल भरे जाते हैं। गौर हो कि हिमाचल में इस वजह से भी फूड सेफ्टी मशीन की जरूरत है, क्योंकि यहां कोई भी निजी विश्वविद्यालय निःशुल्क  स्कूलों में जाकर सर्वे नहीं करना चाहता है। ऐसे में सरकार की फ्री मिड-डे मील की जांच करने की योजना भी हवा में ही है। जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष अगस्त, 2018 में शिक्षा विभाग ने सरकार के आदेशों के बाद चार विश्वविद्यालयों को फूड जांच का जिम्मा दिया था, लेकिन अभी तक इन सभी विश्वविद्यालयों ने कोई सर्वे नहीं किया है। बताया जा रहा है कि निजी शिक्षण संस्थानों ने फील्ड में जाकर बिना आर्थिक लाभ से मिड-डे मील की जांच करने से इनकार कर दिया है। यह तो साफ है कि करीब पंद्रह हजार स्कूलों में छात्रों को खाने में पौष्टिक आहार मिल भी रहे हैं या नहीं, इसको लेकर कोई भी प्रबंध नहीं है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि अब शिक्षा विभाग मिड-डे मील को लेकर स्कूलों में सर्वे करने का कार्य सरकारी विश्वविद्यालय को देने का प्रोपोजल सरकार को भेजेगा। जानकारी के अनुसार सिरमौर के पांच स्कूलों में इस साल स्कूलों में मिलने वाले दोपहर के खाने की जांच होगी।

अभी तक तीन जिलों में जांच

फूड टेस्टिंग मशीन के माध्यम से अभी तक तीन जिलों के 15 स्कूलों की जांच हो पाई है। इसमें सोलन, बिलासपुर, हमीरपुर बताया जा रहा है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App