12 साल में डेढ़ लाख बंदरों की नसबंदी
आठ केंद्रों में फिर प्रक्रिया जारी, जागरूक किए 35 स्कूल
शिमला -प्रदेश में 12 साल में एक लाख 55 हजार 706 बंदरों की नसबंदी हुई। हालांकि प्रदेश की 91 तहसीलों में बंदरों को मारने की खुली छूट मिली है, लेकिन अभी तक एक भी बंदर नहीं मार गया है। इस मसले पर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने भी विधानसभा मानसून सत्र में अतारांकित सवाल के माध्यम से उठाया। लिखित जवाब में वन मंत्री ने कहा कि प्रदेश के आठ नसबंदी केंद्रों में अब तक 31 जुलाई तक एक लाख 55 हजार 706 बंदरों की नसबंदी हो चुकी है। इसके फलस्वरूप 4.66 बंदरों के जन्म पर रोक लग गई है। बंदरों के आतंक पर काबू पाने के लिए वन विभाग ने प्रदेश के 36 स्कूलों को भी जागरूक किया किया है। इसके साथ-साथ वाइल्ड लाइफ विभाग अब मॉडर्न तरीके से बंदरों से निपटेगा। इसके लिए वन विभाग ने यूपी और राजस्थान से दो टीमें आमंत्रित की हैं, जो बंदरों के ग्रुप और उनके रहने के प्रमुख अड्डों को खत्म करेगी। बताया गया कि यूपी और राजस्थान से आई यह टीम शिमला सहित प्रदेश के अन्य शहरों में बंदरों के ग्रुप को खत्म कर उन्हें किसी दूसरे स्थान पर ले जाएगी। उसके बाद वहां पर नसबंदी भी की जाएगी। वर्ष 2015 में हुई गणना के मुताबिक प्रदेश में दो लाख सात हजार बंदर हैं, जिसमें से एक लाख 55 हजार 706 बंदरों की नसबंदी हो चुकी है। बताया गया कि पिछले साल 20 हजार बंदरों की नसबंदी हुई। इस बार भी वन विभाग ने 20 हजार बंदरों की नसबंदी का टारगेट फिक्स किया है।
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