आसानी से नहीं उखडेंगी सड़कें

By: Aug 25th, 2019 12:03 am

20 की जगह 30 एमएम होगी बिटुमिन की परत

शिमला -पहाड़ी राज्य में अब सड़कों की टायरिंग आसानी से नहीं उखड़ेंगी। यहां सड़कों पर अत्यधिक दबाव और मौसम की बेरुखी के चलते सरकार ने मापदंडों को बदलने की सोची है। लोक निर्माण विभाग को इस संबंध में निर्देश दे दिए गए हैं, जो भविष्य में सड़कों पर बिछाई जाने वाली बिटुमिन की मात्रा को बढ़ाएगी। अभी तक राज्य की सड़कों पर 20 एमएम परत वाली बिटुमिन बिछाई जाती थी, जिसे अब बढ़ाकर 30 एमएम किया जा रहा है। पूर्व की कांग्रेस सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी  इसपर जोर दिया था, लेकिन आगे कुछ नहीं हो सका। अब जयराम सरकार ने सड़कों को बेहतर बनाने के लिए फैसला लिया है। इसके तहत विभाग टायरिंग की तकनीक का बदलेगी, वहीं 30 एमएम बिटुमिन कंकरीट की टायरिंग की जाएगी। पहले 20 एमएम थिक प्री मिक्स कंकरीट की टायरिंग की जाती थी। इस पर अब रोक लगा दी है। राज्य लोक निर्माण विभाग ने दो साल पहले शिमला शहर के कार्ट रोड़ पर 30 एमएम बिटुमिन कंकरीट की टायरिंग का ट्रायल किया था। दो सालों में प्रदेश में भारी बर्फबारी और बारिश हुई। बावजूद इसके शहर के कार्ट रोड खराब नहीं हुए और न ही इसमें कोई गड्ढा पड़ा। इसके बाद लोक निर्माण विभाग ने इस तकनीक को पूरे प्रदेश की सड़कों में इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है। अभियंताओं के मुताबिक 30 एमएम थिक बिटुमिन कंकरीट में तारकोल का ज्यादा इस्तेमाल होता है। इसमें बजरी एक ही साइज की नहीं, बल्कि तीन तरह की डलती है। इससे सड़क में पानी का रिसाव कम होता है और वह उखड़ती नहीं।

प्रदेश में 36623 किलोमीटर सड़कें

हिमाचल में अभी तक 36623 किलोमीटर सड़कें हैं। इनमें 26751 किलोमीटर पक्के मार्ग हैं। हर तीन साल बाद सड़कों की टायरिंग की जाती है। जिस सड़क पर पहली बार टायरिंग होती है उसमें शर्त रहती है कि सड़क यदि तीन साल से पहले खराब हुई तो संबंधित ठेकेदार ही उसकी मेंटेनेंस करेगा।

उद्योग विभाग को लिखा पत्र

लोक निर्माण विभाग ने बजरी की गुणवत्ता के निर्धारण को लेकर उद्योग विभाग को पत्र लिखा है।  इसमें कहा गया है कि वह स्टोन क्रशरों का निरीक्षण करें। इसमें देखें कि क्रशर में 63 एमएम, 40 एमएम, 20 एमएम, 13.2 एमएम, 4.75 एमएम, 2.36 एमएम और 75 माइक्रोन की जालियां लगी हैं या नहीं। यह जालियां बजरी से रेत और मिट्टी हटाने के लिए लगी होती हैं। बजरी में मिट्टी और रेत की मात्रा ज्यादा नहीं होनी चाहिए।


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