औपचारिकताओं में फंसा बल्क ड्रग पार्क

By: Sep 8th, 2019 12:30 am

बीबीएन – दवा उद्योगों के लिए संजीवनी साबित होने वाला बल्क ड्रग पार्क औपचारिकताओं के फेर में उलझ कर रह गया है। विभागीय अधिकारी औपचारिकताओं को पूरा करने में जुटे हैं, लेकिन प्रोजेक्ट में हो रही देरी ने दवा उद्यमियों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। दरअसल, वर्ष 2016 में बल्क ड्रग पार्क की घोषणा के बाद से अभी तक पार्क की स्थापना के नाम पर जमीन चयन के अलावा कुछ नहीं हो पाया है। जमीन नाम होने के बाद उद्योग विभाग अब पार्क की एन्वायरनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट करवा  रहा है, जिसके लिए एक एजेंसी को हायर किया गया है, जो जल्दी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। उसी रिपोर्ट के आधार पर तय हो पाएगा कि पार्क की स्थापना की जा सकती है या नही। क्योंकि बल्क ड्रग पार्क सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की श्रेणी में आता है। हालांकि विभागीय अधिकारियों को उम्मीद है कि बल्क ड्रग अगले कुछ सालों में हकीकत बन सकता है। बीबीएन के मौजा डाडी हरनाम गागूवाल, निक्कूवाल, मंडयारपुर और बेला में 663.11 बीघा भूमि चयनित की गई है, जो डिमार्केशन के बाद विभाग को ट्रांसफर हो गई है। अब यहां उद्योग विभाग की ओर से फैंसिंग करवाई जाएगी। केंद्र सरकार बल्क ड्रग्स के मामले में औषधि बाजार पर चीन के वर्चस्व को तोड़ने की कवायद में है। इसी कड़ी में देश में बल्क ड्रग्स पार्क की स्थापना की जा रही है। नालागढ़ में प्रस्तावित पार्क इसी कड़ी का हिस्सा है। उद्योग विभाग के उपनिदेशक संजय कंवर ने बताया कि बल्क ड्रग पार्क की स्थापना से पूर्व इसका एन्वायरनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट करवाया जा रहा है, क्योकि यह अत्यधिक प्रदूषण की श्रेणी में आता है।  असेसमेंट के बाद इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा जाएगा।

महज दो फीसदी बल्क ड्रग इंडस्ट्री

प्रदेश में अभी तक बल्क ड्रग इंडस्ट्री का शेयर मात्र दो फीसदी है, जिसमें मोरपेन दवा उद्योग प्रमुख तौर पर काम कर रहा है। बल्क ड्रग इंडस्ट्री रोजगार के भी खासे अवसर लाएगी। अब यदि हिमाचल में ही बल्क ड्रग मिलना संभव हो जाए तो वाजिब कीमत पर दवा कंपनियों को बल्क ड्रग मुहैया हो जाएगा।


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