चंडीगढ़ नगर निगम के पास नहीं धन

By: Sep 19th, 2019 12:02 am

चंडीगढ़ – देश की स्मार्ट सिटी परियोजना में शामिल चंडीगढ़ के पास सडकों की रिकार्पेटिंग अथवा नई सड़कें बनाने के लिए धन ही नहीं है। एक ओर नगर सांसद किरण केर शहर में मनोरंजान कर लगने के हक में नहीं, काओ सेस की अधिसूचना जारी नहीं हुई, पानी व पार्किंग की दरें राजनीति नहीं बढ़ने देती। राजस्व अर्जित करने वाले विभाग प्रशासन निगम के हवाले नहीं करता। निगम सदन के की पिछले कल हुई बैठक में निगमायुक्त ने स्पष्ट कर दिया कि सड़कों कीस्थिति सुधारने के लिए निगम के पास पैसा ही नहीं है। सडकों की गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए 30 वर्षों के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल टीचर्स ट्रेनिंग एंड रिसर्च के साथ एक समझौता ज्ञापन के एजेंडे पर चर्चा के दौरान उन्होंने यह ब्यान  दिया। एनआईटीटीटीआर ने प्रस्ताव दिया था कि अगर चंडीगढ़ नगर निगम 30 साल तक शहर की सड़कों को बनाए रखने के लिए उसके साथ करार हस्ताक्षर करता है  तो वह हर साल 300 किलोमीटर तक 63.06 लाख रुपए का शुल्क लेगा। एनआईटीटीटीआर के प्रस्ताव के जवाब में निगम ने अपनी वित्तीय स्थिति का उल्लेख  करते हुए कहा था, वह 36.60 लाख रुपए से अधिक का भुगतान करने में सक्षम नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि नगर निगम शहर में 1800 किलोमीटर से अधिक सड़कों का रखरखाव  करता है। निगमायुक्ेत का तो यहां तक कहना था कि निगम तो अब अपने कर्मचारियों को वेतन तक देने का सामर्थय नहीं रखता। हाल ही में प्रशासन ने निगम को 50 करोड़ रुपए सडकों के रखरखाव के लिए दिए थे। इस पर पार्षदों द्वारा पूछे जाने पर अधिकारियों ने जवाब दिया कि 2017-18 का फंड सड़कों के लिए पहले ही खर्च किया जा चुका है।

वित्त मंत्री से भी मिले महापौर

गत वर्ष महापौर के साथ केंद्रीय वित्त मंत्री से मिलने गई सांसद को जवाब मिला की अपनी आय के संसाधन स्वयं तलाश करो। जब संसाधन तलाशने की बात आई तो सांसद न तो मनोरंजन कर लगाने के हक में है, न पार्किंग की दरें बढ़ाने के हक में  थी व न ही अतिरिक्त कर लगाने के हक में है। केंद्र से अतिरिक्त वित्तीय सहायता लाने में वह विफल रही। निगम अधिकारी बाहरी राज्यों से आ रहे वाहनों से पैसेंजर टैक्स लिए जाने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।


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