बद्दी-कालाअंब-परवाणू में जहरीला कचरा

By: Sep 20th, 2019 12:30 am

पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की जांच में खुलासा

बीबीएन – केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने औद्योगिक क्षेत्र बद्दी, कालाअंब व परवाणू में विषैला कचरा पाए जाने के बाद राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) को इस कचरे के तुरंत वैज्ञानिक निपटान के निर्देश दिए हैं। बताते चलें कि पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा किए गए एक अध्ययन में देश भर में ऐसे 55 स्थलों की पहचान की गई है, जहां खतरनाक रसायन पाए गए हैं। हिमाचल के बद्दी कालाअंब व परवाणू में छह जगहों पर स्वास्थय के लिए हानिकारक खतरनाक रसायनों का पता लगाया गया है, जिनमें जस्ता, तांबा, सीसा, क्रोमियम और हेक्सावेलियम क्रोमियम जैसे रसायन प्रमुख तौर पर शामिल हैं। पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अध्ययन में परवाणू, कालाअंब और बद्दी के औद्योगिक क्षेत्रों में छह ऐसे स्थलों की पहचान की गई है, जिनमें कैडमियम, एस्बेस्टस, टोल्यूनी, कीटनाशक, क्लोरोफॉर्म तथा डाईक्लोरोमैथेन जैसे कार्बनिक यौगिकों व कार्सिनोजेनिक जैसे खतरनाक रसायनों के अलावा ट्राइक्लियोइथेन और विनाइल क्लोराइड की मौजूदगी पाई गई है। इनमें बद्दी में संडोली नाले के पास, हाउसिंग बोर्ड बद्दी फेज-3 से निकलने वाले गंदे नाले, कालाअंब में त्रिलोकपुर रोड पर व मार्कंडेय नदी, परवाणू में एक निवास स्थान पर और कौशल्या नदी किनारे खड़ेन गांव के पास खतरनाक रसायनों की मौजूदगी पाई गई है। इस मामले में एनजीटी के निर्देश पर सीपीसीबी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को बद्दी में विशेषकर हाउसिंग बोर्ड फेज -3 में पुनर्वितरण के लिए तुरंत एक एक्शन प्लान तैयार करने के आदेश दिए हैं। सीपीसीबी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को छह माह के भीतर खतरनाक कचरे के वैज्ञानिक निपटान के निर्देश दिए हैं।

बेहद खतरनाक रसायन मौजूद

केंद्रीय मंत्रालय के अध्ययन में हिमाचल के औद्योगिक क्षेत्रों में कैडमियम और लैड जैसे कार्बनिक यौगिकों और रसायनों की उपस्थिति चितांजनक पहलू है, क्योंकि ये कार्सिनोजेनिक प्रकृति के हैं और मनुष्यों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आदित्य नेगी ने बताया कि सीपीसीबी से जो निर्र्देश मिले हैं, उनके आधार पर एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है हालांकि जो स्थान सीपीसीबी से मिले पत्र में बताए गए हैं, सीपीसीबी की साइट पर उनका कहीं जिक्र नहीं है। इसलिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।


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