बार-बार पेशाब प्रोस्टेट बीमारी का है लक्षण
चंडीगढ़ – प्रोस्टेट की बीमारियां बढ़ती उम्र में आम हो जाती हैं और मृत्यु का कारण बनती हैं। बार- बार पेशाब की इच्छा होना और पेशाब के बाद भी यह महसूस होना कि ब्लैडर भरा हुआ है आदि इसके लक्ष्ण है। इस बारे में पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के यूरोलोजिस्ट डा. संतोष कुमार ने कहा कि प्रोस्टेट या बीपीएच का निदान शारीरिक, रेडियोग्राफिक जांच एवं कुछ लैब टेस्ट द्वारा किया जाता है। शारीरिक परीक्षण में डीआरई शामिल है, जिसमें यूरोलॉजिस्ट प्रोस्टेट का शारीरिक परीक्षण करता है। एब्डॉमिनल एवं पेल्विक अल्ट्रासाउंड प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार प्रदर्शित करते हैं। लैब टेस्ट में पीएसए शामिल हैं। पीएसए एक प्रोटीन है, जो केवल प्रोस्टेट द्वारा बनता है। जब प्रोस्टेट स्वस्थ होता है, तब खून में बहुत कम पीएसए पाया जाता है। डा. संतोष कुमार ने कहा कि ऊंची दर के बावजूद मरीजों को इस बीमारी की जानकारी नहीं होती, क्योंकि वे इसे बढ़ती उम्र का हिस्सा मानते हैं, जिसे मरीज पर केंद्रित जागरूकता अभियान द्वारा ठीक किया जा सकता है। बीपीएच का निदान विविध विधियों के मिश्रण द्वारा होता है, जिसमें मरीज का इतिहास, आईपीएसएस स्कोरकार्ड, अल्ट्रासाउंड एवं पीएसए टेस्ट शामिल हैं।
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