मुनिवर नहीं करते अपने गंजत्व का इलाज

By: Sep 17th, 2019 12:05 am

अजय पाराशर

लेखक, धर्मशाला से हैं

एक दिन पंडित जॉन अली मुझसे पूछने लगे, ‘तुम कभी महर्षि खुमार नामी के समागम में गए हो। मेरे न कहने पर बोले, ‘यार कमाल की शख्सियत है, उनकी। लोगों को बीमारियों, कष्टों और समस्याओं से छुटकारा पाने के अचूक मंत्र देते हैं। मैं शहर में होने वाले उनके समागम में शुगर के इलाज का मंत्र लेने जा रहा हूं।’ फिर मेरे कुछ पूछने से पहले ही बोलने लगे, ‘मैं पिछले चार साल से शुगर से पीडि़त हूं। बस उनसे मंत्र लेते ही मुझे शुगर से सदा के लिए छुटकारा मिल जाएगा।’ मैंने पूछा, ‘क्या यह वही महान संत हैं, जिनके बारे में आज के सभी अखबारों में फुल फ्रंट पेज विज्ञापन छपे हैं।’ वह खुश होते हुए बोले, अच्छा तो तुम उनकी महानता के बारे में पहले ही जानते हो। मैं बोला, ‘यार ऐड में मुनिवर के चमत्कारों के बारे में पढ़ा था। आपके मुनि श्रेष्ठ लोगों को आंखों की रोशनी ठीक करने, गंजत्व दूर करने, सफेद बालों को काला करने, घातक रोगों को दूर करने, वशीकरण, नौकरी-व्यापार में सफलता हासिल करने आदि के मंत्र देते हैं। लेकिन पता नहीं क्यों आपके मुनिवर अपने गंजत्व का इलाज नहीं करते। उनके बाल भी सफेद हैं और आंखों पर मोटा चश्मा चढ़ा हुआ है।’ यह सुनते ही उन्होंने मौन धारण कर लिया और मुझे घूरते हुए घर के भीतर चले गए। मैंने उन्हें किसी तरह मनाया, तो बोले, मुझे सरकारी अधिकारी होने की वजह से जो ़विशेष पास मिला है, उस पर चार आदमी जा सकते हैं। समागम रात भर चलना था। मंच संचालक, जो विगत में किसी पौराणिक सीरियल में काम कर चुका था और आजकल लापत्व को प्राप्त था, मुनिवर की महानता, मंत्रों की शक्ति, महत्त्व और गुरु दक्षिणा के बारे में विस्तार से बता रहा था। चेला मंडली में शामिल सवैतनिक कर्मी हाथों में बड़े-बड़े गल्ले लिए भीड़ से गुरु दक्षिणा इकट्ठा करने में व्यस्त थे। महर्षि के आने का समय शाम को नौ बजे निर्धारित था। लेकिन जब वह अवतरित हुए, रात के ग्यारह बज चुके थे। महान संत ने ओंकार का जाप करते हुए मंत्रों के प्रकार और मूल्य के हिसाब से कतारबद्ध भक्तों को सच्चे हृदय से एकाग्र होने का निर्देश दिया। जब तक पांच सौ एक रुपए वाले भक्त निपटते, बारिश अपने पूरे शबाब पर उतर चुकी थी। लेकिन किसी भक्त ने महर्षि से मंत्र के माध्यम से बारिश बंद करने का अनुग्रह करने की धृष्टता नहीं की। तेज बारिश के बावजूद भक्त पूरी श्रद्धा के साथ डटे हुए थे। कई लोग, जिनमें पंडित और मैं भी शामिल था, गुरुजी के सान्निध्य में एकांत में मंत्र लेने के लिए उनके परम शिष्यों के पास अपना नाम दर्ज करवाने और समय लेने कोमरे जा रहे थे। इन तमाम जागतिक क्रियाओं से बेखबर आंखें बंद किए महान संत जगत के कल्याणार्थ अपने भक्तों को मंत्र प्रदान करने में मग्न थे। पता नहीं, उन्हें अपने शिष्यों पर पूरा भरोसा था या 360 डिग्री में स्थापित उन सीसीटीवी कैमरों पर, जो उनके शिष्यों की हर गतिविधि पर नजर रखे हुए थे।           


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