राजा प्रताप चंद ने की थी गुप्त रूप से क्रांति की तैयारियां

By: Sep 18th, 2019 12:14 am

सुजानपुर टिहरा में राजा प्रताप चंद गुप्त रूप से अपने किले में  क्रांति की तैयारियों में लगे रहे। उनके पास टिहरा में एक मजबूत किला था जिसकी सुरक्षा आसानी से की जा सकती थी। कटोच वंश के इस क्रांतिकारी राजा ने अकेले ही अंग्रेजों से लोहा लेने की ठान रखी थी…

गतांक से आगे …

रात को क्रांतिकारी दल के लोग फिरंगियों के घरों, कचहरी, कोतवाली और बंगलों पर पथराव कर उन्हें आतंकित करते रहे। धर्मशाला में रहने वाले फिरंगी घरों से बाहर न निकल सके और न ही दफ्तरों में काम हो सका। भय और आतंक में यहां के फिरंगियों ने उच्च अधिकारियों को सुनिश्चित सुरक्षा के लिए ज्ञापन भेजे। परिणामस्वरूप धर्मशाला की सुरक्षा के लिए डिप्टी कमिश्नर ने कचहरी, कोतवाली और निजी बंगलों के बाहर मजबूत फाटक-द्वार लगवाए। बंगलों के बुर्जों और मीनारों को भी बंद कर दिया। यह सुरक्षा का कार्य लेफ्टिनैंट हाल और  आर-सांडर्ज के निरीक्षण में हुआ था। पंजाब के ज्युडिशिनल कमिश्नर  रॉबर्ट मांटगोमरी के आदेश पर जिले में अनिवार्य सैनिक भर्ती की गई और प्रत्येक ब्रिटिश आवास पर चार-चार गार्डज तैमान किए गए। कोतवाली , कचहरी और जेल के लिए नए ‘बरकुनदाज गार्डज’ तैनात किए गए। एक अफसर 12 जमादार, 12 दफादार और 100 नए सिपाही भर्ती कर दिए गए तथा तीन नई पुलिस चौकियां स्थापित की गई। कुल मिलाकर 24 जेल गार्डज, 125 हाऊस गार्डज और 79 नाका जोत-पास गार्डज और घाट-पास गार्डज नियुक्त किए गए।  19 मई, 1857 ई. को ऊना-होशियरपुर में स्थानीय क्रांतिकारियों ने देशों पुलिस के साथ मिलकर विद्रोह कर दिया और सरकारी संपत्ति नष्ट कर दी। इस विद्रोह को दबाने के लिए 64 गरकुंदाज गार्डज धर्मशाला से ऊना भेज दिए गए। धर्मशाला में कड़े सुरक्षा प्रबंधों के कारण क्रांतिकारियों की खुली बगावत पर रोग लग गई और उन्हें बाहरी सहायता भी प्राप्त न हो सकी।

दूसरी और सुजानपुर टिहरा में राजा प्रताप चंद गुप्त रूप से अपने किले में  क्रांति की तैयारियों में लगे रहे। उनके पास टिहरा में एक मजबूत किला था जिसकी सुरक्षा आसानी से की जा सकती थी। कटोच वंश के इस क्रांतिकारी राजा ने अकेले ही अंग्रेजों से लोहा लेने की ठान रखी थी। उसने अपने इलाके में अपने विश्वास मात्र सहयोगियों को जनसाधारण में क्रांति के लिए प्रेरित करने के लिए  भेजा। हथियार और बारूद का प्रबंध किया और गांवों में क्रांति के लिए जवानों की भर्ती की तथा स्वयं पड़ोसी रियासतों के विस्थापित शासकों से सहयोग प्राप्त करने के लिए मंत्रणा करते रहे। इस सशस्त्र क्रांति की योजना में उनके मुख्य यहयोगी टिहरा के क्रांतितकारी थानेदार थे जो कटोच वंश के ही थे।  वे प्रताप चंद के साथ कंधे से कंधा मिला कर क्रांति की योजना की सफलता के लिए भरसक प्रयत्न करते रहे। कटोच थानेदार ने सरकारी अफसरी का लाभ उठाकर जन-जागृति में बहुत सहयोग दिया।

– क्रमशः   

 


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