रात भर बरसे मेघ, मौसम हुआ कूल-कूल

By: Sep 30th, 2019 12:20 am

बारिश ने पशुपालकों की बढ़ाई मुश्किलें, लोगों को निकालने पड़े गर्म कपडे़

नेरवा-क्षेत्र में शनिवार शाम से हो रही बारिश से जहां मौसम कूल-कूल हो गया है, वहीं पशुपालकों की मुश्किलों में इजाफा हो गया है। क्षेत्र में शनिवार शाम छह बजे से हो रही लगातार बारिश से पारे में भारी गिरावट आने से मौसम में बदलाव आ गया है। मौसम में ठंडक आने से लोगों ने गर्म कपडे़ निकालने शुरू कर दिए हैं। इस बारिश के बाद लोगों को खुश्क मौसम से भी निजात मिली है। बीते एक माह से बारिश न होने से मौसम एकदम खुश्क हो गया था जिस वजह से लोग वायरल की चपेट में आने शुरू हो गए थे। इस बारिश के बाद लोगों को खुश्क मौसम के साथ-साथ वायरल से भी राहत मिलने की उम्मीद है। उधर, क्षेत्र में इन दिनों घास कटाई का काम जोरों पर है। बारिश होने से काटे गए घास के सड़ने का खतरा पैदा होने से पशुपालकों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच गई है। बता दें कि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी कई लोग पशुपालन से जुड़े हुए हैं। इनमें अधिकांश गुज्जर समुदाय के लोग भी हैं जिनकी आजीविका मात्र पशुपालन पर ही निर्भर है। यह लोग इन दिनों घास काटकर उसे सूखा कर टोलियों में एकत्रित कर लेते हैं। यही घास सर्दियों में इनके मवेशियों के लिए चारे के रूप में काम आता है। परंतु बेमौसमी बारिश ने इन लोगों को मुसीबत में डाल दिया है। लोगों ने सैकड़ों टोलियां घास काटकर घासनियों में सूखने को रखा है। अब बारिश से भीगने पर इस घास के सड़ने का खतरा पैदा हो गया है जिस वजह से इन लोगों को सर्दियों में अपने पालतू मवेशियों के लिए चारे की चिंता सताने लगी है। तरशाणु निवासी गुलाम रसूल, अशरफ, जाफर, मुस्तफा, नूरा और जहूर हसन ने बताया कि अकेले तरशाणु में ही गुज्जर समुदाय के साठ से ज्यादा परिवार रहते हैं जिन की आजीविका का मुख्य साधन पशुपालन है। हरेक परिवार ने दस बारह पशु पाले हुए हैं एवं इनके लिए आजकल घास काटकर सर्दियों की चारे की व्यवस्था की जाती है। हरेक परिवार 10-12 टोलियां घास काटकर सर्दियों के लिए एकत्रित कर लेता है व यही घास सर्दियों में पशुओं के चारे के लिए प्रयोग में लाया जाता है। लोगों ने घास काटकर उसे घासनियों में सुखाने के लिए रखा है।


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