लावारिस पशुओं ने कितने मारे जयराम सरकार को नहीं पता

By: Sep 8th, 2019 12:10 am

विधानसभा का मानसून सत्र भले ही विधायकों के बढ़े हुए यात्रा भत्ते के लिए चर्चित रहा हो, लेकिन किसान भाइयों के लिए भी इसमें काफी कुछ जानने योग्य रहा। ये वे सूचनाएं हैं, जो यात्रा भत्ते के बवाल में दब गईं।  विधानसभा में सबसे बड़ी जानकारी यह मिली है कि हिमाचल सरकार के पास यह आंकड़ा ही नहीं है कि अब तक लावारिस पशुआें ने कितने लोगों की जान ले ली है।  इस सवाल के जवाब में सरकार की ओर से इतना ही बताया गया  कि  सरकार इस बारे में आंकड़े जुटा रही है। बेलगाम सांड कहीं राहगीर को हवा में उड़ा रहे हैं, तो कहीं कार और बाइक को टक्कर से गिरा रहे हैं।  प्रदेश की शायद ही ऐसी कोई सड़क हो, जहां हर 10 मीटर की दूरी पर कोई सांड ट्रैफिक को चुनौती नहीं दे रहा हो। एक अन्य सवाल के जवाब में बताया गया कि कांगड़ा जिला के जाच्छ में जमीन मिलने पर ही सब्जी मंडी का निर्माण होगा। इसी तरह बिलासपुर में करलोटी और छत पटवार वृतों को बंदोबस्त के लिए अभी इंतजार करना होगा। वहीं नगरोटा बगवां पशु अस्पताल को अभी जोनल का दर्जा नहीं मिलेगा। सबसे अहम बात यह कि इस बरसात में अब तक 81 करोड़ का नुकसान हुआ है। इस रिपोर्ट के मुताबिक बिलासपुर में 18.81 लाख, चंबा में 1847.55 लाख, 1847.55 लाख, हमीरपुर में 186.39, कांगड़ा में 15. 92, किन्नोर में 68.43, कुल्लू 52.87 लाख, लाहुल स्पीति 211.52 लाख, मंडी 92.70, शिमला 1341.20 लाख, सिरमौर 2118.51 लाख, सोलन में 199.70, ऊना में 1954.28 लाख का नुकसान कृषि विभाग के पास आई रिपोर्ट में अांका गया है।

 -शकील कुरैशी, शिमला, नरेंद्र शर्मा, करसोग

मोदी की जलशक्‍ति से हिमाचली खेत उगलेंगे सोना

देश में पानी की कमी से बुरी तरह जूझ रहे 256 जिलों में जलशक्ति अभियान शुरू हो गया है। जलशक्ति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े  ड्रीम प्रोजेक्टों में शुमार है। इस मुहिम के तहत पानी की कमी से बुरी तरह जूझ रहे क्षेत्रों में दरिया, तालाब, कुएं व बावडि़यां आदि सहेजी जानी हैं। ताकि लोगों के साथ साथ खेती के लिए साफ पानी मिल सके। इसके लिए नुक्कड़ नाटकों से लेकर कैंप या फिर गांव गांव जाकर लोगों को पानी का महत्व बताया जाना है। हिमाचल में इस प्रोजेक्ट के तहत चार ब्लाक शामिल किए गए हैं। इनमें कांगड़ा जिला का इंदौरा, सिरमौर का नाहन,सोलन का नालागढ़ और ऊना ब्लाक शामिल है। इसी तरह पांच शहरी निकायों को भी इस योजना में जगह मिली है। इनमें सोलन, ऊना, नाहन, कांगड़ा और नालागढ़ शामिल हैं। प्रदेश में इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम किया जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल ने सिरमौर जिला के त्रिलोकपुर में सरकारी किसान मेले के दौरान इस अभियान से सैकड़ों लोगों को अवगत करवाया। बिंदल ने कहा कि

इन क्षेत्रों के अलावा हर शहर और गांव व खेत तक हमें पानी

सहेजना होगा। अकेले नाहन खंड में प्रदेश सरकार 77 तालाब जल संचय के लिए बनाए जा रहे हैं। समूचे प्रदेश में  नए तालाब और चेक डैम बनाए जाएंगे।                                           

-सूरत पुंडीर,नाहन

शिल्‍ली गांव में तैयार किया कीवी फल

सोलन जिला के एक किसान की तैयार कीवी का स्वाद पूरा देश चख रहा है। ऑर्गेनिक खेती से हिमाचल से एक्सपोर्ट क्वालिटी की कीवी तैयार कर देशभर में मिसाल बन रहे मनदीप वर्मा की करामात कई युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है। स्वाद में  लजीज व पाचन तंत्र समेत शारीरिक ऊर्जा देने वाले फल को अपनी सफलता का नया आधार बनाने वाले मनदीप एमबीए करने के बाद विप्रो कंपनी में मैनेजर पद पर कार्यरत थे। उनकी पत्नी सुचेता वर्मा कंपनी सचिव हैं। साढ़े सात वर्ष पहले उन्होंने घर के पास बंजर जमीन पर बागबानी का विचार किया। इसके लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी और गांव लौट आए। उनके पिता राजेंद्र वर्मा, माता राधा वर्मा ने कीवी की खेती में उनका पूरा सहयोग दिया। विश्वद्यालय नौणी के वैज्ञानिकों से बात कर के बाद उन्होंने विशेषज्ञों की सलाह पर मध्यपर्वतीय क्षेत्र में कीवी का बाग तैयार करने का मन बना लिया। उन्होंने 14 बीघा जमीन पर कीवी का बागीचा लगाया। उन्होंने कीवी की उन्नत किस्में एलिसन और हैबर्ड के पौधे ही लगाए।  करीब 14 लाख रुपए से बागीचा तैयार करने के बाद मनदीप ने वेबसाइट बनाई। मनदीप के मुताबिक बाग से उत्पाद सीधे उपभोक्ता तक पहुंचाने की उनकी कोशिश कारगर साबित हुई। आज वह इस प्रोजेक्ट से प्रदेश के किसानों के लिए मिसाल बन गए हैं।

मोहिनी सूद, सोलन

आढ़तियों से अब तक तीन करोड़ की‌ रिकवरी

सेब बागबानों से ठगी करने वाले आढ़तियों से अब तक तीन करोड़ की रिकवरी की जा चुकी है। एएसपी क्राइम वीरेंद्र कालिया के नेतृत्व में बनी एसआईटी फर्जी आढ़तियों से बागबानों के पैसे वसूलने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक एसआईटी की एक टीम दिल्ली और चंडीगढ़ में डटी हुई है, जो ठगी आढ़तियों से रिकवरी करने में जुटी है। दिल्ली, चंडीगढ़ और शिमला के ये ऐसे आढ़ती हैं, जिन्होंने ऊपरी शिमला और किन्नौर के कुछ बागबानों से पिछले साल सेब खरीदने के बावजूद करोड़ों की राशि बागबानों को नहीं दी। पुलिस एसआईटी अब तक 45 से अधिक आढ़तियों से पूछताछ कर चुकी है। एसआईटी ने आढ़तियों से अब तक करीब तीन करोड़ रुपए की रिकवरी     की है। शेष आढ़तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो रही है। बार-बार बोलने पर भी पैसे जमा नहीं करने वालों के लिए जेल ही एकमात्र रास्ता है

-आरपी नेगी,शिमला

 वाह ! इनमें रोपे बूटे बन गए जंगल

पंकज कुमार

वन विभाग नगरोटा सूरिया के अंतर्गत किया गया पौधारोपण कटोरा पंचायत घेरा गांव में वनरक्षक पंकज कुमार द्वारा कुछ वर्ष पहले किया गया पौधारोपण आज जंगल का रूप ले चुका है। जो कि एक बहुत बड़ी मिसाल है  तथा उसे  सरकार की ओर से प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि हर व्यक्ति उनकी तरह  कार्य कर सकें  और  प्रेरणा का स्रोत बने वनरक्षक पंकज कुमार में लगातार इस पौधारोपण की रक्षा की है तथा जिसका नतीजा आज यह पौधारोपण जंगल में तबदील हो गया है जिससे कि पर्यावरण वह जंगल में भी बढ़ोतरी हुई है। वनरक्षक पंकज कुमार ने लोगों द्वारा अवैध तरीके से 30 वर्ष पुरानी भूमि को भी कब्जे से छुड़ाया है। वनरक्षक पंकज कुमार से लोग भी बहुत ज्यादा खुश थे परंतु अचानक वनरक्षक पंकज कुमार का वन रेंज नगरोटा सूरियां से कहीं दूर दराज तबादला कर दिया गया है जिससे कि इलाके के लोगों ने गहरी चिंता प्रकट की है।

– रामस्वरूप शर्मा, नगरोटा सूरियां

किन्‍नौर में रायल पर भारी स्‍पर सेब

शिमला के बाद अब किन्नौर जिला में भी सेब सीजन ने रफ्तार पकड़ ली है। इस बार किन्नौर जिला में सेब के हाल जाने। बागबानों ने बताया कि वैसे तो किन्नौर के निचले इलाकों में 15 अगस्त के बाद सेब आना शुरू हो गया था, लेकिन अब मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में भी सेब तुड़ान ने तेजी पकड़ ली है। इस बार जिला में 27 लाख सेब पेटी का टारगेट तय किया गया है।  पिछले कुछ साल से सेब को लेकर जिला में ट्रेंड बदला है। आज से 15 साल पहले तक यहां रायल किस्म का बोलबाला था, जिसका स्थान अब धीरे धीरे स्पर ने ले लिया है।  कारण यह है कि रायल जहां आठ -नौ साल में फ्रूट देता है, वहीं स्पर तीसरे साल में। अब मार्केट में स्पर हो या फिर रायल, दोनों ही किस्में 2500 रुपए प्रति बाक्स बिक रही हैं। देश भर से सेब कारोबारी किन्नौर के गांव गांव तक पहुंच रहे है। इन दिनों जिला के निचार, सुंगरा, बरी, निगुलसरी, तरणडा, किल्बा आदि में तुड़ान जोरों पर है।

-मोहिंद्र नेगी, रिकांगपिओ

कांगड़ा सब्जी मंडी की  निशानदेही दोबारा होगी

मार्केट खाली हुई सैकड़ों लोगों की रोटी पर आएगा संकट

राजेश डोगरा, सचिव, कृषि उपज समिति,कांगड़ा      

राजस्व विभाग द्वारा जिला की प्रमुख सब्जी मंडी कांगड़ा की निशानदेही के बाद कृषि उपज मंडी समिति के अपत्ति जताने के बाद यह मामला अभी लटक गया है। जिस स्थान पर आज से चार दशक पूर्व कांगड़ा सब्जी मंडी बनी थी वहां वीरभद्र मंदिर कमेटी द्वारा अधिकार जताने के बाद विवाद खड़ा हो गया है । वीरभद्र मंदिर कमेटी द्वारा अधिकार जताने के बाद राजस्व विभाग द्वारा यहां निशानदेही करवाई गई । नायब तहसीलदार अपूर्व शर्मा के मुताबिक निशानदेही से वे संतुष्ट नहीं हैं। अलबत्ता यह निशानदेही दोबारा होगी। राजस्व विभाग का अगला कदम क्या होगा इस पर सब्जी मंडी के आढ़तियों व कांगड़ा के लोगों की निगाहें टिकी हैं। भविष्य में अगर मंडी के आढ़तियों को यहां से उठाने की नौबत आई तो सैकड़ों परिवारों पर इसका असर पड सकता है।  वैसे वीरभद्र मंदिर कमेटी के अध्यक्ष वेद शर्मा ने कृषि उपज मंडी समिति को हिदायत दे दी है कि इन कारोबारियों को कहीं और बसाया जाए और उनकी भूमि खाली की जाए। वीरभद्र मंदिर कमेटी का दावा है कि कृषि उपज मंडी समिति ने कमेटी की भूमि पर अवैध भवनों का निर्माण कर सब्जी मंडी स्थापित की है। हालांकि यह मंडी 1981 में निर्मित की गई थी लेकिन आज मौजूदा समय में इस मंडी को खाली करवाया जाता है तो सैकड़ों लोगों की रोजी-रोटी पर बन सकती है। उल्लेखनीय है कि यहां करीब 3 दर्जन व्यापारी कारोबार कर रहे हैं उनके यहां मुनीम एलेबर व अन्य अपरोक्ष रूप से जुड़े लोगों को मिला कर यह आंकड़ा 500 से ऊपर बैठता है। दीगर है सुविधाओं को लेकर दिशा निर्देश आला अधिकारियों और शासकों द्वारा जारी किए जाते रहे हैं, लेकिन उनको अमलीजामा नहीं पहनाया गया है। जहां तक मंडी को स्थानांतरित करने की बात है तो करीब एक दशक पूर्व वीरभद्र सरकार के कार्यकाल में इस मंडी को कछियारी शिफ्ट करने की बात आई थी और बाकायदा भूमि का चयन भी कर लिया गया था।

              -राकेश कथूरिया, कांगड़ा

कड़वे करेले से दवा भी डरे

अगस्त से नवंबर तक उगने वाली यह सब्जी पहाड़ों में बेलों पर खूब उगती है। यह करेला पहाड़ी खान-पान का एक अहम हिस्सा है और इसके गुणों की तो बात मत पूछिए। यह अनेक नामों से जाना जाता है। जैसे कि मीठा करेला, राम करेला, गुजकरेला, किकोड़ा इत्यादि। इसका वानस्पातिक नाम सिलेथक्रा पेडाटा है। इस करेले को लेकर एक किवंदती है कि भगवान राम जी ने वनवास के दौरान इसका सेवन किया था तब इसका नाम राम करेला पड़ा। कम मेहनत में इसका  अत्यधिक उत्पादन होता है। इसमें कीट और बीमारियों का प्रकोप न के बराबर होता है। जिस कारण इसमें किसी भी कीटनाशक दवा का उपयोग नहीं किया जाता  है। जिससे की इसकी गुणवता और बढ़ जाती है।

मंजू लता सिसोदिया

सहायक प्राध्यापक वनस्पति विज्ञान, एमएलएसएम कालेज सुंदरनगर एवं भूतपूर्व सहायक प्राध्यापक वनस्पाति विज्ञान केंद्रीय विश्वविद्यालय वाराणसी

500 किसानों को गुरुकुल जाने का मौका

शिमला जिला में प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों के लिए अच्छी खबर है। फार्मर्स अब गुरूकुल में प्राकृतिक खेती को लाइव देख पाएंगे। आत्मा प्रोजेक्ट के तहत इन किसानों को पहली बार कृषि विभाग गुरूकुल भेजने जा रहा है। इसके लिए कृषि विभाग 500 किसानों का चयन करेगा। इन 500 फार्मर्स को आवेदन करना होगा। आवेदन करने के बाद ही कृषि विभाग छंटनी करेगा। वहीं, चुनिंदा फार्मर्स को हरियाणा व गुरूकुल भेजा जाएगा। बता दें कि शिमला में 1160 किसान ऐसे हैं, जो जीरो बजट खेती अपना रहे हैं। जिला के विभिन्न क्षेत्रों में तैनात ये फार्मर्स सेब से लेकर हर वैजिटेबल रासायनिक व जैविक छोड़ प्राकृतिक रूप से कर रहे हैं। प्रतिमा चौहान-शिमला

खराब सेब पर बागबानों को दें मुआवजा

चौपाल तहसील में एक लाख से अधिक सेब की भरी पेटियां खराब होने पर  कांग्रेस ने चिंता जाहिर की है।   प्रदेश कांग्रेस महासचिव रजनीश किमटा ने चौपाल में 50 से अधिक संपर्क सड़कों के बंद होने पर कहा है कि लोगों को यहां भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।  उन्होंने कहा कि विधायक अपनी लग्जरी गाड़ी में यहां के मुख्य मार्ग से तो गुजरते है पर सम्पर्क सड़कों से शायद ही आते जाते हों। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया है कि पीडि़त बागबानों को मदद दी जाए।

-शकील कुरैशी, शिमला

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