शाह के ‘एक देश-एक भाषा’ बयान पर घमासान

By: Sep 15th, 2019 12:08 am

हिंदी दिवस पर गृहमंत्री के बयान पर छिड़ी डिबेट; ओवैसी, ममता और स्टालिन की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं

नई दिल्ली – गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस के अवसर पर शनिवार को ‘एक देश, एक भाषा’ की वकालत की, तो हिंदी पर फिर से बहस छिड़ गई। कई विपक्षी दलों के नेता भड़क गए। बंगाल से लेकर दक्षिण के राज्यों से तीखी प्रतिक्रियाएं आने लगीं। दरअसल, शाह ने कहा है कि पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है, जो दुनिया में भारत की पहचान बने। देश को एकता की डोर में बांधने का काम अगर कोई भाषा कर सकती है तो वह सर्वाधिक बोली जाने वाली हिंदी भाषा ही है। उन्होंने कहा कि अनेक भाषाएं, अनेक बोलियां, हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत हैं, परंतु जरूरत है कि देश की एक भाषा हो, जिसके कारण विदेशी भाषाओं को जगह न मिले। देश की एक भाषा को ध्यान में रखकर ही हमारे पुरखों ने राजभाषा की कल्पना की थी और राजभाषा के रूप में हिंदी को स्वीकार किया था। हिंदी को बढ़ावा देना हमारा दायित्व है। हालांकि ‘एक भाषा’ का उनका यह विचार एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और डीएमके चीफ स्टालिन समेत कई नेताओं को रास नहीं आया। ओवैसी ने एक भाषा की डिबेट को हिंदुत्व से जोड़कर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि हिंदी हर भारतीय की मातृभाषा नहीं है। क्या आप इस देश की कई मातृभाषाएं होने की विविधता और खूबसूरती की प्रशंसा करने की कोशिश करेंगे। हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने आगे कहा कि अनुच्छेद 29 हर भारतीय को अपनी अलग भाषा और कल्चर का अधिकार देता है। ओवैसी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए आगे लिखा कि भारत हिंदी, हिंदू, हिंदुत्व से भी बड़ा है। कुछ देर में ही टीएमसी चीफ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का ट्वीट आया। उन्होंने हिंदी में लिखते हुए हिंदी दिवस की बधाई दी और कहा कि हमें सभी भाषाओं और संस्कृतियों का समान रूप से सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम कई भाषाएं सीख सकते हैं, लेकिन हमें अपनी मातृभाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए। इसके बाद दक्षिण से प्रतिक्रिया आई। डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि हम लगातार हिंदी को थोपे जाने का विरोध कर रहे हैं। अमित शाह द्वारा की गई टिप्पणी से हमें आघात पहुंचा है, यह देश की एकता को प्रभावित करेगा। हम मांग करते हैं कि वह बयान वापस लें। स्टालिन ने बताया कि दो दिन बाद पार्टी की कार्यकारी समिति की बैठक होने वाली है, जिसमें इस मुद्दे को उठाया जाएगा। अनेक भाषाएं, अनेक बोलियां कई लोगों को देश के लिए बोझ लगती हैं। जरूरत है देश की एक भाषा हो, जिसके कारण विदेशी भाषाओं को जगह न मिले। इसी बात को ध्यान में रखते हुए राजभाषा के रूप में हिंदी को स्वीकार किया था 

अमित शाह,  गृहमंत्री

हिंदी हर भारतीय की मातृभाषा नहीं है। अनुच्छेद 29 हर भारतीय को अपनी अलग भाषा और कल्चर का अधिकार देता है

– असदुद्दीन ओवैसी

हमें सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए। हम कई भाषाएं सीख सकते हैं, लेकिन हमें मातृभाषा को नहीं भूलना चाहिए 

– ममता बनर्जी

हम लगातार हिंदी को थोपे जाने का विरोध कर रहे हैं। इस टिप्पणी से हमें आघात पहुंचा है, यह देश की एकता को प्रभावित करेगा

– एमके स्टालिन


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App