शिक्षक स्म्मान पर घमासान

By: Sep 5th, 2019 12:01 am

आरोपः नेशनल अवार्ड के लिए 22 शिक्षकों की मैरिट लिस्ट गायब

शिमला – राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान के नाम पर हिमाचल के शिक्षकों के साथ भदेभाव का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। एक बार फिर से मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। हमीरपुर के एक शिक्षक द्वारा ली गई आरटीआई में खुलासा हुआ है कि नेशनल अवार्ड के लिए आवेदन करने वाले 25 शिक्षकों में से 22 शिक्षकों की मैरिट लिस्ट अंकों के साथ नहीं दर्शाई गई है। यानी केवल राज्य स्तर पर तीन शिक्षकों का ही शिक्षा विभाग ने चयन किया और उसके बाद इन तीनों के नाम भारत सरकार को भेजे। हैरानी तो यह है कि बाकी जिन शिक्षकों ने आवेदन किया था, अवार्ड की दौड़ में वह कहां पीछे रह गए, वहीं कितने अंक उन्हें मिले, यह जानकारी भी शिक्षा विभाग के पास नहीं है। हमीरपुर के  शिक्षक ने आरोप लगाया है कि शिक्षा विभाग ने फिजिकली वेरिफीकेशन नहीं की। ऐसे में नेशनल टीचर अवार्ड में शिक्षकों का चयन आखिर किस आधार पर किया गया। आरटीआई में साफ है कि तीन शिक्षकों को विभाग ने अपने हिसाब से अंक देकर मैरिट में आगे किया है। जिस सेक्शन में कुछ शिक्षकों ने 70 से 100 कामकिए थे, उसी सेक्शन में इन शिक्षकों को 10 से 15 कार्यों के लिए ही काफी अंक दिए और 100 काम करने वाले शिक्षकों के नाम शून्य ही नसीब हुई, क्योंकि उनके कामों का कोई जिक्र्र नहीं किया गया है। गौर हो कि राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान के लिए प्रदेश के 25 शिक्षकों ने आवेदन किया था, लेकिन केवल तीन शिक्षकों की ही मैरिट सूची विभाग ने फाइनल की थी और शेष शिक्षकों के नाम केवल सूचीबद्ध किए गए थे, जिनकी बिंदुवार मैरिट भी शिक्षा विभाग के पास उपलब्ध तक नहीं है। आरोप यह भी लगाए गए हैं कि राष्ट्रीय पुरस्कार प्रस्तुति के लिए जिला स्तर की कमेटी भी नियमानुसार नहीं थी और इसमें जिला शिक्षा उपनिदेशक शामिल नहीं थे, जबकि आए हुए स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों ने भी शिक्षकों के आकलन के लिए मूल कार्य तक ठीक से नहीं किए। यही वजह रही है कि शिक्षकों की बिंदुवार उपलब्धि अंक सूची तक नहीं बनाई गई और कच्ची पेंसिल से अंक लगाए जा रहे थे, जिनको मौके पर फाइनल भी नहीं किया गया।

हाई कोर्ट जाने की तैयारी

फिलहाल गड़बड़ झाले के खिलाफ हमीरपुर के शिक्षक ने अब हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी पूर्ण कर ली है और राज्य से लेकर राष्ट्रीय पुरस्कार योजना में हो रही योग्य शिक्षकों की अनदेखी के खिलाफ संघर्ष का बिगुल बजा दिया है।


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