सचिव पर कार्रवाई न हुई तो करेंगे चक्का जाम

By: Sep 16th, 2019 12:21 am

प्रबंधन समिति के सदस्यों ने आम इजलास बुलाकर सहकारिता विभाग को दिया एक हफ्ते का अल्टीमेटम

गगरेट-कृषि सहकारी सभा दियोली में हुए ग्यारह करोड़ सत्तर लाख रुपए के महा घोटाले के बाद सहकारिता विभाग द्वारा सभा सचिव के विरुद्ध कोई कड़ी कार्रवाई करने के बजाय सभा की प्रबंधन समिति के सदस्यों को ही कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद सभा सदस्यों के गुस्से के ज्वालामुखी में रिसाव शुरू हो गया है। रविवार को प्रबंधन समिति द्वारा सभा का आम इजलास बुलाकर बाकायदा प्रस्ताव पारित कर इस महाघोटाले में विभागीय मिलीभगत का आरोप लगा डाला। सभा सदस्यों का आरोप है कि वर्ष 2016 तक हुए ऑडिटों में कैसे सभा का कार्य दुरुस्त दिखाया जाता रहा और अब अचानक इतना बड़ा घोटाला कैसे हो गया। सभा सदस्यों ने सहकारिता विभाग को एक सप्ताह का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर विभाग ने इस प्रकरण में कड़ी कार्रवाई नहीं की तो अगले रविवार सभा सदस्य चक्का जाम कर अपना रोष प्रकट करेंगे। सभा की प्रबंधन समिति के प्रधान सुरेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि सभा सचिव के पारिवारिक सदस्यों के नाम ही पिछले कुछ सालों में एक करोड़ रुपए से ऊपर का ऋण दर्शाया गया और सभा के सेल्जमैन के नाम भी लाखों रुपए का ऋण दिखाया गया है और इन मामलों में लाखों रुपए ऋण का भुगतान एक ही दिन में भी दिखाया गया है जो कि संभव ही नहीं है, लेकिन ऐसी गलतियां ऑडिटर की आंख से कैसे बच गईं। यही नहीं बल्कि सभा सचिव द्वारा कुछ लोगों से पैसे लेकर उनकी एफडीआर तैयार करके दे दी गई, लेकिन सभा के रिकार्ड में इन्हें कहीं नहीं दर्शाया गया। इस बाबत उन्होंने अतिरिक्त पंजीयक सहकारी सभाएं सुरेंद्र वर्मा को भी तथ्य सहित बताया लेकिन उन्होंने इस मामले में भी तब कोई कार्रवाई नहीं की थी। सभा में एक भी रजिस्ट्रर मेंटेन नहीं है फिर भी ऑडिटर आते रहे और उन्हें एक भी खामी नजर नहीं आई। हद तो यह है कि अब इस महा घोटाले के उजागर होने के बाद अतिरिक्त पंजीयक पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करवाने से भी टाल-मटोल वाला रवैया अपना रहे हैं। सभा में जनता के गाढ़े खून पसीने की कमाई को लूटने वालों पर विभागीय मेहरबानी समझ से परे है और अब कार्रवाई के नाम पर विभाग द्वारा वर्तमान प्रबंधन समिति व पूर्व प्रबंधन समिति को कारण बताओ नोटिस जारी कर अपने फर्ज से इतिश्री कर ली है। इस सबसे यही प्रतीत हो रहा है कि इस महा घोटाले में कहीं न कहीं विभागीय अधिकारियों की लापरवाही या फिर यूं कहें कि मिलीभगत रही है। अगर अतिरिक्त पंजीयक ने इस मामले में ढील बरती तो उनकी सेवानिवृत्ति से पहले वह उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।


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