अब नहीं रुलाएंगी प्याज की कीमतें

By: Oct 30th, 2019 12:03 am

वाईएस परमार और नौणी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों संग हिमाचल के किसान उगाएंगे खरीफ प्याज

नौणी – हिमाचल प्रदेश में प्याज की केवल एक फसल उगाई जाती है। महाराष्ट्र में प्याज की तीन फसलें उगाई जाती हैं। प्रदेश में प्याज की मांग को पूरा करने के लिए बाहरी राज्यों के प्याज पर निर्भर रहना पड़ता है। समय-समय पर यह देखा गया है कि प्याज के दाम, आम जनता की पहुंच से दूर हो जाते हैं। इसी समस्या से निजात दिलाने के लिए डा. यशवंत सिंह परमार उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के वैज्ञानिकों ने एक बेहतर विकल्प ढूंढ निकाला है-खरीफ प्याज। खरीफ प्याज न केवल आम जनता को महंगाई के दंश से बचा सकता है, बल्कि किसानों की आमदनी को बढ़ाने का भी एक विकल्प हो सकता है। नौणी विवि के नेरी स्थित उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय में कार्यरत सब्जी वैज्ञानिक डा. दीपा शर्मा, खरीफ प्याज की लोकप्रियता एवं जागरूकता स्तर को बढ़ाने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, नई दिल्ली, भारत सरकार द्वारा स्वीकृत 20.43 लाख रुपए की एक परियोजना पर कार्य कर रही हैं। यह योजना वर्तमान में चंबा जिला के विभिन्न स्थानों पर चलाई जा रही है। इस योजना में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डा. राजीव रैना और डा. संजीव बन्याल सह-प्रमुख अन्वेषक के रूप में कार्य कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत विगत दो वर्षों में चंबा जिला के विभिन्न स्थानों पर 245 प्रदर्शन एवं 14 प्रशिक्षण कार्यक्रम किए गए, जिनमें लगभग 362 किसान लाभान्वित हुए। आंकड़े बताते हैं कि खरीफ प्याज की एक क्विंटल गट्ठियां तैयार करके रख ली जाएं, तो यही गट्ठियां बाद में प्याज के रूप में छह गुणा अधिक उत्पादन देती हैं। बाजार में यही प्याज 50 रुपए किलोग्राम के हिसाब से आराम से बिक जाता है।  चंबा जिला में इसका सफल प्रयोग हो चुका है। किसान खरीफ प्याज की फसल की गट्ठियां तैयार करके इसे अगस्त माह के दूसरे सप्ताह में पुनः रोपित कर सकते हैं। अक्तूबर माह के दूसरे सप्ताह में हरे प्याज के रूप में भी प्रयोग या बेच सकते हैं। यह फसल दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में तैयार हो जाती है।  नौणी विवि के कुलपति डा. परविंदर कौशल ने खरीफ प्याज पर किए इस कार्य को किसानों द्वारा व्यावसायिक स्तर पर अपनाने की सलाह दी और विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को इसे अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाने का आग्रह किया। निदेशक अनुसंधान डा. जेएन शर्मा, नेरी महाविद्यालय के डीन डा. पीसी शर्मा और विवि के अधिकारियों ने खरीफ प्याज पर किए कार्य की सराहना की।


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