उपचुनाव के बाद अब इन्वेस्टर्स मीट पर ध्यान

By: Oct 22nd, 2019 12:01 am

15 दिन में धर्मशाला शहर को सजधज कर तैयार करना प्रदेश सरकार के लिए होगी चुनौती

शिमला – उपचुनाव के बाद अब जयराम सरकार का अगला फोकस पूरी तरह से इन्वेस्टर्स मीट पर रहेगा। इसके चलते अगले 15 दिन प्रदेश सरकार धर्मशाला पर केंद्रित रहेगी। इस दौरान धर्मशाला शहर को मेजबानी के लिए सजधज कर तैयार करना सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। उपचुनावों की आदर्श चुनाव आचार संहिता के चलते अभी तक धर्मशाला की सड़कों में टायरिंग से लेकर सजावट तक का काम शुरू नहीं हो पाया है। इसके अलावा शहर के सरकारी दफ्तरों और भवनों को दो सप्ताह के भीतर दुल्हन की तरह सजाना आसान नहीं होगा। इस कारण अब हिमाचल सरकार आठ नवंबर तक अपना पूरा ध्यान इन्वेस्टर्स मीट की तैयारियों पर केंद्रित करेगी। इसके लिए प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों का अब धर्मशाला-शिमला के बीच सफर जारी रहेगा। बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आने के कारण जयराम सरकार की इन्वेस्टर्स मीट में चार चांद लगना तय है। प्रदेश में दो विधानसभा उपुचनावों के चलते 27 अक्तूबर तक आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू रहेगी। इस कारण इसका प्रभाव धर्मशाला पर भी जारी रहेगा। हालांकि वोटों की गिनती के बाद राज्य सरकार चुनाव आयोग की अनुमति से धर्मशाला में मेजबानी के लिए विकास का पहिया घुमाना शुरू कर देगी। इस इन्वेस्टर्स मीट के लिए 1150 होटलों के कमरे बुक किए जा रहे हैं। इसके अलावा सात नवंबर और नौ नवंबर को दिल्ली-धर्मशाला वाया चंडीगढ़ के बीच विशेष उड़ानों को एलायंस एयर का विमान मांगा गया है। प्रधानमंत्री के समारोह का हिस्सा बनने के कारण देश से बड़े औद्योगिक घरानों का इन्वेस्टर्स मीट में आना तय माना जा रहा है। इसके अलावा विदेशों से भी नामी उद्योगपति धर्मशाला का रुख करने को तैयार है। इस कारण अपनी शानदार मेजबानी से सरकार निवेशकों का दिल जीतना चाहेगी। इसके लिए गगल एयरपोर्ट से लेकर धर्मशाला तक के सड़क मार्ग को मखमली मुर्तरूप दिया जाना प्रस्तावित है। सड़क मार्ग की ड्रेनेज को नई सीरत व सूरत देने की योजना है। मेहमानों के स्वागत के लिए बड़े स्तर पर फ्लावर-पॉट्स मंगवाए जा रहे हैं। रंग-रोगन से पूरे शहर को चकाचक करने की योजना है, क्योंकि इसके लिए अब सिर्फ 15 दिन का समय शेष है, तो इसके लिए तैयारियां युद्ध स्तर पर करनी पड़ेगी।

85 हजार करोड़ के निवेश का टारगेट

प्रदेश सरकार 85 हजार करोड़ के निवेश का लक्ष्य लेकर दिन-रात पसीना बहा रही है। हालांकि इस टारगेट को धरातल पर उतारना असंभव दिख रहा है। जानकारों का मानना है कि टूरिज्म और हाउसिंग को छोड़कर दूसरे सेक्टर में निवेश की बेहद कम संभावना है। इसके चलते इस भारी भरकम लक्ष्य को कागजी एमओयू से आगे बढ़ाना इस सरकार के लिए अपने कार्यकाल की सबसे बड़ी चुनौती बनेगी। इससे पहले शानदार मेजबानी की तैयारियों को पुख्ता करना भी चुनौती भरा है।


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