कारोबारी सरलता की जरूरत

By: Oct 7th, 2019 12:08 am

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री

अर्थविशेषज्ञों का कहना है कि कारोबार सुधार, नवाचार और प्रतिस्पर्धा के लाभ छोटे शहरों और गांवों में भी आगे बढ़ना जरूरी हैं। गौरतलब है कि 29 सितंबर को विश्व बैंक के द्वारा ईज ऑफ  डूइंग बिजनेस के परिप्रेक्ष्य में तैयार की गई टॉप-20 परफार्मर्स सूची में भारत को भी शामिल किया गया है। ऐसे में भारत दुनिया के उन 20 देशों की सूची में शामिल हो गया है जिन्होंने कारोबार सुगमता के क्षेत्र में सबसे अधिक सुधार किए हैं…

07ही में तीन अक्तूबर को नई दिल्ली में वर्ल्ड इकोनामिक फोरम ‘डब्ल्यूईएफ’ और भारतीय उद्योग परिसंघ ‘सीआईआई’ द्वारा आयोजित इंडिया इकोनामिक समिट में अमरीका के वाणिज्य मंत्री विल्वर रॉस ने कहा कि चीन की जगह भारत उत्पादन और निवेश का नया वैश्विक हब बन सकता है। इन संभावनाओं को मुट्ठियों में लेने के लिए जहां देश की कारोबार, प्रतिस्पर्धा और नवाचार की वैश्विक रैंकिंग में लगातार सुधार लाभप्रद है, वहीं अब उद्योग-कारोबार में सरलता लाने और उद्योग-कारोबार की मुश्किलों को दूर करने के प्रयत्नों की बड़ी जरूरत बनी हुई है। खासतौर से छोटे उद्यमी और कारोबारी सरल कर्ज और जीएसटी में सरलता की अपेक्षा कर रहे हैं। अर्थविशेषज्ञों का कहना है कि कारोबार सुधार, नवाचार और प्रतिस्पर्धा के लाभ छोटे शहरों और गांवों में भी आगे बढ़ना जरूरी हैं।

गौरतलब है कि 29 सितंबर को विश्व बैंक के द्वारा ईज ऑफ  डूइंग बिजनेस के परिप्रेक्ष्य में तैयार की गई टॉप-20 परफार्मर्स सूची में भारत को भी शामिल किया गया है। ऐसे में भारत दुनिया के उन 20 देशों की सूची में शामिल हो गया है जिन्होंने कारोबार सुगमता के क्षेत्र में सबसे अधिक सुधार किए हैं। इसमें मई 2019 को समाप्त हुए 12 महीने की अवधि के दौरान भारत के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया गया है। भारत ने जिन चार क्षेत्रों में बड़े सुधार किए हैं इसी तरह देश नवाचार और प्रतिस्पर्धा में अपनी रैंकिंग को सुधारता हुआ नजर आ रहा है। हाल ही में प्रकाशित बौद्धिक संपदा, नवाचार, प्रतिस्पर्धा और कारोबार सुगमता से संबंधित वैश्विक रिपोर्टों में भी भारत के सुधरते हुए प्रस्तुतिकरण की बात कही जा रही है।

यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में घोषित विभिन्न प्रमुख कारोबार सूचकांकों के तहत प्रतिस्पर्धा, कारोबार एवं निवेश में सुधार का परिदृश्य भी दिखाई दे रहा है। आईएमडी विश्व प्रतिस्पर्धिता रैंकिंग 2019 के अनुसार, वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद ‘जीडीपी’ में तेज वृद्धि, कंपनी कानून में सुधार और शिक्षा पर खर्च बढ़ने के कारण भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ा है। इस रैंकिंग में भारत 43वें स्थान पर आ गया है। बौद्धिक संपदा एवं नवाचार में भारत के आगे बढ़ने का आभास इसी वर्ष 2019 में  नवाचार, प्रतिस्पर्धा तथा बौद्धिक संपदा से संबंधित जो वैश्विक सूचकांक और अध्ययन रिपोर्टें प्रकाशित हुई हैं, उनमें भारत आगे बढ़ता हुआ बताया जा सकता है।

हाल ही में प्रकाशित वैश्विक नवोन्मुखी सूचकांक यानी ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स ‘जीआईआई’ 2019 रिपोर्ट का प्रकाशन विश्व विख्यात कोरनेट यूनिवर्सिटी, आईएनएसईएडी और संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी विश्व बौद्धिक संपदा संगठन ‘डब्ल्यूआईपीओ’ द्वारा किया गया है। जीआईआई 2019 में भारत पांच पायदान ऊपर चढ़कर 52वें स्थान पर पहुंच गया है। 2015 के बाद से भारत की रैंक 29 स्थान बढ़ी है। 2015 में भारत 81वें स्थान पर था। जीआईआई के कारण विभिन्न देशों को सार्वजनिक नीति बनाने से लेकर दीर्घावधि आउटपुट, वृद्धि को प्रोत्साहन देने, उत्पादकता में सुधार और नवोन्मेष के माध्यम से नौकरियों में वृद्धि में सहायता मिली है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कारोबार में बढ़ती अनुकूलताओं के कारण भारत के शहरों में ख्याति प्राप्त वैश्विक फायनेंस और कॉमर्स कंपनियां अपने कदम तेजी से बढ़ा रही हैं। इतना ही नहीं भारत से कई विकसित और विकासशील देशों के लिए कई काम बड़े पैमाने पर आउटसोर्सिंग पर हो रहे हैं। भारत में स्थित वैश्विक फाइनेंशियल फर्मों के दफ्तर ग्लोबल सुविधाओं से सुसज्जित हैं। इन वैश्विक फर्मों में बड़े पैमाने पर प्रतिभाशाली भारतीय युवाओं की नियुक्तियां हो रही हैं। बेंगलुरू में गोल्डमैन सॉक्स का नया कैंपस लगभग 1800 करोड़ रुपए में बना है और यह कैंपस न्यूयार्क स्थित मुख्यालय जैसा है, यहां पर कर्मचारियों की संख्या 5000 से अधिक है। दुनिया की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन ने हैदराबाद में 30 लाख वर्ग फुट के क्षेत्र में इमारत बनाई है।

देश के नवाचार, कारोबार एवं प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने के पीछे एक प्रमुख कारण यह है कि वर्ष 2018-19 में भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था, घरेलू कारोबार, स्टार्टअप, विदेशी निवेश, रिसर्च एंड डिवेलपमेंट को प्रोत्साहन मिला है। यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि अमरीका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियां नई प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय आईटी प्रतिभाओं के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत में अपने ग्लोबल इन हाउस सेंटर ‘जीआईसी’ तेजी से बढ़ाते हुए दिखाई दे रही हैं। इंटरनेट ऑफ  थिंग्स, कृत्रिम बुद्धिमता और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में शोध और विकास को बढ़ावा देने के लिए लागत और प्रतिभा के अलावा नई प्रौद्योगिकी पर इनोवेशन और जबरदस्त स्टार्टअप माहौल के चलते दुनिया की कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं।

निःसंदेह अभी हमें कारोबार सुगमता, नवाचार एवं प्रतिस्पर्धा के वर्तमान स्तर एवं विभिन्न वैश्विक रैंकिंग में आगे बढ़ते कदमों से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। अभी इन विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक सुधार की जरूरत है। निश्चित रूप से देश में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ‘आर एंड डी’ पर खर्च बढ़ाया जाना होगा। भारत में आर एंड डी पर जितनी राशि खर्च होती है उसमें इंडस्ट्री का योगदान काफी कम है जबकि अमरीका तथा इजरायल जैसे विकसित देशों और पड़ोसी देश चीन में यह काफी अधिक है। आर एंड डी पर पर्याप्त निवेश के अभाव के चलते भारतीय प्रोडक्ट्स ग्लोबल ट्रेड में पहचान नहीं बना पा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 2014 में भारत ईज ऑफ  डूइंग बिजनेस की 190 देशों की सूची में 142वें स्थान पर था। 2017 में 100वें स्थान पर था जबकि 2018 में भारत 77वें स्थान पर पहुंच गया था।

भारत सरकार का लक्ष्य ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में टॉप 50 में स्थान बनाना है। ऐसे में निश्चित रूप से जब भारत विश्व बैंक के टॉप परफार्मर्स 20 देशों में शामिल हो गया है तब ईज ऑफ  डूइंग बिजनेस में भारत की रैंकिंग ऊपर बढ़ती हुई दिखाई देगी। हम आशा करें कि सरकार ऐसी रणनीति के साथ भी आगे बढ़ेगी जिससे भारत के छोटे शहरों और गांवों में भी वैश्विक वित्तीय और शोध संस्थाओं के कदम तेजी से आगे बढ़ें तथा कारोबार सुगमता भी बढ़े। ऐसे प्रयासों से निश्चित रूप से आगामी वर्षों में देश के सभी उद्यमियों और कारोबारियों को लाभ होगा तथा विश्व बैंक की ईज ऑफ  डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत की ऊंचाई बढ़ते हुए दिखाई दे सकेगी।   


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