गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों को बंद करने के निर्देश

By: Oct 31st, 2019 12:02 am

हरियाणा मौलिक शिक्षा निदेशालय ने दिए आदेश, चार नवंबर तक मांगी रिपोर्ट, हिदायतों का पालन नहीं करने पर अफसरों पर भी गिरेगी गाज

चंडीगढ़ -मौलिक शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को एक बार फिर आदेश जारी करते हुए अपने-अपने जिलों में बंद कराए जा चुके गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। मौलिक शिक्षा निदेशालय ने यह भी निर्देश दिए हैं कि सभी शिक्षा अधिकारी यह भी सुनिश्चित करें कि जिन स्कूलों को विभाग द्वारा बंद करा दिया गया था, वे स्कूल अब भी खुले हैं या फिर बंद हैं। इतना ही नहीं सभी शिक्षा अधिकारियों से निदेशालय में चार नवंबर तक हर हाल में ईमेल के जरिए स्टेटस रिपोर्ट भेजने की भी सख्त हिदायतें दी गई हैं। दरअसल स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में 09 अक्तूबर 2017 में प्रदेशभर में चल रहे करीबन छह हजार गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूल व अस्थायी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जनहित याचिका डाली थी। इसी जनहित याचिका पर प्रदेश सरकार ने वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2019-20 में गैर मान्यता व अस्थायी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को पर कार्रवाई के लिए शिक्षा अधिकारियों की खंड स्तर पर कमेटियों का भी गठन किया था। इन कमेटियों ने जिन स्कूलों के पास स्थायी मान्यता संबंधी कोई दस्तावेज नहीं मिलेए उन्हें कागजों में ही बंद दर्शा दिया था। जिसकी रिपोर्ट भी निदेशालय को भेजी गई थी। मगर इस रिपोर्ट पर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल ने आपत्ति जताते हुए इसकी शिकायत शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को की थी। जिसके बाद सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से निदेशालय ने स्टेटस रिपोर्ट तलब की थीए मगर अब एक बार फिर इन स्कूलों के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट मौलिक शिक्षा निदेशालय ने तलब की है। सभी अधिकारियों को चार नवंबर तक इन स्कूलों के खुले एवं बंद होने के संबंध में अपनी टिप्पणी सहित रिपोर्ट देनी होगी, क्योंकि आठ नवंबर को हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है।

झूठी रिपोर्ट भेजने वालों पर होगी कार्रवाई

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने आरोप लगाया है कि अधिकांश जिलों के शिक्षा अधिकारियों ने शिक्षा निदेशालय को अब तक इन स्कूलों के स्टेटस की झूठी रिपोर्ट भेजी हैं और केवल कागजों में ही स्कूलों को बंद दर्शाया हुआ है। जबकि मौलिक शिक्षा निदेशालय के एमआईएस पोर्टल पर आज भी इन स्कूलों के नाम दर्शाए हुए हैं और बच्चों के दाखिले भी इन्हीं में हैं। शिक्षा अधिकारियों व मौलिक शिक्षा निदेशालय ने न केवल खुद सरकार को गुमराह किया है, बल्कि न्यायालय में भी झूठी रिपोर्ट देकर न्यायालय के आदेशों की अवमानना की है, जिस पर भी उनका संगठन ऐसे अधिकारियों के खिलाफ  न्यायालय से कार्रवाई की मांग उठाएगा।

 

 


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