डांवाडोल स्थानांतरण नीतियों से भ्रष्टाचार

By: Oct 15th, 2019 12:01 am

कर्मचारी सेवाएं महासंघ ने कहा, सरकार का ढुलमुल रवैया और राजनीतिक हस्तक्षेप प्रमुख कारण

शिमला – सरकारी विभागों, निगमों/ बोर्डों में भ्रष्टाचार के मामलों को शून्य करने की दृष्टि से अधिकारियों और कर्मचारियों को उनकी सीट से निश्चित अवधि में स्थानांतरित करने संबंधी सरकार द्वारा जारी आदेशों को अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ ने उचित करार दिया है। महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष विनोद कुमार ने कहा है कि एक ही सीट पर वर्षों से जमे अधिकारियों और कर्मचारियों की गैर-जिम्मेदाराना कार्यशैली के कारण विभागों में आए दिन बड़े घोटाले और वित्तीय अनियमितताएं उजागर हो रही हैं, जिसके कारण प्रदेश की सरकारी कार्य-संस्कृति आम जनता में दागदार हुई है। ऐसे मामले उजागर होने के कारण अधिकारियों और कर्मचारियों को अनुशासनात्मक कार्रवाइयों का सामना करना पड़ता है, जिसके पीछे सरकार की ढुलमुल नीतियां और अनावश्यक राजनीतिक हस्तक्षेप प्रमुख कारण है। उन्होंने कहा कि हाल ही में शिक्षा विभाग में उजागर हुए छात्रवृत्ति घोटाले, आयुर्वेदा विभाग में खरीद-फरोख्त में करोड़ों की वित्तीय अनियमितताएं, बागबानी विभाग में करोड़ों का सबसिडी घोटाला एवं पौधों/ दवाइयों की खरीद में घपलेबाजी, कृषि विभाग में उपकरण खरीद में वित्तीय अनियमितताएं, पशुपालन विभाग, परिवहन विभाग जैसे अनेक विभागों और निगमों/ बोडऱ्ों में वित्तीय घोटाले उजागर हुए हैं, जो वर्षों से एक ही सीट पर जमे अधिकारियों और कर्मचारियों को एक निश्चित अवधि में स्थानांतरित न करने के कारण हुए हैं। इसलिए सरकार सख्ती से इस नीति को सरकारी विभागों और निगमों/ बोडऱ्ों में लागू करने पर विचार करे।

विनोद कुमार ने कहा है कि इस विषय को महासंघ ने पिछले माह मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुंडू के सामने भी उठाया था कि आए दिन सरकारी विभागों में वित्तीय अनियमितताओं के मामले उजागर हो रहे हैं, जिसके कारण सरकार की छवि पर विपरीत असर पड़ता है और अधीनस्थ कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार लटकाई जाती है, जबकि इन अनियमितताओं के पीछे दूसरी कई और वजह भी प्रमुख कारण होती हैं।


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