डाक्टर से इंजीनियर तक लड़ रहे चुनाव

By: Oct 14th, 2019 12:02 am

हरियाणा विधानसभा चुनावों में विदेश में रहने वालों को भी मिले टिकट

पंचकूला – विधानसभा चुनाव में डाक्टर से लेकर, खिलाड़ी, लेक्चरर और विदेश में नौकरी करने वाले तक चुनावी दंगल में ताल ठोक रहे हैं। पढ़े-लिखे युवा हों या नौकरी पेशा हर किसी में राजनीति का क्रेज है। यह सत्ता का क्रेज ही है जो कोई युवा एक करोड़ तो कोई लाखों के पैकेज की नौकरी छोड़कर गली-गली घूमकर मतदान की अपील कर रहा है। लंदन में पब्लिक रिलेशन की एक करोड़ रुपए की नौकरी छोड़कर नौक्षम चौधरी हरियाणा के सबसे पिछड़े जिलों में से एक मेवात के पुन्हाना विधानसभा में चुनाव लड़ने उतरी हैं। नौक्षम भाजपा की सीट पर चुनावी मैदान में हैं। पिता रिटायर्ड जज और मां बड़ी अधिकारी हैं। मिरांडा हाउस कालेज में छात्र संघ नेता रही नौक्षम ने अगस्त में ही भाजपा की सदस्यता ली थी। उनका कहना है कि वह विदेश से अपने जिले के विकास के लिए भारत लौटी हैं। बल्लभगढ़ विधानसभा से बहुजन समाज पार्टी की सीट पर चुनाव लड़ रहे अरुण बीसला पेटीएम से इंजीनियर की नौकरी छोड़कर आए हैं। उनके दादा चौधरी सुमेर सिंह आजादी से पहले और आजादी के बाद विधायक रहे हैं। उनके पिता आर्मी ऑफिसर रिटायर्ड हुए हैं। झज्जर में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे डा. राकेश कुमार डिप्टी सिविल सर्जन, झज्जर से वीआरएस लेकर राजनीति में आए हैं। उन्होंने महज दो महीने पहले वीआरएस लिया और आरएसएस से जुड़ाव की वजह से उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिला। वे झज्जर से कांग्रेस की मौजूदा विधायक गीता भुक्कल के खिलाफ  चुनाव मैदान में हैं। जेजेपी से लाडवा सीट पर चुनाव लड़ रही डा. संतोष दहिया कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में बतौर लेक्चरर कार्यरत हैं। यूनिवर्सिटी में ऑन लीव होकर वे चुनाव लड़ रही हैं। वॉलीबाल की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दहिया ने 1991 में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में नौकरी ज्वाइन की थी। वे खाप पंचायतों से भी जुड़ी रही हैं। अचानक से जेजेपी छोड़कर भाजपा में शामिल हुई बबीता फोगाट सब इंस्पेक्टर की नौकरी छोड़कर राजनीति में आई है।


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