नाकाबंदी के दौरान 29 नाका चौकियां स्थापित हुई थी हिमाचल में

By: Oct 9th, 2019 12:14 am

नाकाबंदी की इस विस्तृृत कार्यवाही के अंतर्गत कांगड़ा, नूरपुर, बिलासपुर, कुल्लू, चंबा और होशियरपुर-ऊना क्षेत्र में 29 नाका चौकियां स्थापित हुई और  सशस्त्र गार्डज तैनात कर दिए गए। प्रत्येक चौकी पर प्रायः एक दफादार और सात गार्डज की नाका पार्टी तैनात रहती थी…

गतांक से आगे …

क्रांतिकारी सैनिकों  से संपर्क  टूट जाने के कारण देशी सेना ने बिना विरोध के हथियार  डाल दिए। इसलिए यह जोखिम भरा कार्य बड़ी आसानी से पूरा हुआ। उसी रात डिप्टी कमिशनर टेलर ने शेरदिल पुलिस बटालियन के 100 जवानों  को बलपूर्वक साथ लेकर नूरपुर विद्रोह दबाने के लिए कूच किया। यहां अंग्रेजों को सियालकोट के 100 क्रांतिकारी सैनिकों के पहुंचने और देशी सैनिक दस्ते तथा स्थानीय क्रांतिकारियों के साथ मिलकर विद्रोह करने की आंशका थी। परंतु डिप्टी कमिशनर टेलर के पहुंचने से पहले ही 4 नेटिव इन फैंट्री के स्थानीय  कमांडर मेजर विल्की ने पूर्व सूचित आदेशानुसार देशी सेथ्नकों को हथियार छोड़ने  के लिए राजी कर लिया था इस प्रकार अंग्रेजों ने नूरपुर और कांगड़ा के किलों को पूर्ण रूप से अपने अधिकार में ले लिया  और देशी सेना को निरस्त्र करके स्थानीय  क्रांतिकारियों  के हौसले पस्त कर दिए थे कांगड़ा और नूरपुर में  सियालकोट और जेहलम के क्रांतिकारी सैनिकों के प्रवेश की बहुत अधिक आंशका थी। इसके अतिरिक्त पेशावर, मियां मीर, जालंधर, इन्दौरा, त्रिलोकनाथ, तलबाड़ा, बगलाह, श्रीनगर कोटखाई, चंबा, राइली, राई, ददाह, ढुक, देहरा, नादौन, टिहरा, लंबागांव, डमटाल, बस्ती-घाट पच्छाद पत्ती, कुटलैहढ़ वन आतरीओं और ठीकी नौकाएं नष्ट कर दीं ताकि आर-पार न आ जा सकें। नौ-घाटों पर नौका गार्डज तैनात किए गए।

पहाड़ी दर्रों, जंगली मार्गों और अन्य सभी  सम्भावित प्रवेश मार्गों पर नाकाबंदी कर दी और  नाका गार्डज तैनात कर दिए गए।नाकाबंदी की इस विस्तृृत कार्यवाही के अंतर्गत कांगड़ा, नूरपुर, बिलासपुर, कुल्लू, चंबा और होशियरपुर-ऊना क्षेत्र में 29 नाका चौकियां स्थापित हुई और  सशस्त्र गार्डज तैनात कर दिए गए। प्रत्येक चौकी पर प्रायः एक दफादार और सात गार्डज की नाका पार्टी तैनात रहती थी। इस कार्य के लिए नई भर्ती द्वारा एक देशी कमांडिंग अफसर, 5 जमादार, 18 दफादार, 10 घुड़सवार और लगभग 200 गार्डज नियुक्त किए गए।  इसके अतिरिक्त चंबा के राजा श्री सिंह ने अंग्रेजों की मांग पर 300 जवान रावी नदी के नौ-घाटों की सुरक्षा के लिए प्रदान किए। नूरपुर और सिब्बा के राजाओं  ने 50-50 जवान ब्रिटिश सरकार की मदद के लिएभेज। कुछ अन्य लागों ने भी विद्रोह को दबाने में अंग्रेजों के प्रलोभनों में आकर मदद पेश की।                             – क्रमशः   


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