निवेशक आएंगे, पर बसाएंगे कहां

By: Oct 8th, 2019 12:30 am

हिमाचल में इन्वेस्टर्स मीट से पहले उठ रहा बड़ा सवाल, अभी तक मात्र 650 बीघा जमीन ही उद्योग विभाग के नाम

शिमला – हिमाचल में आने वाले दिनों में इन्वेस्टर्स मीट होने जा रही है, जिसके लिए प्रदेश सरकार ने बड़े प्रयास किए हैं। उम्मीद भी है कि यहां बड़ा निवेश होगा। 85 हजार करोड़ रुपए से अधिक के निवेश का लक्ष्य है, जो पूरा होने जा रहा है, परंतु एक बड़ा सवाल यह खड़़ा है कि निवेशक आएंगे, तो उन्हें बसाएंगे कहां। बेशक उद्योग विभाग ने इसे लेकर सोच रखा है, परंतु सच्चाई यह भी है कि जब से सरकार के प्रयास चल रहे हैं, उसके बाद से अभी तक मात्र 650 बीघा जमीन ही उद्योग विभाग के नाम पर हुई है। कांगड़ा जिला के चन्नौर में नए इंडस्ट्रियल एरिया के लिए यह जमीन राजस्व विभाग ने उसके नाम की है, लेकिन वहां भी अभी खड्ड का चैनेलाइजेशन करवाना जरूरी है। इसके अलावा उद्योग विभाग और कहीं भी जमीन नहीं ले सका है। बताते हैं कि आठ हजार बीघा से अधिक का लैंड बैंक उद्योग विभाग के पास पहले से मौजूद है, परंतु उस लैंड बैंक पर निवेशक बसेंगे, यह खुद में एक सवाल है। क्योंकि  इस लैंड बैंक में प्रदेश के अंदरूनी क्षेत्र में अधिकांश जमीन दर्ज है, जबकि उद्योगपति अंदरूनी क्षेत्रों में निवेश की इच्छा नहीं रखते और चाहते हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में ही बसें। इन परिस्थितियों में 85 हजार करोड़ रुपए के निवेश को सरकार कहां उतारेगी, इस पर सोचना बेहद जरूरी है। सरकारी अदारे में इस तरह की बातें हो रही हैं। जिलाधीशों के माध्यम से जमीन की तलाश के लिए उद्योग विभाग ने कहा है, परंतु अभी किसी भी जिलाधीश से उद्योगों के लिए जमीन का प्रस्ताव यहां नहीं पहुंचा है। नवंबर में इन्वेस्टर्स मीट भी होने जा रही है। इससे पहले यदि उद्योग विभाग के नाम पर जमीन नहीं होगी, तो इन्वेस्टर्स को कैसे मौके पर जमीन देंगे। वहीं अधिकारी रोजाना बैठकें कर रहे हैं और हर मुद्दे पर चर्चा हो रही है, लेकिन जमीन को लेकर अभी तक गंभीरता से कदम नहीं उठाए गए हैं।

85 हजार करोड़ का टारगेट

उद्योग विभाग का दावा है कि उसने करीब सात हजार करोड़ के एमओयू को अब तक धरातल पर उतारने का काम कर दिया है। टारगेट 85 हजार करोड़ का है, तो इसे किस तरह से संभव बनाया जाएगा, यह सोचने की बात है।


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