पच्छाद में पक रही सियासी खिचड़ी

By: Oct 6th, 2019 12:30 am

क्षेत्र में दिख रही कई संभावनाएं; झटका खा चुके मुसाफिर चल रहे संभल कर, दयाल प्यारी ने बढ़ाई टेंशन

शिमला – पच्छाद उपचुनाव की खिचड़ी में कई संभावनाएं पक रही हैं। भाजपा ने दयाल प्यारी की मजबूत दावेदारी को रोक कर अपने लिए मुसीबत जरूर मोल ली है, लेकिन मोदीमय भाजपा और जयराम सरकार के प्रभाव से पार्टी रीना कश्यप के राजतिलक की तैयारी में है। पिछले विधानसभा चुनावों में जोर का झटका खाने के बाद गंगूराम मुसाफिर संभल कर चुनाव लड़ रहे हैं। उपचुनाव में कांग्रेस अपनी जीत के साथ भाजपा का विजयी रथ रोकने की फिराक में है। खास है कि गंगूराम मुसाफिर अपनी इस जीत के साथ कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी बन जाएंगे। भाजपा-कांग्रेस दोनों सियासी दलों का गणित बिगाड़ कर दयाल प्यारी न्याय की गुहार लगा रही है। इस कारण पच्छाद के उपचुनाव की पक रही खिचड़ी के नतीजे भविष्य की लीडरशिप की लकीर खींचेंगे। जाहिर है कि उपचुनाव में सत्ता का प्रभाव हमेशा हावी रहा है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक मोदीमय हो चुकी भाजपा के लिए इस समय दूर-दूर तक कोई चुनौती नहीं है। बावजूद इसके ऊंची उड़ान के बाद हर परींदे की वापसी प्रकृति का नियम है। लिहाजा कांग्रेस भाजपा के डाउन फाल की उम्मीद के साथ उपचुनाव में दुआएं मांग रही है। जगजाहिर है कि पच्छाद में भाजपा की सबसे मजबूत दावेदार के रूप में दयाल प्यारी उभर कर सामने आई थी। तीन बार जिला परिषद रह चुकी दयाल प्यारी ने जिप चेयरमैनी का ताज भी पहना है। सराहां से ताल्लुक रखने वाली दयाल प्यारी इसी इलाके के दो ताकतवर नेताओं के लिए चुनौती बन गई। पच्छाद में अब चर्चा आम है कि मार्किटिंग कमेटी के चेयरमैन बलदेव भंडारी और संगठन में अपना प्रभाव रखने वाले चंद्रमोहन ठाकुर ने दयाल प्यारी की दावेदारी को खारिज किया है। इस कारण भाजपा से बागी होकर चुनावी रण में उतरी दयाल प्यारी अब पार्टी के लिए सिरदर्द बन गई है। हालांकि जयराम सरकार की लोकप्रियता को भुनाकर भाजपा अपने संगठन के बूते रीना कश्यप का पच्छाद की सियासी पिच पर राज्याभिषेक करने को तैयार है। बेशक रीना कश्यप के पास अपना प्रोफाईल आकर्षक नहीं है, लेकिन सरकार और संगठन ने रीना कश्यप को इस तिकोनीय मुकाबले का मजबूत चेहरा बना दिया है। हालांकि चुनावों के बाद पार्टी को गुटबाजी के नस्तर से बचना मुश्किल हो जाएगा।

सामने खतरे की घंटी

कांग्रेस के लिए यह चुनाव डू एंड डाई का है। यदि कांग्रेस को हार मिलती है तो मुसाफिर की सियासी दौड़ करीब-करीब थम जाएगी। साथ ही लगातार हार से पार्टी का मोराल भी डाउन हो जाएगा। इस कारण पच्छाद की पक रही खिचड़ी में संभावनाएं देख रहे सियासी पंडितों को इसके आगे चलकर मंडराने वाले खतरों की घंटी भी सुनाई दे रही है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App